डा. अम्बेडकर के समतामूलक व जातिविहीन समाज के निर्माण के सपने को कांशीराम ने दलित मुख्यमंत्री-दलित प्रधानमंत्री बनाने व दलितों को अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करके एक नये राजनीतिक जागरण को पैदा किया था. मगर कांशीराम की राजनीति के केन्द्र में हमेशा दलित ही थे.