वर्ष - 28
अंक - 10
02-03-2019

अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच ने 18 फरवरी को दिल्ली में एक बड़ी ‘शिक्षा हुंकार रैली’ संगठित की. यह रैली संसद मार्ग पर प्रतिवाद प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ जिसे प्रो. अनिल सद् गोपाल, भाकपा(माले) की पोलितब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, माकपा की पोलितब्यूरो सदस्य वृन्दा करात, राजद के प्रवक्ता प्रो. मनोज झा, प्रो. हरगोपाल, समाजवादी जन परिषद के अफलातून, एडवोकेट अशोक अग्रवाल तथा अन्य कई लोगों ने संबोधित किया. इन वक्ताओं ने कॉमन स्कूल सिस्टम के लिए चलाए जा रहे संघर्ष का समर्थन किया जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि गरीब का ही बच्चा क्यों न हो, उसे भी समान गुणवत्ता की शिक्षा हासिल हो सकेगी. रैली को संबोधित करते हुए का. कविता कृष्णन ने अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच की मांगों का समर्थन किया और कहा कि भाकपा(माले) सब के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की हिमायत करती है. उन्होंने शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में सामाजिक न्याय के प्रावधानों पर हमले की भर्त्सना करते हुए कहा कि 13 प्वाइंट रोस्टर और सामान्य श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के जरिये आरक्षण की सुविध को खत्म करने के प्रयासों का प्रतिरोध किया जाना चाहिए. प्रो. मनोज झा ने भी कॉमन स्कूल सिस्टम की मांग के प्रति अपनी पार्टी के समर्थन का एलान किया और कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण को बचाने के लिए संघर्ष करेगी. प्रो. अनिल सद्गोपाल और प्रो. हरगोपाल ने वर्तमान सरकार की कई ऐसी शिक्षा नीतियों के बारे में बताया जिससे इस क्षेत्र में बहिष्करण व असमानता बढ़ेगी.

इसके बाद रैली संसद मार्ग से अंबेदकर भवन पहुंची जहां कई छात्रा युवा संगठन के लोग इसमें शामिल हो गए. वहां शिक्षा पर जनता का संसद लगाया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो. प्रभात पटनायक, प्रो. केएम श्रीमाली, प्रो. झात्सू तरहुजा, प्रो. चक्रधर राव, प्रो. अनिल सद्गोपाल और श्री प्रभाकर अराडे ने की. अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच शिक्षा नीतियों पर राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह चला रहा है और इसके मत-पत्रा वहां वितरित किए गए. इस जन संसद को विभिन्न छात्रा, युवा और जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया. प्रोफेसर प्रभात पटनायक ने दुनिया भर में शिक्षा पर किए जा रहे फासिस्ट हमले के बारे में बताया. आइसा की दिल्ली इकाई अध्यक्ष कंवलप्रीत ने बताया कि निजीकरण और बहिष्करण की अपनी नीतियों के जरिये वर्तमान सरकार कैसे विश्वविद्यालयों को बर्बाद कर रही है. उन्होंने कहा कि देश का छात्रा आन्दोलन इन हमलों का मुकाबला करेगा और रोहित वेमुला के सपनों को आगे ले जाएगा. उन्होंने मांग की कि छात्रा नेताओं पर लगाए गए देशद्रोह के मुकदमों को वापस लिया जाए तथा कैंपस जवनाद पर किए जा रहे हमले को बंद किया जाए. जेएनयू छात्रा संघ के अध्यक्ष एन. साई बालाजी ने वहां पूछा कि अगर शिक्षा एक मौलिक अधिकार है, तो गरीब बच्चों के लिए निम्नस्तरीय शिक्षा ही क्यों दी जा रही है? शिक्षा अधिकार के तहत सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी होनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र पर हमले का मकसद है भारत में निजी विश्वविद्यालयों का मुनाफा बढ़ाना. उन्होंने कहा कि छात्रा युवा आन्दोलन भगवाकरण और इस क्षेत्र पर नव-उदारवादी हमले का जमकर मुकाबला करेगा. अनेक ग्रुपों ने प्रतिरोध और संघर्ष के गीत पेश किए. इस मौके पर ‘संगवारी’ के कामरेडों ने भी क्रांतिकारी गीत गाए.