मेरी आवाज सुनो


ऐसा भी एक वक्त था जब हम बोलते थे  
एक जमाना भी था जब हम जोर से बोलते थे
ना इंसाफी के खिलाफ  बेइंसाफी के खिलाफ
हम एक ही आवाज में जोर-जोर से चिल्लाते थे
हंगामा मचा के उठाते थे सोये हुये लोगों को
मिलाते थे बिछड़े हुये बिगडे़ हुये दिलों को!
अरे अब क्या हो गया है हम कहां खो गये हैं
हर तरफ दर्द के अफसाने फैले हुये हैं
हर आंगन मे टूटे दिलों के टुकड़े नजर आ रहे हैं
हर इंसान के दिल में टूटा हुआ मन दिख रहा है
हर तरफ खेतों की हरियाली अब बेरंग हो गई है
दाने-दाने में किसान के आंसू नजर आते है!
हम अपनी रोटी खुद कमाते हैं कोई बात नहीं

​ 18 दिसंबर के लिए भाकपा(माले) का आह्वान :

18 दिसंबर के लिए केंद्रीय कमेटी का आह्वान :

बिहार चुनाव से हासिल उपलब्धियों को चिरस्थायी बनाने के लिए पार्टी को विस्तारित और मजबूत करो !

फासीवाद विरोधी प्रतिवाद को तीव्र और विस्तृत करने के लिए चौतरफा पहलकदमी लो !!

18 दिसंबर 2020 कॉमरेड विनोद मिश्र का 22वां स्मृति दिवस है. 1999 से हम इस दिन को “संकल्प दिवस” के रूप में मनाते रहे हैं, ऐसे दिन के रूप में जब पूरी पार्टी अपने क्रांतिकारी संकल्प का नवीनीकरण करती है.

एआइकेएससीसी का आह्वान, 26-27 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे देश के लाखों किसान

देश भर में 14 अक्टूबर को ‘एमएसपी अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जायेगा

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा दिल्ली के प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर किसान आंदोलन के अगले संघर्ष और अभियान की घोषणा की गई है. प्रेस वार्ता को समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह, स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव हन्नान मौलाह, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा और अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव सत्यवान ने संबोधित किया.

एआइसीसीटीयू (ऐक्टू) का आह्वान : मजदूर अधिकार बचाओ देशव्यापी अभियान!

(16-28 सितंबर 2020)

  • भारत को विनाशकारी मोदीशाही के चुंगल से मुक्त कराने के लिये प्रतिरोध तेज करें!
  • गुलामी के श्रम कोड
  • बढ़ती बेरोजगारी
  • निजीकरण और देश के संसाधनों को बेचने
  • लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ प्रतिरोध तेज करें!
  • देशव्यापी विरोध प्रदर्शन बड़ी संख्या में शामिल हों!

16 सितंबर 2020

जम्मू-कश्मीर के साथ खड़े हों

5 अगस्त 2020 को अनुच्छेद 370 को खत्म करने, जम्मू-कश्मीर राज्य को भंग करने और जम्मू-कश्मीर के लोगों को कैद करने का एक साल पूरा हो जाएगा.

पिछले साल मोदी सरकार ने संसद के अंदर और संसद के बाहर भी बड़े-बड़े वायदे किए थे कि कैसे यह कदम भारत के लिए और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा.