मंगल पांडेय को बर्खास्त करने की मांग पर भाकपा(माले) का पूरे बिहार में प्रतिवाद

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को रसातल में पहुंचाने के जिम्मेवार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्त करने, तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोराना जांच व इलाज की व्यवस्था करने, तमाम अनुमंडल व प्रखंड अस्पतालों में आईसीयू की व्यवस्था करने, गरीबों के बीच मुफ्त में सैनिटाइजर व मास्क का वितरण करने, निजी अस्पतालों को सरकारी नियंत्रण में लेने, गृह विभाग के उपसचिव उमेश रजक की हत्या की उच्चस्तरीय जांच कराने आदि मांगों पर 23 जुलाई को भाकपा(माले) ने पूरे राज्य में प्रतिवाद किया.

उत्तर प्रदेश में बढ़ती महिला हिंसा के खिलाफ ऐपवा का विरोध प्रदर्शन

ऐपवा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के कार्यालय (लोकभवन) के सामने न्याय की मांग को लेकर अमेठी जिले की दो महिलाओं द्वारा आत्मदाह की कोशिश (जिसमें मां-बेटी क्रमशः 80 और 20 प्रतिशत तक जल गईं) और महिलाओं पर हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ 21 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.

महामारी नियमों को ध्यान में रख कर किए गए प्रदर्शनों के दौरान ऐपवा कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए – ‘उत्तर प्रदेश में योगी का गुंडाराज नहीं, संविधान का राज चलेगा’, ‘गरीबों, दलितों और आदिवासियों पर हिंसा और दमन करने वाली भाजपा सरकार मुर्दाबाद’.

तमिलनाडु में दलितों पर अत्याचार का प्रतिवाद

भाकपा(माले) ने 6 जुलाई को दलितों पर हर दिन जारी और लगातार बढ़ते अत्याचार के खिलाफ राज्यव्यापी प्रतिवाद संगठित किया, क्योकि राज्य और न्यायपालिका उनकी हिफाजत करने में नाकाम रह गए.

खासकर, कोरोना महामारी और लाॅकडाउन की अवधि में तमिलनाडु में ये अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं. इस अवधि में दलितों के खिलाफ 70 से ज्यादा अपराध की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन

विगत 3 जुलाई 2020 को समूचे देश के ट्रेड यूनियन संगठनों व विभिन्न फेडरेशनों ने मोदी सरकार की मजदूर विरोधी, जन विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. देश के कोयला क्षेत्र के मजदूरों ने सरकारी नीतियों के खिलाफ 2 से 4 जुलाई तक हड़ताल की, ऑर्डनेन्स (प्रतिरक्षा उत्पादन) फैक्ट्रियों के कर्मचारी आन्दोलन की तैयारी कर रहे हैं और करोड़ों की संख्या में बेरोजगारी और भुखमरी की मार झेल रहे प्रवासी मजदूर रोजी-रोटी को लेकर परेशान हैं.

एसएचजी महिलाओं का जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन

बिहार के कई जिलों में पुनः लाॅकडाउन की घोषणा के बावजूद ऐपवा ने 10 जुलाई को दर्जन भर से अधिक जिलों में स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के बैनर तले समूह की महिलाओं की मांगों पर प्रदर्शन करके डीएम को ज्ञापन सौंपा. सिवान में सोहिला गुप्ता, गोपालगंज में रीना सिंह, मोतिहारी में सलेकुन्निसा, रोहतास में अरुण सिंह, जमुई में हेमा झा, गया में रीता गुप्ता, सहरसा में बीना देवी, मुजफ्फरपुर में निर्मला सिंह ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया एवं ज्ञापन सौंपा.

जीरा भारती पर हमले के खिलाफ माले-ऐपवा का विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में भाकपा(माले) ने अपनी प्रदेश कमेटी की सदस्य व ऐपवा नेता जीरा भारती पर मिर्जापुर में हुए जानलेवा यौन हमले के खिलाफ 4 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. ऐपवा ने भी इसी दिन उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में प्रतिवाद किया. पार्टी ने हमलावरों को अतिशीघ्र गिरफ्तार करने, महिला व दलित उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर न्याय दिलाने, दबंगों-अपराधियों को सत्ता-संरक्षण पर रोक लगाने, लोकतांत्रिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे हटाने और पुलिस उत्पीड़न रोकने की मांग की.

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ देशव्यापी प्रतिवाद

लोकसभा में 9 दिसम्बर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पेश किये जाने और तुरत-फुरत में बहस के बाद बहुमत से पारित किये जाने के साथ ही देश भर में लोगों ने मोदी सरकार द्वारा भारत के संविधान पर किये इस घातक हमले के खिलाफ प्रतिवाद करना शुरू कर दिया. आने वाले सप्ताहों में ये प्रतिवाद जारी रहेंगे, क्योंकि बहुतेरे संगठनों ने इस विधेयक का डटकर विरोध करने का संकल्प घोषित किया है और अगर इस कानून को अंततः लागू किया जाता है तो इसके खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाने का फैसला किया है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस के अपराधियों को सजा दो, प्रज्ञा ठाकुर और साक्षी महाराज की संसद-सदस्यता रद्द करो

भाकपा(माले) ने 6 दिसम्बर 2019 को देश भर में प्रतिवाद दिवस मनाया और बिना किसी देरी के बाबरी मस्जिद विध्वंस के अपराधियों को सजा देने की मांग की. साम्प्रदायिक गिरोहों द्वारा 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराये जाने के 27 साल बीत चुके हैं और न्याय अभी तक नहीं मिला है. बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद हुए देशव्यापी साम्प्रदायिक दंगों ने भारत की गंगा-जमुनी तहजीब तथा हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य की आधरशिला पर घातक हमला किया था.

जेएनयू में छात्रों का प्रतिरोध

जेएनयू के छात्र हाॅस्टल फीस में 70 प्रतिशत की वृद्धि के साथ नए हाॅस्टल मैनुअल और पितृसत्तात्मक ड्रेस कोड व कर्फ्यू के खिलाफ 1 नवंबर 2019 से ही हजारों की संख्या में प्रतिवाद कर रहे हैं. इस मैनुअल को वापस लेने और प्रतिवादकारी छात्रों के साथ वार्ता करने के बजाय जेएनयू के कुलपति ने कैंपस में सीआरपी के जवानों को बुला लिया. जब कैंपस के बाहर एआइसीटीई हाॅल में जेएनयू का दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मानव संसाधन विकास मंत्री सम्मानित अतिथि थे, तो जेएनयू के छात्रों ने हजारों की संख्या में वहां मार्च किया और मंत्री महोदय से मांग की कि वे छात्रों से बात करें.

कोयला श्रमिक हड़ताल : एकजुटता में दिल्ली में प्रतिवाद

लगभग 5.5 लाख हड़ताली कोयला मजदूरों की हड़ताल (पिछले अंक में इसकी रिपोर्ट देखें) के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर मजदूरों ने एक सभा संगठित की. मोदी सरकार की विनाशकारी नीतियों की तरफ आम जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिये ऐक्टू ने यह प्रतिवाद प्रदर्शन आयोजित किया था.