28 फरवरी को एआईपीएफ द्वारा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आगामी लोकसभा चुनावों में जनता के वास्तविक सवालों को सामने लाने के लिए नागरिक घोषणापत्र जारी किया गया.
घोषणा पत्र जारी करने में एआईपीएफ के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य कविता कृष्णन, किरन शाहीन, लीना डाबिरू, विजय प्रताप, एन डी पंचोली, विद्या भूषण रावत, पुरूषोत्तम शर्मा, समाजवादी नेता सुनीलम, वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह, वरिष्ठ पत्रकार और ग्रीन आंदोलन के नेता सुरेश नौटियाल, जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष बालाजी, आदिवासी नेता जेवियर कुजूर, समाजवादी नेता शंभू शरण अग्रवाल, एआईपीएफ संयोजक गिरिजा पाठक सहित विभिन्न गणमान्य लोगों एवं प्रेस की उपस्थिति में 2019 के चुनावों में जन अभियान की शुरुआत करने के लिए नागरिक घोषणा पत्र जारी किया गया.
घोषणा पत्र जारी करने से पहले अपने अपने वक्तव्य में कविता कृष्णन ने बताया कि 16-17 फरवरी को दिल्ली में एआईपीएफ के पूर्व निर्धारित राष्ट्रीय कार्यक्रम में जनता के घोषणापत्र को जारी किया जाना था, लेकिन पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हमले के बाद हमले में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया. आज जब हम चार्टर को जारी कर रहे हैं तो देश में युद्ध का माहौल बनाया जा रहा है और हमारी वायु सेना का एक पायलट पाकिस्तान की गिरफ्रत में है. आज यह बात हर कोई देख सकता है कि युद्धोन्माद के माहौल को कम करने के बजाय इसी वक्त मेरा बूथ सबसे मजबूत या खेलो इंडिया ऐप जारी करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेता उन्माद को वोटों में बदलने और इससे चुनावों की तैयारी में लगे हैं. कविता कृष्णन ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाब दें कि बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या रोकने में अपनी विफलता, मजदूरों के अधिकारों पर हमला, महिला-दलित-अल्पसंख्यकों के लगातार भय और असुरक्षा में जीने जैसे हालातों को पैदा करने की जिम्मेदारी किसकी है. वे पुलवामा या युद्धोन्माद के जरिए इन सवालों को ढंकने की कोशिश न करें.
समाजवादी और किसान नेता सुनीलम ने कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. इससे दोनों देशों को नुकसान ही होगा. उन्होंने कहा कि मोदी ने सत्ता में आते ही कॉरपोरेट के लिए काम करना शुरू कर दिया था जिसकी शुरुआत भूमि अधिग्रहण बिल पर अध्यादेश लाकर की गई.
आदिवासी एवं जंगल बचाओ आन्दोलन के नेता जेवियर कुजूर ने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद किसी भी दौर से ज्यादा आदिवासियों पर हमले बढ़े हैं. यही नहीं केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण ही आज तक वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को उनकी जमीन तो नहीं दी जा रही है, उल्टे उन्हें बेदखल करने की साजिशें की जा रही हैं.
वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने युद्धोन्माद के खिलाफ सभी समान विचार की ताकतों को खुलकर आगे आने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी सफाईकर्मियों के पैर धोने का नाटक करते हैं वह जाति व्यवस्था को बनाए रखने और मजबूत करने की ही कोशिश है.
जनेवि छात्रा संघ अध्यक्ष एन. साई बाला जी ने कहा कि सरकार और मीडिया द्वारा इस समय युद्धोन्माद फैलाया जा रहा है जबकि पुलवामा की आतंकी कार्रवाई के लिए खुफिया रिपोर्ट होने और बिना उचित सुरक्षा के सुरक्षा बलों की जान जोखिम में डालने के लिए कौन जिम्मेदार है इसे तय कर कार्रवाई की जानी चाहिए.
वक्ताओं के संबोधन के बाद सभी आमंत्रित जनों ने सिटीजन चार्टर को जारी किया और तय किया कि पिछले पांच वर्षों में देश के संविधान - लोकतंत्र - समाज के विभिन्न तबकों और जनता के बुनियादी सवालों के साथ भाजपा-मोदी सरकार द्वारा किए गए हमलों के खिलाफ और चुनावों में आम जन के वास्तविक प्रश्नों को मुख्य एजेंडा बनाने के लिए पूरे देश में जन अभियान संगठित किया जाएगा.
एआईपीएफ राष्ट्रीय परिषद ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव देश के लोकतंत्र के लिए निर्णायक होंगे. देशवासियों के साथ हम सब पर भी एक ऐसी सरकार के चुनाव की जिम्मेदारी रहेगी जिसमें देश के संविधान और धर्मनिरपेक्ष ढांचे को सुरक्षित रखने के साथ ही आम जन के बुनियादी सवालों को भी हल किया जा सके. इसी प्रयास में ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) 2019 आम चुनाव के लिये भारतीय जनता का घोषणा पत्र जारी कर रहा है. इस अभियान को किसान आन्दोलन, मजदूर आन्दोलन, छात्रा-युवा आन्दोलन, रोजगार अधिकार आन्दोलन, दलित आन्दोलन, महिला आन्दोलन, मानवाधिकार आन्दोलन तथा अन्य नागरिक आन्दोलनों का समर्थन है.
एआईपीएफ चुनावों से पहले इस घोषणापत्र को लेकर जनता के बीच में अभियान चलायेगा और सभी विपक्षी दलों से इस घोषणापत्र को अपनाने की अपील करेगा ताकि चुनाव के बाद जो भी सत्ता में आयें उनकी जवाबदेही तय हो सके.
2019 के चुनाव के लिये भारतीय जनता के घोषणा पत्र की मुख्य बात है कि हमें 99 प्रतिशत नागरिकों का भारत चाहिये, सिर्फ 1 प्रतिशत का भारत हरगिज नहीं. जनता की मांग है कि
आगामी लोकसभा चुनाव देश में अब तक हुए अन्य चुनावों की तरह के सामान्य चुनाव नहीं है. मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज देश में बेरोजगारी के हालात पिछले 45 सालों में सबसे बदतर हो चुके हैं. कृषि संकट चरम पर है, किसानों की बरबादी बदस्तूर जारी है. छोटे व्यापारियों और उद्योगों को नोटबंदी और जीएसटी के बाद लगातार घाटा झेलना पड़ रहा है. खाद्य और जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं. संघ परिवार द्वारा महिलाओं की आजादी पर बढ़ते हमले और भाजपा व उसके नेताओं द्वारा जगह-जगह बलात्कारियों व यौन उत्पीड़कों का बचाव करते देख कर ’बेटी बचाओ’ नारा एक क्रूर मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है.
राजनीति में परिवारवाद का विरोध करने का नाटक करने वाली भाजपा और मोदी के राज में नेता-पुत्रों और कॉरपोरेट घरानों की चांदी कट रही है. अमित शाह का बेटा जय शाह और अजित डोभाल का बेटा विवेक डोभाल विशालकाय घोटालों में लिप्त हैं. अम्बानी-अडानी आदि को मुनाफा पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े घोटालों में खुद प्रधानमंत्री कार्यालय संलिप्त है.
मोदी सरकार का कुल जमा यही हासिल है कि उसने हर लोकतांत्रिक संस्था पर- संसद, राज्यों के अधिकार, सीबीआई, आरबीआई, आईबी, एनएसए, राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग, योजना आयोग, न्यायपालिका, विश्वविद्यालय, विज्ञान, शिक्षा और इतिहास आदि की तमाम संस्थाओं और राष्ट्रीय परिषदों पर हमला बोल दिया है. देश के संविधान और जनता के संवैधानिक अधिकारों पर प्रहार किया है. देश को साम्प्रदायिक आधार पर तोड़ने की कोशिश की है, और साम्प्रदायिक व जातिवादी गिरोहों को देश के अल्पसंख्यकों, दलितों और महिलाओं पर हमला करने की खुली छूट ही नहीं दी है बल्कि उनको उकसाया भी जा रहा है.
मोदी सरकार से देश को बचाना आज का सबसे महत्वपूर्ण कार्यभार बन गया है. 2019 का चुनाव इसी लिए हम सबके लिए बेहद अहम होंगे, अब ऐसी सरकार को वापस नहीं आना चाहिए. जितनी क्षति यह सरकार देश की संस्थाओं और समाज के ताने-बाने को पहुंचा चुकी है उसकी भरपाई करने और लोकतंत्र को पुनर्बहाल करने व नई ऊर्जा फूँकने का कार्यभार आज देश के सामने है.
सम्पूर्ण विपक्ष के सामने आज इसी कार्यभार को पूरा करने की ऐतिहासिक चुनौती है. जाहिर है इसके लिए सभी को पिछले घटनाक्रम से सबक लेने होंगे और ऐसी वैचारिक, नीतिगत दिशा अपनानी होगी कि देश का लोकतंत्र मजबूत हो. देश की जनता एवं जनांदोलन आगामी सरकारों को भी इसी जनपक्षधर दिशा के लिए जवाबदेह ठहरायेंगे. यह चुनाव देश के संविधान, लोकतंत्र, हमारी संस्कृति व मूल्यों को