बिहार के आश्रय गृहों - बालिका गृहों, अल्पावास गृहों, दत्तक केन्द्रों और सुधार गृहों में सरकारी धन की लूट, संवासिनों के साथ हिंसा और यौन उत्पीड़न के खुलासे का सिलसिला और इसके विरोध में जनता का आक्रोश दोनों ही थमने का नाम नहीं ले रहा है. ‘टिस’ की रिपोर्ट के जरिये मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 15 आश्रय गृहों से इसकी शुरूआत हुई और बहुत ही तेजी से देश के हर राज्य में संचालित ऐसे हर ऐसे आश्रय गृह की यही कहानी सामने आने लगी. सीबीआई के जरिए जांच कराने और चंद मंत्रियों-अधिकारियों को हटाने या सजा देने से उस सच्चाई पर पर्दा नहीं डाला जा सकता कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे नरेन्द्र मोदी-नीतीश कुमार ही इसके लिए जिम्मेवार हैं. पटना के आसरा होम में दो संवासिनों की साजिशाना हत्या ने ऐसे लोगों को जो अब भी थोड़ा बहुत न्याय होने की उम्मीद रखते थे, आंदोलित कर दिया है. सफल बिहार बंद आयोजित करने के बाद बिहार के वामदलों ने इसी परिस्थिति में विगत 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राज्य के तमाम जिला मुख्यालयों पर कैंडल मार्च आयोजित करने का आह्वान किया था. यहां प्रस्तुत है उसकी एक संक्षिप्त रिपोर्ट जिससे यह पता चलता है कि यह कार्यक्रम गांव-कस्बों तक में लागू हुआ है और बिहार के लोग न्याय पाने की लड़ाई को और आगे तक ले जाने का संकल्प ले चुके हैं.
मुजफ्फरपुर सहित बिहार के सभी शेल्टर गृहों की लड़कियों व महिलाओं के लिये न्याय के सवाल पर स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या में पटना सहित राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों व प्रमुख शहरों में कैंडल मार्च निकाला गया. आरा, जगदीशपुर, बक्सर, भभुआ, कुदरा, डिहरीऑनसोन, विक्रमगंज, सासाराम, जहानाबाद, अरवल, बिहारशरीफ, नवादा, गया, पालीगंज, फुलवारी, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, सीवान, गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी, पूर्णिया, भागलपुर, अररिया, खगड़िया आदि जगहों में कैंडल मार्च निकालकर प्रतिरोध सभा की गई और बालिका गृह कांडों के लिए जिम्मेवार नीतीश-मोदी से इस्तीफे की मांग की गई.
पटना में जीपीओ गोलबंर से वाम दलों व पटना के न्यायप्रिय नागरिकों ने कैंडल मार्च निकाला और स्टेशन रोड होते हुए बुद्धस्मृति पार्क पहुंचे. इसमें भाकपा-माले, भाकपा, माकपा, एसयूसीआईसी, फारवर्ड ब्लॉक आदि पार्टियों के नेता शामिल थे. ऐपवा सहित अन्य महिला संगठन भी कैंडल मार्च में शामिल थे. मार्च के दौरान बालिका गृह कांडों के जिम्मेवार नीतीश-मोदी इस्तीफा दो, बलात्कारियों का राजनीतिक संरक्षण नहीं चलेगा, मोदी तेरे राज में नहीं सुरक्षित नारी है, भाजपा-जदयू की बलात्कारियों से यारी है - आदि नारे लग रहे थे.
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की सदस्य व ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि कल हम आजादी की वर्षगांठ मनाएंगे लेकिन हमारी बेटियां गुलामों से भी बदतर जिदगी जी रही हैं. हमारे सत्ताधारियों ने ही उन्हें उस दलदल में ढकेल दिया है जहां उनके दर्द का कोई अंत नहीं. नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार बताएं कि शेल्टर गृह में रहने वाली लड़कियों के लिए आजादी के क्या मायने हैं? उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में ही खौफ का माहौल बना दिया गया है. दिल्ली में पार्लियामेंट के इलाके में उमर खालिद पर गोली चलती है. आज देश के छात्र-नौजवान, छात्राएं, कमजोर व अल्पसंख्यक समुदाय के लोग खौफ में जी रहे हैं. हमें इस खौफ से आजादी चाहिए.
माकपा केन्द्रीय कमेटी के सदस्य अरुण मिश्रा ने कहा कि शेल्टर गृहों में यौन उत्पीड़न का मामला जिस स्तर पर पहुंच गया है उसमें नीतीश कुमार व सुशील मोदी को अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए. लेकिन ये नेता ऐसा नहीं कर रहे हैं. अब तो महिलाओं व लड़कियों की संदिग्ध मौतें हो रही हैं. हमें पूरी आशंका है कि आसरा शेल्टर होम की उन दो महिलाओं की मौत नहीं हुई है बल्कि उनकी हत्या की गई है. ऐसी स्थिति में नीतीश जी को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है.
भाकपा के जिला सचिव रामलला सिंह ने कहा कि 15 वर्षों में बिहार में एक नए किस्म का माफियातंत्र विकसित हुआ है जिसके तहत सरकारी संसाधनों की संस्थागत लूट व उत्पीड़न अनवरत जारी है. गैर सरकारी संगठनों को सरकार में भागीदार बनाने की नीतीश सरकार की नीतियों ने बालिका गृहों को सेक्स रैकेट व चाइल्ड एब्यूज का केन्द्र बना दिया है. इन्हीं नीतियों ने सृजन घोटाले, मनरेगा लूट और जीविका-शिक्षा- शौचालय-दवा आदि घोटालों को जन्म दिया. एसयूसीआईसी के सूर्यंकर जितेन्द्र ने कहा कि महिलाओं की आजादी व शेल्टर होम गृहों को यातना गृह बनाए जाने के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी. अखिल हिंद फारवर्ड ब्लाक के अशोक कुमार ने भी सभा को संबोधित किया.
इस मौके पर चर्चित कवि आलोक धन्वा, पटना विवि के पूर्व शिक्षक प्रो. शंकर आशीष दत्त, मुनीमा समी, माले के वरिष्ठ नेता केडी यादव, ऐपवा राज्य सचिव शशि यादव, भाकपा के रवीन्द्र नाथ राय, इरफान अहमद, गजनफर नबाव, माकपा के गणेश शंकर सिंह व मनोज चंद्रवंशी, आइसा के विकास यादव व रामजी यादव, एआईएसएफ के सुशील कुमार, इनौस के नवीन कुमार आदि भी उपस्थित थे. अध्यक्षता माले के वरिष्ठ नेता राजाराम ने की. इस मौके पर कोरस ने अजीमुल्ला खां का गीत ‘हम हैं इसके मालिक’ और महिलाओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ नुक्कड़ नाटक ‘रेलगाड़ी’ का प्रदर्शन किया.
पटना जिले के मसौढ़ी, पालीगंज, धनरुआ और फुलवारीशरीफ में भी भाकपा (माले) नेताओं की अगुआई में कैंडल मार्च आयोजित हुआ. मसौढ़ी में कमलेश कुमार और नागेश्वर पासवान, पालीगंज में माले राज्य कमेटी के सदस्य कॉ. अनवर हुसैन और खेत मजदूर नेता उमेश मांझी, फुलवारी में का. गुरूदेव दास और साधुशरण प्रसाद ने कैंडिल मार्च का नेतृत्व किया. जबकि धनरुआ में माले केन्द्रीय कमेटी के सदस्य कॉ. गोपाल रविदास तथा कमला देवी, जितेन्द्र राम और शिवपूजन यादव, नदवां में कॉ. विरेन्द्र प्रसाद तथा कादिरगंज में लोकप्रिय मुखिया कॉ. प्रमोद की अगुआई में कैंडिल मार्च हुआ.
भोजपुर के आरा में पूर्वी रेलवे गुमटी स्थित भाकपा(माले) के जिला कार्यालय से कैंडिल मार्च शुरू हुआ जो मिल रोड, नवादा चौक और थाना होते हुए आरा रेलवे स्टेशन परिसर पहुंचा. कैंडिल मार्च में तरारी क्षेत्र के भाकपा(माले) विधायक सुदामा प्रसाद, नगर सचिव दिलराज प्रीतम, सत्यदेव राम, हरिनाथ राम सुरेश पासवान आदि ने किया. मार्च में ऐपवा नेत्री संगीता सिंह व सुधा देवी, माकपा के जिला सचिव शिवकेश्वर राय, भाकपा के जिला सचिव प्रमोद कुमार समेत भारी तादाद में छात्र-छात्राएं व नागरिक भी शामिल थे.
स्टेशन परिसर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने ‘टिस’ रिपोर्ट के बाद भी इस मामले को प्राथमिकी दर्ज करने में सरकार की आनाकानी और मुजफ्फरपुर, पटना व मधुबनी आश्रय गृह के संचालकों ब्रजेश ठाकुर, मनीषा दयाल और प्रज्ञा भारती के साथ भाजपा-जदयू मंत्रियों-नेताओं द्वारा दिये जा रहे संरक्षण के मद्देनजर नीतीश-मोदी से अविलंब इस्तीफा देने की मांग की.
भाकपा(माले), इंकलाबी नौजवान सभा तथा कई अन्य कई संगठनों के दर्जनों लोगों ने जगदीशपुर (भोजपुर) में कैंडिल मार्च निकाला. कैंडिल मार्च भाकपा(माले) कार्यालय से निकला और पूरे शहर में मार्च करते हुए किला गेट पर पहुंचा. वहां आयोजित सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) राज्य कमेटी के सदस्य कॉ. अजीत कुशवाहा ने कहा कि जनांदोलन के दबाव में मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा लेकिन यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार के मुखिया नीतीश कुमार व उनके सहयोगी उपमुखिया सुशील मोदी इस्तीफा नहीं देते हैं. जिले के गड़हनी में भी भाकपा(माले) नेता महेश की अगुआई में कैंडिल मार्च निकाला गया.
बक्सर में भाकपा(माले) नेताओं - जिला सचिव कॉ. मनोहर, नारायण दास, अयोध्या प्रसाद, हरेन्द्र राम तथा आइसा नेता उमेश राणा के नेतृत्व में किला मैदान से रेलवे स्टेशन तक कैंडिल मार्च निकला गया. करीब दो सौ लोगों ने इसमें शिरकत की. स्टेशन परिसर में आयोजित सभा को सीपीआइ नेता व पूर्व सांसद तेजनारायण सिंह यादव ने भी संबोधित किया. कैमूर जिले के भभुआ में बेलौतिया पोखरा से एकता चौक तक हुए कैंडिल मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले) के जिला सचिव कॉ. विजय यादव, भाकपा के जिला सचिव बीगू शर्मा और माकपा के जिला सचिव रंगलाल पासवान ने संयुक्त रूप से किया. तीनों दलों के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने इसमें हिस्सा लिया. कुदरा में भाकपा(माले) नेता दुखी राम की अगुआई में कैंडिल मार्च हुआ.
रोहतास जिले के सासाराम में भाकपा(माले) नेता कैसर नेहाल की अगुआई में सौ से अधिक लोग रेलवे स्टेशन परिसर में जमा हुए और वहां से कचहरी होते हुए पोस्ट ऑफिस चौराहे तक कैंडिल मार्च निकालकर सभा आयोजित की. भाकपा नेता विजेन्द्र केसरी भी मार्च में शामिल थे. विक्रमगंज में भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी के सदस्य कॉ. अरुण सिंह के नेतृत्व में सौ से भी अधिक माले और भाकपा कार्यकर्ताओं ने कैंडिल मार्च निकाला जो पड़ाव स्थित माले कार्यालय से चौक, सासाराम रोड और डिहरी रोड होते हुए पुनः चौक तक आया जहां जनसभा आयोजित की गयी. डिहरी में भी भाकपा(माले) नेता अशोक सिंह की अगुआई में अम्बेडकर चौक से थाना मोड़ तक कैंडिल मार्च निकाला गया.
बालिका गृह यौन उत्पीड़न कांड के जिम्मेवार नीतीश-मोदी से इस्तीफा की मांग करते हुए जहानाबाद में रेलवे स्टेशन परिसर से अरवल मोड़ तक कैंडिल मार्च निकाला गया जिसमें भाकपा(माले) के साथ ही भाकपा, माकपा और एसयूसीआइ (सी) के नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए. घोसी प्रखंड के लखावर, कुर्रे, शाहोबिगहा, परावन, हुलासगंज प्रखंड के कटौली, काको प्रखंड के सुलेमानपुर, मखदुमपुर प्रखंड के सुमेरा, जहानाबाद प्रखंड के मांदेबिगहा, सहित दर्जनों गांवों में मशाल जुलूस निकाला गया.
अरवल में भगत सिंह चौक से शुरू होकर प्रखंड कार्यालय होते हुए शहर के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरनेवाले कैंडिल मार्च में सैकड़ों लोग शामिल हुए. महावीर चौक पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव कॉ. महानंद ने बिहार के मुजफ्फरपुर समेत देश के विभिन्न आश्रय गृहों में रहनेवाली महिलाओं व बच्चियों के साथ दुष्कर्म व उत्पीड़न की घटनाओं के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने देश भर से आनेवाली रिपोर्ट के आधार पर ऐसे तमाम आश्रय गृहों को सीबीआइ जांच के दायरे में लाने तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उनके सहयोगी सुशील मोदी से अविलंब इस्तीफा देने की मांग की. कैंडिल मार्च को भाकपा नेता रामचंद्र पाठक, माले नेता रविन्द्र यादव, उपेन्द्र पासवान, गणेश यादव, कुमार वैभव, प्रो. मदन सिंह आदि ने भी संबोधित किया. अधिवक्ता शैलेश शर्मा, राजनारायण चौधरी, टुन्ना शर्मा आदि समेत दर्जनों नागरिक भी इस मार्च में शामिल हुए.
गया में अम्बेडकर पार्क से जीबी रोड, केपी रोड होते हुए टावर चौक तक कैंडिल मार्च निकाला गया. मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले) के जिला सचिव निरंजन कुमार, माले नेता सुदामा राम, भाकपा नेता मसूद मंजर, माकपा नेता पीएन सिंह, आइसा के रीतेश कुमार और एआइएसएफ के कुमार जितेन्द्र ने किया. मार्च के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने गया में चलनेवाले अल्पावास गृह, बाल सुधार गृह, वृद्धाश्रम आदि को भी सीबीआइ जांच के दायरे में लाने की मांग की.
औरंगाबाद जिले में औरंगाबाद, ओबरा, दाउदनगर और हसपुरा में सैकड़ों लागों की भागीदारी के साथ कैंडिल मार्च निकाला गया और नीतीश-मोदी के इस्तीफे की मांग की गई. भाकपा(माले) जिला सचिव मुनारिक राम समेत अन्य माले नेताओं ने कैंडिल मार्च का नेतृत्व किया.
मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा के बिहारशरीफ में भी वाम दलों ने संयुक्त कैंडिल मार्च निकाला और नीतीश मोदी से इस्तीफे की मांग की. अस्पताल मोड़ चौराहा से शुरू होकर यह मार्च सराय पर चौराहा पहुंचा जहां सभा आयोजित की गई. सभा को संबोधित करते हुए माले नेता कॉ. अरुण यादव ने कहा कि भाजपा-जदयू की बलात्कारियों से यारी है और उन्हें बचाने के लिए अब उत्पीड़ित महिलाओं-बच्चियों की हत्या करवाई जा रही है.
नवादा में स्टेशन परिसर से कैंडिल मार्च निकाल कर प्रजातंत्र चौक पर सभा आयोजित की गई. मार्च में भाकपा(माले) नेता भोला राम व अजीत कुमार मेहता, भाकपा नेता जयनंदन सिंह, माकपा नेता नरेशचंद्र शर्मा और ऐपवा की नेता सुदामा देवी, सावित्री देवी आदि समेत सौ से अधिक लोग शामिल हुए.
दरभंगा में लोहिया चौक से लहेरियासराय टावर तक कैंडिल मार्च निकाला गया जिसमें सैकड़ों की तादाद में लोग शामिल हुए. कैंडिल मार्च की अगुआई भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के सदस्य कॉ. धीरेन्द्र झा, माकपा राज्य सचिवमंडल के सदस्य ललन चौधरी, भाकपा के जिला सचिव नारायण जी झा, माकपा के जिला सचिव अविनाश कुमार ठाकुर तथा भाकपा(माले) के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने की. कैंडिल मार्च में एसयूसीआइसी के सुरेन्द्र दयाल सुमन तथा वरिष्ठ माले नेता आरके साहनी और लक्ष्मी पासवान, इंसाफ मंच के नेयाज अहमद समेत दर्जनों माले नेता शामिल थे. लहेरिया सराय टावर चौक पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कॉ. धीरेन्द्र झा ने कहा कि मुजफ्फरपुर और पटना आश्रय गृह की घटनाओं ने पूरे राज्य को शर्मसार कर दिया है. सरकार संरक्षित-पोषित बालिका गृहों में रह रही बच्चियों व महिलाओं के साथ अमानवीय कृत्य और इसको सरकार के मंत्रियों-अधिकारियों द्वारा दिये जा रहे संरक्षण ने पूरी व्यवस्था की पोल खेल दी है. उन्होंने न्याय की इस लड़ाई को आगे बढ़ाने तथा इसकी अगली कड़ी के बतौर आगामी 28 अगस्त को पूरे राज्य में मानव श्रृंखला खड़ी करने का आह्वान किया.
मुजफ्फरपुर में वाम दलो व लोकतांत्रिक संगठनों ने मिलकर कैंडिल मार्च निकाला और सरैयागंज टावर पर सभा आयोजित की और सरकार से ऐक्शन टेकेन रिपोर्ट जारी करने तथा इन कांडों के लिए नीतीश-मोदी को जिम्मेवार ठहराते हुए अविलंब इस्तीफा देने की मांग की. कैंडिल मार्च की अगुआई भाकपा(माले) के जिला सचिव कृष्णमोहन, भाकपा के जिला सचिव रामकिशोर झा, माकपा के जिला सचिव अब्दुल गफ्रफार, एसयूसीआइ (सी) के काशीनाथ सहनी, सीपीआइएमएल (न्यू डेमोक्रेसी) के रामवृक्ष राम, खेमस नेता शत्रुघ्न सहनी ने की. कैंडिल मार्च में इंसाफ मंच के आफताब आलम, महिला नेता शारदा देवी, आइसा नेता दीपक कुमार तथा प्रो. अरविंद कुमार डे, मनोज कुमार वर्मा, वीरेन नंदा, अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह, बैजू कुमार व विभाकर विमल आदि बुद्धिजीवियों समेत दो सौ से भी अधिक की संख्या में लोग शामिल हुए. बोचहां में माले सचिव रामबालक सहनी, कुढ़नी में माले नेता होरिल राय व माकपा नेता सुन्देश्वर महतो, बंदरा में माले सचिव रामबली मेहता के नेतृत्व में सैकड़ों लेागों की भागीदारी के साथ कैंडिल मार्च हुआ. इनौस की ओर से शहर के जीरो माइल स्थित शहीद भगत सिंह चौक पर भी कैंडिल मार्च हुआ.
भाकपा(माले), भाकपा और माकपा ने समस्तीपुर के स्टेशन चौराहा से कैंडिल मार्च निकाला. मार्च का नेतृत्व माले नेता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह व रामकुमार, माकपा के रघुनाथ राय और रामसागर पासवान तथा भाकपा के शत्रुघ्न राय और प्रयागचंद्र मुखिया ने की. मार्च के बाद आयोजित सभा में नीतीश मोदी से इस्तीफे की मांग करते हुए आगामी 28 अगस्त को आयोजित होनेवाली मानव शृंखला को भी सफल बनाने की अपील की गयी.
भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं ने मधुबनी रेलवे स्टेशन परिसर से कैन्डिल मार्च निकालकर नगर थाना चौक पर सभा की. वक्ताओं ने मुजफ्फरपुर और मधुबनी बालिका गृह से गायब लड़कियों को अविलंब बरामद कर उनका बयान दर्ज करने, बालिका गुह को बलात्कार व हत्या गृह में बदल देनेवालों के संरक्षक नीतीश-मोदी से इस्तीफा देने की मांग की. मार्च का नेतृत्व अनिल कुमार सिंह, विश्वंभर कामत, प्रेम कुमार झा आदि माले नेताओं ने किया. नेताओं ने मधुबनी बालिका गुह को भी सीबीआइ जांच के दायरे में लाने की मांग की. आइसा-इनौस के बैनर तले भी अलग से कैंडिल मार्च हुआ.
सीवान में भाकपा(माले) कार्यालय, खुर्माबाद से कैंडिल मार्च निकाला गया जो शहीद चंद्रशेखर चौराहा और हॉस्पिटल मोड़ होते हुए जेपी चौक पहुंचा जहां सभा आयोजित कर नीतीश-मोदी से इस्तीफा की मांग की गयी. कैंडिल मार्च का नेतृत्व केन्द्रीय कमेटी के सदस्य व जिला सचिव नईमुद्दीन अंसारी, हंसनाथ राम, देवेन्द्र राम, इनौस के नेता सुजीत कुशवाहा तथा आइसा नेता जयशंकर आदि ने की. मैरवां में ऐपवा नेत्री सोहिला गुप्ता के नेतृत्व में माले कार्यालय से स्टेशन चौक तक कैंडिल मार्च हुआ.
गोपालगंज में भाकपा(माले), भाकपा व माकपा के दर्जनों कार्यकर्ता मौनिया चौक पर जमा हुए जहां से भाकपा(माले) जिला सचिव इंद्रजीत चौरसिया व आइसा नेता अजातशत्रु, भाकपा नेता गणेश जी तथा माकपा नेता अवधेश बारी की अगुआई में कैंडिल मार्च हुआ और अंबेदकर चौक पर सभा आयोजित की गयी. साथ ही, विजयीपुर में माले नेता जीतेन्द्र पासवान के नेतृत्व में कैंडिल मार्च निकाला गया.
बेतिया में शहीद पार्क से भाकपा(माले), भाकपा और माकपा का संयुक्त कैंडिल मार्च निकला जो भगत सिंह चौक होते हुए कलक्टरी तक पहुंचा. कैंडिल मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी के सदस्य कॉ. वीरेन्द्र गुप्ता व राज्य कमेटी सदस्य सुनील यादव, भाकपा के जिला सचिव ओमप्रकाश क्रांति तथा माकपा जिला सचिव प्रभुराज नारायण राव आदि नेताओं ने किया. नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में जिम्मेदार ठहराये गए नीतीश-मोदी से इस्तीफा देने की मांग की. मोतिहारी में भाकपा(माले) नेताओं - जिला सचिव प्रभुदेव यादव, भैरव प्रसाद सिंह, विष्णुदेव यादव, राघव साह तथा भाकपा नेताओं - जिला सचिव रामबचन तिवारी तथा शिवशंकर सिंह की अगुआई में चरखा चौक से कैंडिल मार्च हुआ तथा बाजार चौक पर सभा आयोजित की गई.
अररिया में भी भाकपा(माले) सहित वाम दलों ने कैंडिल मार्च आयोजित किया. यह मार्च बस पड़ाव स्थित क्रांति स्तंभ के पास से शुरू होकर चांदनी चौक तक गया. मार्च की अगुआई भाकपा(माले) नेता नवलकिशोर, माकपा नेता राम विनय राय और भाकपा नेता गेनालाल महतो ने की. कैंडिल मार्च में सैकड़ों महिला, पुरुष व बच्चे शामिल हुए.
बेगूसराय में भाकपा(माले), भाकपा और माकपा ने मिलकर स्टेशन परिसर से अंबेदकर चौक तक कैंडिल मार्च निकाला. कैंडिल मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले के नेता चंद्रदेव वर्मा, व राजेश श्रीवास्तव, भाकपा नेता अनिल अंजान और राजेन्द्र चौधरी तथा पूर्व विधायक व माकपा नेता राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने किया. जिले के बलिया में आइसा के बैनर तले कैंडिल मार्च निकाला गया जिसमें दर्जनों छात्र-युवाओं ने शामिल होकर नीतीश-मोदी से इस्तीफे की मांग की.
भागलपुर में भाकपा(माले), भाकपा और माकपा की ओर से मिल-जुलकर भगत सिंह चौक से डॉ. भीम राव अम्बेदकर चौक तक कैंडिल मार्च निकाला गया. मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य का. एसके शर्मा, नगर प्रभारी मुकेश मुक्त, माकपा जिला सचिव दशरथ प्रसाद, एसयूसीआई के जिला प्रभारी दीपक कुमार, भाकपा के जिला सचिव सुधीर शर्मा ने किया. खगड़िया में भी भाकपा(माले) नेता सुभाष सिंह तथा जमुई में शंभु शरण सिंह की अगुआई में कैंडिल मार्च आयोजित हुआ.
पूर्णियां में वाम दलों की ओर से खीरू चौक से आरएन साह चौक तक केंडिल मार्च हुआ जिसकी अगुआई भाकपा (माल) नेता इस्लामुद्दीन, ललन सिंह और अविनाश पासवान, भाकपा के जिला सचिव विनोद कुमार सिंह तथा माकपा के जिला सचिव सुनील सिंह ने की.
प्रस्तुति: संतोष सहर