वर्ष - 28
अंक - 13
23-03-2019

नेपाल के राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा विगत 10-11 मार्च को काठमांडू में दो दिन के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन का विषय था - ‘खाद्य संप्रभुता और किसान अधिकार’. नेपाल के प्रधानमंत्री का. केपी ओली सम्मेलन के उद्घाटन सत्रा में मुख्य अतिथि थे. सत्रा की अध्यक्षता राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष का.  चित्रा बहादुर ने की. सम्मेलन में नेपाल, भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, श्रीलंका, उत्तर कोरिया, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि देशों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. भारत से अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से राष्ट्रीय सचिव का. पुरुषोत्तम शर्मा, अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से महासचिव का. हन्नान मौला और खाद्य संप्रभुता नेटवर्क दक्षिण एशिया की उज्जयिनी हलीम ने सम्मेलन में भागीदारी की.

काठमांडू सम्मेलन के पहले सत्र में किसान आयोग की प्रस्तुति में नेपाल की कृषि और उस पर निर्भर दो-तिहाई आबादी के खाद्य सुरक्षा व आजीविका के सवालों को पेश किया गया. प्रधान मंत्री का. केपी ओली ने कहा कि नेपाल ने खाद्य संप्रभुता और खाद्य सुरक्षा को संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दे दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में हमें बड़े कदम उठाने होंगे. नेपाल को लेकर दो बातें चल रही हैं एक भूमि के निजी स्वामित्व का खात्मा चाहते हैं. दूसरे, किसानों की को-आपरेटिव के जरिये खेती को विकसित करना चाहते हैं. विपक्षी कांग्रेस के पूर्व मंत्री मिनेन्द्र रिजा के भाषणों से लगा कि नेपाल में सहकारिता के आधार पर खेती के लिए आम सहमति बन सकती है. नेपाल में खेती किसानी और उस पर निर्भर बड़ी आबादी की आजीविका पर गंभीर बहसें चल रही हैं. इसलिए आज यहां की सरकार के साथ ही विपक्ष व आम जनता में भी इस सवाल पर जद्दोजहद जारी है. दूसरे सत्र में भी इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया और श्रीलंका के प्रतिनिधियों ने अपने देशों की कृषि अर्थव्यवस्था और किसानों के हालत पर अपने तथ्य, विश्लेषण और सरकारों की भूमिका पर पावर प्वाइंट के जरिये अपनी प्रस्तुति दी. प्रस्तुतियों के बाद सवाल-जवाबों का कार्यक्रम चला. सम्मेलन में दिखा कि देश दुनिया के भूगोल में कोई कहीं भी हो, पर जिनकी बड़ी आबादी कृषि व उसके सहायक रोजगार पर निर्भर है, सबकी समस्या एक-सी है.

एक सत्र में नेपाल सरकार के कृषि मंत्रालय की ओर से खाद्य संप्रभुता व खाद्य सुरक्षा पर तैयार की जा रही प्लानिंग पर एक प्रस्तुति थी. नेपाल को 10 साल में पूर्ण रूप से जैविक उत्पादन का देश बनाने का लक्ष्य भी है. खेती नेपाल की बड़ी आबादी के रोजगार का आधार बने, उसे लेकर ज्यादा उत्पादन व व्यावसायिक खेती की तरफ बढ़ने की योजनाएं थी.

उसके बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश की ओर से प्रजेंटेशन था. पाकिस्तान में 65 प्रतिशत जमीन अभी भी बड़े जमीन्दारों के पास है. 1957, 1972 और 1979 में तीन बार वहां भूमि सुधार के कानून बने. पर वहां की शरीयत अदालत ने बाद में इन भूमि सुधार कानूनों को इस्लाम के खिलाफ घोषित कर दिया. पाकिस्तान और बंग्लादेश दोनों देशों में मछुआरों के सवाल भी समान रूप से मौजूद हैं. उत्तर कोरिया से खेत मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष किल संग बोंग ने अपने देश के संकट को गिनाते हुए कहा कि उत्तर कोरिया की जनता अपने देश के जन्म से ही अमरीकी साम्राज्यवाद के प्रतिबंधों और षड्यंत्रों को झेल रही है. न हमें बाहर से कुछ लाने दिया जाता है और न ही कुछ बेचने दिया जाता है. हमारी जनता साम्राज्यवाद से लड़ते हुए अपने सीमित संसाधनों के न्यायपूर्ण बटवारे के साथ आगे बढ़ रही है.  

उन्होंने बताया कि उत्तर कोरिया में खेती की जमीन का निजी स्वामित्व नहीं है. गांव-गांव में कृषि मजदूरों की सहकारी समितियां बनाई गई हैं. जमीन उन्हें सौंपी गई है. सरकार ने हर सहकारी समिति को एक इंजीनियर और एक कृषि वैज्ञानिक दिया है. समितियां आधुनिक और वैज्ञानिक खेती करती हैं. अपना उत्पादित माल सरकार को बेचती हैं और उससे हुई आय का न्यायपूर्ण बंटवारा करती हैं.

भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी के सदस्य और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव का. पुरुषोत्तम शर्मा ने इस सम्मेलन में शिरकत की और उसे संबोधित किया. अपने वक्तव्य में उन्होंने अपने देश में ‘राष्ट्रीय किसान आयोग’ का गठन कर अपनी कृषि और किसानों के सवालों को समझने और हल करने की एक आवश्यक पहल करने के लिए नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी सरकार और सबको एक जगह पर इकट्ठा कर अपने अनुभवों और समस्याओं को साझा करने और समाधान के लिए सामूहिक विमर्श करने का मौक़ा देने के लिए वहां के राष्ट्रीय किसान आयोग को धन्यवाद दिया. उन्होंने सम्मेलन में एक पर्चा प्रस्तुत किया और खेती की जमीन और अपने बीजों को बचाने (जिसके बिना खाद्य संप्रभुता की रक्षा नहीं की जा सकती), खाद्य सुरक्षा के लिए पीडीएस सिस्टम को हर जरूरतमंद तक पहुंचाने और किसानों को संरक्षण देने के लिए लाभकारी मूल्य पर उनकी सभी फसलों की खरीद की गारंटी को भी ‘काठमांडू संकल्प’ में शामिल करने का सुझाव दिया.
सम्मेलन के समापन सत्र को चर्चित कुम्युनिस्ट नेता व नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल ‘प्रचंड’ ने संबोधित किया. 12 मार्च को काठमांडू अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आए विदेशी मेहमानों को काठमांडू के नजदीक के पर्यटन स्थलों को दिखाया गया.