हमारे आजादी के आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने वाले अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के त्योहार के दिन घटित जलियांवाला बाग में हुए भयावह कत्लेआम की घटना की पहली शताब्दी के अवसर पर भाकपा(माले)-लिबरेशन और ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के सैकड़ों नेता व कार्यकर्ताओं ने 13 अप्रैल 2019 के दिन जलियांवाला बाग पहुंचकर इस कांड में शहीद और घायल हुए आजादी की आकांक्षा रखने वाले हजारों देशभक्तों को अपनी श्रद्धा के फूल अर्पित किये और समूचे देश की जनता की सम्पूर्ण मुक्ति के लिये लड़ी जा रही दूसरी आजादी की लड़ाई को विजय तक जारी रखने का अपना संकल्प दुहराया.
अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट, मानसा, बठिंडा, मोगा, बरनाला और संगरूर आदि जिलों से अलग-अलग साधनों के जरिये सैकड़ों क्रांतिकारी-जनवादी कार्यकर्ता 13 अप्रैल 2019 को सबेरे 12 बजे तक अमृतसर रेलवे स्टेशन के सामने इकट्ठे हो गये. यहां से भाकपा(माले)-लिबरेशन के महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य, पोलिटब्यूरो सदस्य कामरेड प्रभात कुमार चौधरी, पंजाब राज्य कमेटी के सचिव कामरेड गुरमीत सिंह बख्तपुरा, ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के केन्द्रीय नेता कामरेड प्रेम सिंह गहलावत, पार्टी के केन्द्रीय कमेटी सदस्य कामरेड सुखदरशन नत्त, राजविंदर सिंह राणा और कंवलजीत सिंह चंडीगढ़ तथा कामरेड भगवंत सिंह समाओं और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रुल्दू सिंह मानसा के नेतृत्व में जलियांवाला बाग तक एक जोशीला क्रांतिकारी मार्च संगठित किया गया. लाल झंडों और बैनरों से सजा एक विशाल जुलूस अमृतसर के बाजारों से होता हुआ करीबी दो किलोमीटर की दूरी तय करते हुए जलियांवाला बाग तक पहुंचा. अमृतसर के स्थानीय लोगों द्वारा, और इस ऐतिहासिक दिन पर देश-विदेश से जलियांवाला बाग और श्री हरिमंदर साहब के दर्शन करने के लिये बड़ी तादाद में पहुंचे हुए लोगों द्वारा, शहीदों को समर्पित इस क्रांतिकारी मार्च का भरपूर स्वागत किया गया और उन्होंने भी जुलूस में शामिल प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ नारे लगाये. बेशक इस मौके पर उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा जलियांवाला बाग पहुंचने के चलते बहुत कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध था, यहां तक कि इस दिन जिला प्रशासन ने अमृतसर शहर में धारा 144 लागू करके इकट्ठा होने और जलसा व जुलूस संगठित करने पर प्रतिबंध लगा रखा था, मगर जनता के क्रांतिकारी जोशोखरोश और शहीदों के प्रति बेखौफ श्रद्धा के सामने यह सब सख्त मोर्चेबंदी नाकारा साबित हुई. नेताओं के साथ-साथ विशाल तादाद में कार्यकर्ता नारे लगाते हुए और झंडे लहराते हुए जलियांवाला बाग के अंदर घुस गये और शहीद स्तम्भ के सामने पहुंचकर उन्होंने शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान के फूल वेदी पर चढ़ाये.
श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा(माले) के महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमारी आजादी की दीर्घकालीन लड़ाई और साम्राज्यवाद-विरोधी आंदोलन के असली वारिस भाकपा(माले)-लिबरेशन तथा अन्य क्रांतिकारी-जनवादी वामपंथी और देशभक्त ताकतें हैं, जो आज भी हमारे देश और इसकी आम जनता की वास्तविक आजादी और लोकतंत्र, बराबरी, भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित इस नई समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के लिये अनथक लड़ाई लड़ रही हैं. साम्प्रदायिक फासीवादी संघ-भाजपा और मोदी एवं अमित शाह जैसे लोगों का हमारे साम्राज्यवाद-विरोधी आजादी के आंदोलन से किसी किस्म का कोई भी वास्ता नहीं रहा है. एक ओर 1919 में आजादी के आंदोलन को मजबूत करने और अंग्रेज साम्राज्यवादियों को देश से खदेड़ने के लिये पंजाब - खासकर अमृतसर में हिंदूओं, सिखों और मुसलमानों ने बेमिसाल आपसी एकता और भाईचारे की ऐसी मिसाल पेश की थी कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी हुकूमत को उसमें 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम जैसी बगावत का खतरा नजर आने लगा था. इसीलिये उन्होंने ठंडे दिमाग से इस संभावना को कुचलने के लिये जलियांवाला बाग जैसा भयानक कत्लेआम रचाया था. दूसरी ओर आरएसएस और हिंदू महासभा जैसे भाजपा के पूर्वज मार्गदर्शक संगठन वास्तव में भारतीय जनता की इस जुझारू एकता को तोड़ने और आजादी के आंदोलन को कमजोर तथा खंडित करने के शैतानी मंसूबे से ही अस्तित्व में आये थे. इसीलिये आज देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिये और शहीद उधम सिंह, शहीद भगत सिंह और डाक्टर अम्बेडकर जैसे क्रांतिकारियों और लोकतंत्र-पसंद शख्सियतों द्वारा देखे गये सामाजिक बदलाव के सपने को हकीकत में बदलने के लिये मोदी और संघ-भाजपा रूपी फासिस्ट ताकतों को कमरतोड़ शिकस्त का मजा चखाना बेहद जरूरी है. जलियांवाला बाग की विरासत को बुलंद करने का आज यही सही तरीका है.
इस अवसर पर उपरोक्त नेताओं के अलावा पार्टी के राज्य कमेटी के नेता सुखदेव सिंह भागोकावां, बलबीर सिंह रंधावा, हरविंदर सिंह सोमा, अश्विनी कुमार लखणकलां, विजय कुमार सोहल, गुरजंट सिंह मानसा, ऐपवा की केन्द्रीय नेता जसवीर कौर नत्त, मजदूर मुक्ति मोर्चा के निक्का सिंह बहादुरपुर और गुरमेहर मान, इन्कलाबी नौजवान सभा के नेता हरमनदीप, इंदर अलख, ऐक्टू के नेता जीत सिंह, अमरीक समाओं, सतीश कुमार और आइसा के नेता विजय कुमार, सुखजीत सिंह रामानंदी और गुरविंदर सिंह नंदगढ़ भी उपस्थित थे. लोकसभा क्षेत्रों - गुरदासपुर, बठिंडा और संगरूर - से पार्टी के उम्मीदवार क्रमशः अश्विनी कुमार हैपी, का. भगवंत सिंह समाओं और गुरनाम सिंह भीखी ने भी सभा को सम्बोधित किया.
इस दिन जलियांवाला बाग जनसंहार घटना की शताब्दी मनाने के लिये कुछ किसान-मजदूर संगठनों के नेताओं और बुद्धिजीवियों द्वारा सम्मिलित रूप से गठित “जलियांवाला बाग शताब्दी समागम कमेटी”, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन और नौजवान भारत सभा द्वारा भी इस घटना की याद में बड़ी-बड़ी रैलियां संगठित कीं और हजारों की तादाद में उन्होंने जलियांवाला बाग तक मार्च करके वहां श्रद्धांजलि दी. इसके अलावा अलग-अलग राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं द्वारा भी अमृतसर में तथा अन्य शहरों में भी जलियांवाला बाग की घटना से सम्बंधित छोटे-बड़े कार्यक्रम आयोजित करके शहीदों को याद किया गया.
- सुखदरशन नत्त