कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना : सरकारी दावे और जमीनी हकीकत

- महेंद्र यादव/राहुल यादुका

23 जुलाई 2024 को लोक सभा चुनाव के बाद संसद के बजट सत्र में केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के महत्वाकांक्षी और बहुप्रतीक्षीत कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना (कोसी एंड मेची रिवर इंटरलिंक प्रोजेक्ट) समेत कई अन्य परियोजनाओं के लिये बजट में 11,500 करोड़ रुपये की घोषणा की. बजट भाषण के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि बिहार हमेशा से बाढ़ का दंश झेलता रहा है और इससे मुक्ति दिलाने के लिये केंद्र सरकार आर्थिक रूप से बिहार की मदद करने के लिये प्रतिबद्ध है .

सेबी प्रमुख का इस्तीफा और अडानी घोटाले की सुप्रीम कोर्ट से नयी जांच बेहद जरूरी!

अडानी घोटाले पर हिंडनबर्ग रिसर्च की दूसरी रिपोर्ट कुछ मायनों में पहली रिपोर्ट से भी ज्यादा विस्फोटक है, जिसने अठारह महीने पहले दुनिया को हिलाकर रख दिया था. शुरुआती रिपोर्ट में अडानी समूह द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट धोखाधड़ी का खुलासा हुआ था, जिसकी वजह से गौतम अडानी वैश्विक संपत्ति रैंकिंग में नीचे की ओर धकेल दिये गए थे. इसके बाद, मोदी-अडानी गठजोड़ के बारे में भारतीय संसद सहित पूरे भारत में सवाल उठाए गए.

सिलक्यारा सुरंग का मसला फिर संसद में

- इन्द्रेश मैखुरी

उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग याद है आपको? उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धरासू-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर ये वही सुरंग है जो बीते वर्ष दिवाली के दिन यानि 12 नवंबर 2023 को ढह गयी और 41 मजदूर 17 दिनों तक इस सुरंग के भीतर फंसे रहे. इस सुरंग को बनाने वाली कंपनी का नाम नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड है.

कौन जात है रे!

- कुमार परवेज

कौन जात है रे! यह भाषा हमने खूब सुनी है. आपने भी सुनी होगी. सामंती अहंकार और जातीय वर्चस्व की विशुद्ध लंपट भाषा! आज से 25-30 साल पहले दबी जुबान में इसका जवाब था – मालिक, हम चमार हैं, हम मुसहर हैं!

ऐसा लगता था कि विगत कुछ सालों में लंपटों की यह भाषा खुद को बदलने के लिए बाध्य हुई है!

दलित उत्पीड़न: सुभाईं तो इस रोग का एक और प्रकटीकरण है!

- इन्द्रेश मैखुरी

बीते दिनों उत्तराखंड के जोशीमठ ब्लाॅक के सुभाईं गांव का नाम चर्चाओं में आ गया. इस गांव के दलित परिवारों ने 15 जुलाई को जोशीमठ कोतवाली में आकर शिकायत दी कि एक धार्मिक आयोजन में ढोल न बजाने को लेकर उन पर गांव के सवर्ण लोगों ने पांच हजारा जुर्माना कर दिया, उनके सामाजिक बहिष्कार और गांव से तड़ीपार करने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया. शिकायत में उन्होंने जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप भी लगाया. इस मामले में पंचायत के वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुए हैं.