वर्ष - 28
अंक - 31
20-07-2019

पिछले दिनों भोजपुर जिले के बिलौटी गांव (शाहपुर प्रखंड) स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालय से दो छात्राओं के भाग खड़े होने और पाये जाने के बाद विद्यालय की वार्डेन, जिला समन्वयक और स्थानीय मुखिया के गठजोड़ के जरिए छात्राओं को प्रताड़ित करने और यौन संबंध बनाने को बाध्य करने की शर्मनाक घटना सामने आयी. विगत 7 जुलाई को भाकपा(माले), आइसा, आरवाईए, ऐपवा व इंसाफ मंच की संयुक्त जांच दल ने भोजपुर जिले के बिलौटी गांव (शाहपुर प्रखंड) का दौरा किया.

यह विद्यालय पहले शाहपुर प्रखंड परिसर में संचालित होता था. वहां से हटकर यह बिलौटी गांव में आया. जहां इसका अपना भवन और छात्रावास था. 2016 में नेशनल हाईवे (आरा-बक्सर रोड) के चौड़ीकरण के दौरान उसे तोड़ दिया गया. अब अपना भवन नहीं रहने के कारण यह गांव के पंचायत भवन में संचालित होता है. विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. कुल सौ छात्रायें नामांकित हैं जिनमें 94 उपस्थित थीं. दो शिक्षिकायें हैं जिनमें से एक प्रधानाध्यापक हैं और दूसरी वार्डन है. एक गार्ड हैं और खाना बनाने वाली रसोइया है. इस विद्यालय में सफाई कर्मचारी नहीं है. शिक्षिका नीलम कुमारी ने बताया कि लड़कियों से ही साफ-सफाई, झाड़ू-पोंछा लगवाने और शौचालय-बाथरूम साफ करवाने का काम लिया जाता है. विद्यालय में क्लास नही लगते हैं. पढ़ने-लिखने की उचित व्यवस्था नहीं है. बच्चियों का शरीरिक-मानसिक शोषण होता है. एक भी सशस्त्र महिला गार्ड नहीं है.

इस घटना के बाद भी वहां कोई सुरक्षा गार्ड नहीं है. अभिभावक अपने बच्चियों को लेकर घर चले गए हैं. लड़किया बता रही थीं कि दो बाहरी औरतों और पुरुषों का विद्यालय में हमेशा आना-जाना होता था और वे रात में भी यहीं सोते थे. इस पूरे मामले में पंचायत के मुखिया शंकर तिवारी पर लड़कियों ने गंभीर आरोप लगाये हैं. साथ ही, कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की जिला समन्वयक संध्या सिन्हा भी सवालों के घेरे में हैं. जांच टीम जब वहां पहुंची तो जिला समन्वयक संध्या सिन्हा भी वहां मौजूद थीं. उन्होंने सभी सवालों के प्रति टाल-मटोल का रवैया अपनाते हुए मामले पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश की. छात्राओं के बयानों के बावजूद मुखिया शंकर तिवारी पर मामला दर्ज नहीं किया गया है.

जांच दल ने कहा कि नीतीश-मोदी राज में शिक्षा, आश्रय व नौकरी के नाम पर छात्राओं, महिलाओं और महिला कर्मियों के सांस्थानिक यौन शोषण की शर्मसार करनेवाली घटनायें लगातार सामने आ रही हैं. कस्तूरबा गांधी विद्यालयों, अम्बेडकर छात्रावासों और आश्रय गृहों में उनके साथ यौन-उत्पीड़न, प्रताड़ना और हिंसा के बर्बर कारनामे उजागर हुए हैं. सारे मामलों में अपराधियों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है. पिछले दिनों ही चरपोखरी प्रखंड के सेमराव अवस्थित कस्तुरबा गांधी विद्यालय में एक छात्रा की हत्या कर दी गई. सरकार ने दोषियों पर कोई करवाई नही की और मृतक के परिजनों को मुआवजा तक नही दिया. जांच दल में संगीता सिंह व देवंती देवी (ऐपवा नेत्री), हरेंद्र सिंह व महेश (भाकपा-माले नेता), सबीर कुमार व पप्पू कुमार (आइसा) तथा अजय गांधी (इंसाफ मंच) शामिल थे. जांच दल ने राज्य के सभी कस्तूरबा गांधी विद्यालयों और अम्बेडकर महिला छात्रावासों की सघन जांच कर सभी जगह बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा मामलों पर रिपोर्ट जारी करने की मांग की और बिलौटी कस्तुरबा गांधी विद्यालय की बच्चियों के बयान को आधार बनाते हुए मुखिया शंकर तिवारी व अन्य संदिग्धों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें अविलंब गिरफ्तार करने व सजा देने की मांग की.