वर्ष - 28
अंक - 43
05-10-2019

ऐसा लगता है कि दिल्ली में फुटपाथ वेंडरों को जीने या आजीविका या यहां तक कि थोड़ी-मोड़ी कमाई कर अपने बच्चों को खिलाने-पिलाने और पढ़ाने-लिखाने का कोई अधिकार ही नहीं है. उत्तर प्रदेश की सीमा पर मयूर बिहार और प्रगति बिहार के बीच सड़क की बाईं ओर बिहार के भोजपुर, जहानाबाद और रोहतास जिलों से आए लगभग 125 भूमिहीन लोग पिछले 30-35 वर्षों से फल बेच कर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उनलोगों को अब उजाड़ कर उस सड़क से भगा दिया गया है. आरवाइए नेता मनोज मंजिल के नेतृत्व में भाकपा(माले) की एक टीम ने उन लोगों से 28 सितंबर को मुलाकात की और उनसे बातचीत की. उन उजाड़े गए लोगों ने भगत सिंह का जन्म दिन मनाया और कहा कि आजादी के 72 साल बाद भी सरकार ने इन गरीबों की आजीविका, आवास, शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं के बारे में तनिक भी चिंता नहीं की. हम लोग रोजी-रोटी कमाने और अपने परिवार चलाने की आशा में अपने गांव छोड़ कर दिल्ली आए हैं और फल-फूल बेचकर पिछले 30-35 वर्षों से यहां अपना गुजारा कर रहे हैं और दिल्ली की पुलिस भी हमसे ‘कुछ न कुछ’ लेती ही रहती है.

लेकिन अचानक 40 दिन पहले पुलिस आई और उसने कहा कि पड़ोस की हाउसिंग सोसाइटियां शिकायत कर रही हैं कि तुम लोग गंदगी फैलाते हो और हल्ला मचाते रहते हो, इसीलिए हमारे अफसरों ने हमसे कहा है कि तुमलोगों को यहां से हटा दिया जाए. इन वेंडरों ने टीम को बताया कि उनलोगों ने गिड़गिड़ाकर मिन्नतें कीं कि वे लोग भूखे मर जाएंगे, बच्चे बिलबिला जाएंगे; लेकिन उनकी मिन्नतों का कोई असर नहीं पड़ा और उन्हें खदेड़ दिया गया. तब 21 अगस्त को दिल्ली सरकार के सामने इसके खिलाफ प्रतिवाद किया गया. बाद में दिल्ली के राज्य सचिव और नेता श्याम किशोर यादव तथा ऐपवा नेत्री माला समेत भाकपा(माले) की एक टीम ने डीसीपी, एसएचओ और नगर निगम पदाधिकारियों से मुलाकात की; लेकिन अभी तक उन उजाड़े गए लोगों को कोई राहत नहीं मिल पाई है. कामरेड श्याम किशोर यादव ने कहा कि पार्टी इस लड़ाई में गरीबों के साथ खड़ी है और हमलोग यह सुनिश्चित करने के लिये अंत तक लड़ेंगे कि इन वेंडरों को फुटपाथ पर अपनी दूकान लगाने की इजाजत मिल जाए.

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