पुलवामा हमले के बाद पूरा देश गुस्से में है. हमारे पचास सीआरपीएफ जवान शहीद हुए हैं.
जहां पूरा देश इस दु:ख से उबरने की कोशिश कर रहा है, वहीं संघ ब्रिगेड इस जोड़-तोड़ में है कि कैसे हमारे जवानों के बलिदान का इस्तेमाल जन-भावनाओं को भड़काने के लिए किया जाय. वे इस हमले के जरिए वोटों की फसल काटना चाहते हैं. पाकिस्तान से युद्घ और उसकी बरबादी के नाम पर नफरत का माहौल खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. इस माहौल की आड़ में कश्मीर, कश्मीर के लोगों, पूरे मुसलमान समुदाय के साथ साथ शांति, सद्भाव व न्याय की बात करने वालों, सरकार से जवाबदेही मांगने वालों पर हमला किया जा रहा है. यह बेहद चिंता की बात है कि संविधान की रक्षा की शपथ लेने वाले मेघालय के राज्यपाल (यहां और यहां देखें) और दिल्ली में एक भाजपा समर्थक विधायक समेत कर्इ लोग सीधे-सीधे कश्मीरी जनता का बहिष्कार करने, कश्मीरियों का जनसंहार करने, उनकी महिलाओं से बलात्कार करने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं और समाज में जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं. गुजरात के एक भाजपा नेता ने तो अपने कार्यकर्ताओं से खुल कर कह ही दिया कि 'राष्ट्रवाद की इस लहर को भाजपा के लिए वोटों में बदल दो'.(https://indianexpress.com/)
पुलवामा के शहीदों के लिए न्याय की मांग करना और पाकिस्तान की बरबादी की हुंकार भरते हुए मुसलमानों और कश्मीरियों पर साम्प्रदायिक हमले करवाना एक ही बात नहीं है. पुलवामा में शहीद एक जवान बबलू सांतरा की पत्नी ने कहा है कि ‘‘हमें युद्घ नहीं चाहिये. इससे तो मेरे जैसी कर्इ और महिलायें अपने पतियों को खो देंगीं. मेरी बेटियों की तरह कर्इ और बेटियां अपने पिताओं को खो देंगी. लेकिन मैं चाहती हूं कि जो इसके लिए जिम्मेदार हैं उन्हें सजा जरूर मिले.’’(https://indianexpress.com/)
एक और शहीद अजीत कुमार के भार्इ का कहना है कि ‘‘जब सभी एकसाथ मिल कर शहीदों के परिवारों का दु:ख कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तब ऐसे में कुछ नेता हमें बांटने की कोशिशों में क्यों लगे हैं? मोदी चुनाव इसलिये जीते क्योंकि उन्होंने कहा था कि सभी पिछली सरकारें खराब थीं, लेकिन अब मेरी राय है कि पिछले साढ़े चार साल आजाद भारत के सबसे बुरे दिन रहे हैं और हम सब जानते हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. सरकार अपने प्रचार पर बेतहाशा पैसे खर्च कर रही है लेकिन सैनिकों के कल्याण पर नहीं. सेना और सिपाहियों के ऊपर राजनीति क्यों खेली जा रही है? मैं देख रहा हूं कि शहीदों की शवयात्राओं में भी शर्मनाक रूप से राजनीति चल रही है.’’(https://aajtak.intoday.)
पुलवामा में शहीद हुए भागलपुर के जवान रतन ठाकुर के पिता का कहना है कि ‘‘अगर सरकार ने देश की सुरक्षा की वास्तव में चिंता की होती तो आज मेरा बेटा जिन्दा होता. ऐसे हमलों में गरीबों के बेटे ही मारे जाते हैं- अमीर परिवारों से कोर्इ सेना में सिपाही नहीं बनता. गरीबों के बेटे कब तक इस प्रकार बलिदान होते रहेंगे?’’ शहीद रतन ठाकुर के ससुर की चिंता है कि ‘‘हमारे बेटों के बलिदान का इस्तेमाल नफरत और हिंसा भड़काने के लिये हो रहा है. हमारे बेटे सत्ता के खेल की बलि चढ़ गये. अब इसका अंत होना चाहिए– ऐसी नफरत मत भड़काओ जिससे आतंकवाद पैदा होता हो.’’ (http://samkaleenlokyuddh.net/)
हम भारत के हर नागरिक से अपील करते हैं कि आपसी एकता और भाईचारे को बनाये रखें. भयभीत कश्मीरी नागरिकों और अल्पसंख्यकों को उन्माद फैलाकर राजनीति करने वालों की भीड़ से बचायें. आपसे हमारी यह भी अपील है कि सत्ता पर फिर से कब्जा जमाने के मकसद से संघ-भाजपा द्वारा चली जा रही ऐसी घिनौनी राजनीतिक चालों को नाकाम करें. पाकिस्तान तक में तमाम नागरिक पुलवामा आतंकी हमले का विरोध कर रहे हैं और वहां अपनी सरकार से जवाब मांग रहे हैं. हमारी भारत के सभी नागरिकों से अपील है कि चुनावपूर्व की जा रही युद्घोन्माद की सनक भरी बातों को खारिज करें. इतिहास गवाह है कि युद्ध स्वयं समस्या है किसी समस्या का समाधान नहीं है.
पुलवामा हमले को जनता की शांति और एकता को तोड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं करने दिया जा सकता. मोदी सरकार राफेल घोटाला, पूंजीपतियों की सरपरस्ती व भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों-मजदूरों की तबाही और उन्मादी भीड़ द्वारा हत्याओं के मामले में नाकामियों के चलते पहले ही सवालों के घेरे में है. पुलवामा में हुए हमले के लिए भी इस सरकार को जवाब देना होगा. मोदी सरकार को जवाब देना ही होगा कि सुरक्षा की किन खामियों की वजह से देश के सिपाहियों को अपनी जान गंवानी पड़ी? सरकार को यह भी बताना होगा की वह कश्मीर में ऐसी नीतियां क्यों लागू कर रही है कि हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में एक गैरजिम्मेदार सरकार से जवाब मांगना और सही नीतियां बनवाना हम सब की जिम्मेदारी है.
- भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी द्वारा जारी