लोकतंत्र की रक्षा के लिये प्रजा नहीं, नागरिक चाहिये

(कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य का साक्षात्कार, आनंदबाजार पत्रिका के लिये अनिर्वाण चट्टोपाध्याय द्वारा)

 

प्रश्न: विगत 30 जुलाई को कोलकाता में भाकपा(माले)-लिबरेशन का जन-कन्वेंशन तो काफी सफल रहा. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पैदा हुई परिस्थिति में आज 2 अगस्त को आपको क्या लग रहा है, इस दौर में कोई सकारात्मक संकेत मिल रहा है?

कामरेड चारु मजुमदार

‘चारु मजुमदार भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के समूचे इतिहास में पहले और एकमात्र कम्युनिस्ट नेता थे, जिन्होंने भारतीय क्रांति की सजीव तस्वीर पेश की थी, और इस महानायक के पीछे जैसे जादू के जोर से खींची चल पड़ी थी दसियों हजार नौजवान कम्युनिस्टों की एक समूची पीढ़ी, जिस पीढ़ी ने स्वेच्छा से - रवीन्द्रनाथ की भाषा में - ‘जीवन आर मृत्यु के पायेर भृत्य बनिये’ - शहादत कबूल की थी। ठीक जिस तरह भगत सिंह की लाश को अंग्रेजों ने रातोंरात जला दिया था, उसी तरह चारु मजुमदार के शव को भी कड़े पुलिस पहरे में रातोंरात भस्मीभूत कर दिया गया.

22 लोकसभा क्षेत्रों से प्रत्याशी घोषित -- चुनाव घोषणापत्र जारी

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन की करारी शिकस्त हेतु इस बार कम सीटों पर ही चुनाव लड़ने की घोषणा का पालन करते हुए  भाकपा(माले) ने पूरे देश में 22 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं. शेष सीटों पर वह भाजपा हराओ अभियान में उतरेगी.