अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले 6 जून 2019 को मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के टकरावद गांव में हजारों किसान इकट्ठा हुए और उन्होंने का. बलिराम परिदार की अध्यक्षता में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी. कामरेड परिदार इन्हीं में से एक शहीद किसान के चाचा लगते हैं.
मंदसौर हत्याकांड की इस दूसरी वर्षगांठ के मौके पर देश भर के 208 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने किसानों पर थोपे गए झूठे मुकदमों को वापस लेने और इस हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग उठाई. उन्होंने मंदसौर में शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग भी उठाई.
शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक व राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन अध्यक्ष वीएम सिंह, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद राजू शेट्टी, पूर्व विधायक और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री राजाराम सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किसान महासभा प्रेमसिंह गेहलावत, राष्ट्रीय सचिव किसान महासभा ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अभीक साहा, महाराष्ट्र -गुजरात लोक संघर्ष मोर्चा की अध्यक्ष प्रतिभा शिंदे, अखिल भारतीय किसान महासभा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष जसविंदर सिंह, शेतकारी संगठन महाराष्ट्र की सुशीला ताई मोराड़े, जनआंदोलन समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयक मधुरेश सहित विभिन्न किसान संगठनों के 70 किसान नेता दिल्ली से एक बस से चल कर 6 जून की सुबह टकरावद पहुचे.
शहीदों की श्रद्धांजलि में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री द्वारा एक ट्वीट जारी करने के संदर्भ में संघर्ष समिति के अध्यक्ष और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष तथा पूर्व विधायक सरदार वीएम सिंह ने कहा कि इन संगठनों ने प्रधान मंत्री को किसानों के मुद्दों पर मुंह खोलने को बाध्य कर दिया. उन्होंने आगे कहा कि “राज्य के मुख्य मंत्री ने ट्वीटर पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी है, जो किसी भी तरह से कारगर या मददगार नहीं हो सकती. हमलोगों ने किसानों का एकताबद्ध संगठन खड़ा किया है जिसने सरकार को झुकने और हमारी सभी मांगों को सुनने के लिए मजबूर किया है.”
संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व विधायक डा. सुनीलम् ने कहा कि मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी अंतिम सांसें गिन रही हैं. उन्होंने कहा कि “कांग्रेस सरकार को किसानों की मांगें पूरी करने के लिए फौरन कदम उठाना चाहिए क्योंकि उनकी सरकार बनाने में इन किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ट्वीट जारी करने के बजाए मुख्य मंत्री को मंदसौर आकर शहीदों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए और हमारी मांगें पूरी करनी चाहिए.” उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसानों पर मुकदमे वापस लेने की कानूनी प्रक्रिया अभी अदालत तक नहीं पहुंची है. अब तक मन्दसौर जिला न्यायालय में ऐसा कोई भी आवेदन शासन द्वारा प्रस्तुत नही किया गया है, ना ही 6 किसानों की हत्या के दोषियों पर हत्या का प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारियां की गई है.
पूर्व सांसद और महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी ने कहा कि किसानों की मांगों को मिले आश्वासनों से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि “अगर महाराष्ट्र का स्वाभिमानी शांताकारी संगठन गन्ना और दूध की कीमतों को संशोधित करने के लिए सरकार को मजबूर कर सकता है, तो वह मध्य प्रदेश के किसानों के प्रति न्याय कर सकती है.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगें नहीं पूरी की गईं तो मुख्य मंत्री आवास के बाहर एक मजबूत प्रतिवाद संगठित किया जाएगा.
अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव का. राजाराम सिंह ने कहा कि मंदसौर के किसानों ने देश भर के किसानों को एकजुट कर दिया है, जिन्होंने मोदी सरकार को झकझोर दिया है. उन्होंने कहा कि यह सरकार हमारी मांगों पर कान नहीं दे रही है, इसीलिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
‘जन आंदोलनों का राष्ट्रीय संश्रय (एनएपीएम) के राष्ट्रीय संयोजक मधुरेश ने कहा कि “हमारा संघर्ष अत्याचार, शोषण और अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है - चाहे वह नर्मदा में हो, मंदसौर में हो या फिर तूतीकोरिन में हो. मौजदूा व्यवस्था को बदलना ही हमारा मकसद है.”
किसानों की इस विशाल श्रद्धांजलि सभा को अमृतराम पटिदार, जसविंदर सिंह (एआइकेएस के राज्य अध्यक्ष), महेंद्र पटिदार (पटिदार समाज), प्रशांत (शेतकारी संगठन), शैलेंद्र सिंह (‘सीटू’), सुनील त्रिवेदी (जय किसान आंदोलन), गुणवंत पटिदार (मंदसौर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष), प्रेम सिंह गहलावत (अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा (किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव) तथा अन्य नेताओं ने संबोधित किया.
ज्ञात हो कि 6 जून 2017 को किसान आंदोलन में छह किसानों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, इसके बाद से ही जिला पूरे देश में चर्चित रहा है. इस घटना के बाद विभिन्न पार्टियों के कई बड़े नेता यहां पहुँचे. घटना के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, हार्दिक पटेल आदि को जिले की सीमा पर ही रोक दिया था. डा. सुनीलम को भी मंदसौर पहुँचने पर गिरफ्तार कर मंदसौर जेल भेज दिया, दूसरे दिन उन्हें रिहा कर दिया था, इसके विरोध में बूढ़ा में सभा हुई थी. डा. सुनीलम ने बताया 6 जुलाई को मेघा पाटकर, पूर्व सांसद राजू शेट्टी व हन्नान मौला, पूर्व विधायक वीएमसिंह के साथ एक हजार किसानों को गिरफ्तार कर दलौदा मंडी में पुलिस हिरासत में रखा था. बाद में 7 जुलाई 2017 से देश के 19 राज्यों में 10 हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा कर 500 किसान मुक्ति सम्मेलन भी हुए. संसद पर दो बार लाखों किसानों की किसान मुक्ति संसद का आयोजन किया. जिसके पीछे मंदसौर के शहीदों की प्रेरणा थी.
भारत के किसान आंदोलन के इतिहास में शहीदों की कुर्बानियों का लंबा सिलसिला रहा है, इसीलिए इस अवसर पर मौजूद लोगों ने बुद्ध गांव में निर्मित शहीदों की स्मारक प्रतिमाओं पर भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए.