उच्च न्यायालय वो आदेशों के बावजूद, कि वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर दूकानदारों को नहीं उजाड़ा जा सकता है, भाजपा-जद(यू) सरकार बिहार की राजधानी पटना में स्टेशन परिसर और जीपीओ गोलंबर के बीच स्थित सैकडों दूकानों को गैर-कानूनी ढंग से उजाड़ रही है. खास महाल जमीन पर लगभग 70 वर्षों से चल रही इन हजारों दूकानों पर करीब 1 लाख परिवारों का रोजी-रोटी निर्भर है. बिहार सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर इन दूकानदारों को जबरन उजाड़ देने पर तुली हुई है. इस बेदखली मुहिम के दौरान दुख बर्दाश्त न कर पाने के चलते दो व्यवसाइयों की मौत हो गई है.
भाकपा(माले) विधायक महबूब आलम तथा पार्टी के अन्य नेताओं ने इन दूकानदारों के साथ एक बैठक की और धरना की योजना बनाई. 14 जून को का. महबूब आलम के नेतृत्व में यह धरना 4 बजे अपराह्न में शुरू हुआ. इस अनिश्चितकालीन धरना से प्रशस्नासन सकते में आ गया और उसने धरना खत्म करने के लिए दबाव बनाना शुरू किया, लेकिन भाकपा(माले) के नेताओं ने साफ-साफ कहा कि उनकी मांगें पूरी किए जाने तक यह धरना चलता रहेगा. पार्टी के नेतागण जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर इस समस्या के त्वरित समाधान की मांग करेंगे. उन्होंने मांग की है कि दूकानदारों के संगठन और सरकार की ओर से इन दूकानों का सर्वेक्षण किया जाए और उनकी सूची बनाई जाए, और इसके साथ को दूकानों को उजड़ने के पहले उनके पुनर्वास की पूरी व्यवस्था की जाए. धरना में मौजूद दूकानदारों में रजी अहमद, मोहम्मद उमर, मोहम्मद इरफान और फुटपाथ दूकानदार संघ के नेता शहजादे प्रमुख रूप से शामिल थे.