वर्ष - 31
अंक - 1
01-01-2022

मुजफ्फरपुर के बेला औद्योगिक क्षेत्र फेज-2 में 26 दिसंबर 2021, रविवार की सुबह साढ़े नौ बजे मोदी कुरकुरे-नूडल्स फैक्ट्री में हुए बाॅयलर ब्लास्ट में कई मजदूरों की मौत हो गई और कई घायल हुए. जिला प्रशासन सिर्फ 7 मजदूरों के मरने और 7 के घायल होने की बात कर रहा है लेकिन स्थानीय लोग और मजदूर दर्जनों लोगों की मौत होने और घायल होने का दावा कर रहे हैं जिसका खुलासा उच्चस्तरीय जांच से ही हो सकता है.

बाॅयलर फटने की घटना की खबर मिलते ही भाकपा(माले) के जांच दल ने पार्टी की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य व फुलवारी शरीफ से विधायक का. गोपाल रविदास के नेतृत्व में घटनास्थल व एसकेएमसीएच अस्पताल का जहां मृतकों के शव रखे गए थे और घायलों का इलाज हो रहा था, दौरा किया.

जांच दल ने कुरकुरे-नूडल्स फैक्ट्री का भी जायजा लिया और साथ ही आसपास के फैक्ट्रियों का भी मुआयना किया. नूडल्स फैक्ट्री के बाॅयलर ब्लास्ट के पीछे मैनेजमेंट की भारी लापरवाही सामने आई है.

मृतकों के परिजनों ने बताया

मुशहरी छपरा के मृतक संदीप कुमार (35 वर्ष) के चचेरे भाई पिंटू ने बताया कि पिछले 6 माह से बाॅयलर में रिसाव था. इसकी शिकायत वर्करों ने मैनेजर उदय शंकर और प्रबंधन विकास मोदी से की थी. लेकिन, इसे अनसुना कर दिया गया. खराब स्थिति में ही बाॅयलर से काम करवाया जाता रहा. इसका नतीजा यह हुआ कि रविवार को बाॅयलर में ब्लास्ट हो गया और बड़ी संख्या में मजदूरों की जान चली गई. बड़ी संख्या में मजदूर बुरी तरह से घायल हैं.

अगर समय रहते मजदूरों की शिकायत पर संज्ञान लेकर काम बंद कर दिया जाता या बाॅयलर को ठीक करवा लिया जाता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता. इससे स्पष्ट होता है मैनेजमेंट और प्रशासनिक अधिकारी की लापरवाही के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ है.

पिंटू ने बताया कि संदीप काम नहीं करना चाहता था. क्योंकि बाॅयलर पर ही उसकी ड्यूटी थी. वह नहीं जाता तो मशीन चालू नहीं होती. आज भी (26 दिसंबर) को उसे जबरन पफोन काॅल कर सुबह काम पर बुलाया गया था. इसके बाद 9.40 में तेज धमाका हुआ. पिंटू के अनुसार, वह वहां पहुंचा तो अंदर में कई लाशें पड़ी हुई थीं. फैक्ट्री प्रबंधन से जुड़े कुछ लोग आनन-फानन में सबको निकालकर गाड़ी में लोड कर अस्पताल भेज रहे थे. वह भी एसकेएमसीएच पहुंच गया. वहां पर एक शव के पैर को देखकर उसने संदीप की पहचान की. संदीप शादीशुदा था. उसके तीन बच्चे भी हैं.

छह महीने से खराब था

बाॅयलर बेला फेज-2 में मोदी कुरकुरे-नूडल्स प्रा. लि. की दो यूनिट है. दूसरी यूनिट में बाॅयलर ब्लास्ट हुआ. इस संबंध में छह महीने पहले ही कामगारों ने खतरे की आशंका जताई थी. बाॅयलर का सेफ्टी वाल्व भी खराब था. कामगारों ने इसके विरोध में दो दिन तक काम भी बंद रखा था.

छपरा के रसूलपुर थाने के खजुहान निवासी ललन यादव जिस बाॅयलर में विस्फोट हुआ उसके हेड ऑपरेटर थे. हादसे में उनकी भी मौत हो गई है. ललन के पुत्र विकास यादव भी इसी फैक्ट्री में मिक्सिंग हेल्पर के रूप में काम करते हैं. विकास ने बताया कि पिता की बाॅयलर बदलने की बात फैक्ट्री मालिक मान लेते तो हादसा नही होता.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया

सकरा थाना के मथुरापुर के रहने वाले पंकज ने बताया कि आज सुबह काम करने आया था. अचानक से बाॅयलर फटा और जोरदार धमाका हुआ. कई मजदूरों के चिथड़े उड़ गए. फैक्ट्री की छत भी उड़ गई. हम लोगों ने बाहर भागकर अपनी जान बचाई.

बेला के धिरनपट्टी के मोहम्मद शाहिद ने बताया कि ठंड की वजह से वे लोग घर में बैठे थे. सुबह 9.40 बजे थेइसी दौरान जोरदार धमाका सुनाई पड़ा. लोहे के बड़े-बड़े टुकड़े आसमान से गिरने लगे. भगदड़ मच गई. बाहर खड़े लोग अपने-अपने घरों में घुस गए. अजीब सा खौफ था. भीषण धमाके से पांच किमी तक मकान हिल गए. लगा कि भूकंप आ गया.

मृतकों की संख्या छुपाने का आरोप

प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की संख्या पर मजदूरों के परिजनों तथा स्थानीय लोगों को कत्तई भरोसा नहीं है. उनका कहना है कि रविवार को 150 से ज्यादा की संख्या में मजदूर फैक्ट्री में मौजूद थे. उनमें से कई मजदूरों का कोई पता नही है कि वे कहां है. प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की संख्या सात है. वहीं घायल मज़दूरों की संख्या भी सात है.

प्रशासन द्वारा यह भी नहीं बताया गया है कि ब्लास्ट के समय कितने मजदूर काम पर रहे थे. कार्यरत मजदूरों की सूची भी उपलब्ध नहीं है.

बेला औद्योगिक क्षेत्र में 250 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं जिनमें 40 हजार से ज्यादा मजदूर काम करते हैं. लेकिन प्रायः फैक्ट्रियों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होता और सुरक्षा संसाधनों का भी घोर अभाव है. यहां तक कि जिस मोदी नूडल्स फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ है उसने एनओसी भी नहीं लिया था. किसी भी फैक्ट्री में श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जाता है. मजदूरों से ज्यादा काम करवाया जाता है. मजदूरों से 10-10 घंटे काम करवाया जाता है और मजदूरी के रूप में प्रतिमाह महज 4-5 हजार रु. दिये जाते हैं. पूरे औद्योगिक क्षेत्र में एक भी फायर ब्रिगेड नहीं है और न ही अस्पताल है. यह सब फैक्ट्री मालिकों और प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ से जारी है जिसमें नीतीश सरकार और उसके उद्योग मंत्री भी शरीक हैं. इसलिए जरूरी है कि बाॅयलर ब्लास्ट और बेला औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सभी फैक्ट्रियों की विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय टीम से जांच कराई जाए.

फैक्ट्री मालिक विकास मोदी उसकी पत्नी श्वेता मोदी, फैक्ट्री मैनेजर उदय शंकर, सुपरवाइजर दिग्विजय कुमार, बाॅयलर ऑपरेटर और टेकनिशियन समेत अन्य अज्ञात कर्मियों को आरोपित बनाया गया है. लेकिन सारे मामले की लीपापोती भी जारी है.

Bela factory

भाकपा(माले) जांच दल की मांग

फैक्ट्री संचालक के सामने बौना साबित हो रहा है प्रशासन, फैक्ट्रियों में लापरवाही व सुरक्षा के अभाव में मजदूरों की भारी संख्या में जान गई है. स्थानीय प्रशासन मृतकों की संख्या छुपाने में लगा हुआ है. सरकार से हमारी मांग है कि मृतकों को 50-50 लाख रु., घायलों को 25-25-लाख रूपए मुआवजा व मृतक के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए. फैक्ट्री प्रबंधक को अविलंब गिरफ्तार कर उस पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए. फैक्ट्री प्रबंधक विकास मोदी को सरकार और भाजपा का संरक्षण प्राप्त है. इसलिए घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.

जांच दल में भाकपा(माले) जिला सचिव कृष्णमोहन, भाकपा(माले) जिला कमिटी सदस्य शत्रुघ्न साहनी, आरवाइए किे राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, ऐक्टू के जिला संयोजक मनोज यादव आदि शामिल थे.

मुजफ्फरपुर जिला के बोचहां में भी तीन साल पूर्व एक फैक्ट्री में आग लगने से 11 मजदूरों की जान गई थी. उस हादसे से भी प्रशासन और सरकार ने सबक नहीं लिया.

माले-ऐक्टू ने निकाला प्रतिवाद मार्च

समाज सुधार यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर पहुंचने की पूर्व संध्या पर 28 दिसंबर को भाकपा(माले) और ऐक्टू ने प्रतिवाद मार्च निकाला और इस आपराधिक लापरवाही के लिए मुख्यमंत्री व उद्योग मंत्री से जवाब मांगा. मार्च के पहले हरिसभा चौक के निकट स्थित माले कार्यालय में दो मिनट का मौन रख कर मौत के शिकार हुए मजदूरों को श्रद्धांजलि दी गई और औद्योगिक क्षेत्रों में श्रम कानूनों व सुरक्षा मानकों में जारी सरकारी लापरवाही व मनमानी के खिलाफ संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया गया.

प्रतिवाद मार्च हरिसभा रोड, मोतीझील, तिलक मैदान रोड, जवाहरलाल रोड व छोटी कल्याणी रोड से गुजरा. इस दौरान मुख्यमंत्री से मजदूरों की मौत जवाब मांगते हुए फैक्ट्री में श्रम कानूनों व सुरक्षा मानकों के उल्लंघन पर रोक लगाने, बेला के सभी फैक्ट्रियों की विशेषज्ञों से जांच कराने, मजदूर विरोधी औद्योगिक नीतियों को वापस लेने, ठेका सिस्टम पर मजदूरों से काम कराने पर सख्ती से रोक लगाने, श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन व प्रतिमाह 21 हजार रु. वेतन की करने जैसीे मांगों के नारे लगते रहे. बलास्ट में मौत के शिकार हुए मजदूरों के परिजनों को जीवन यापन हेतु 50 लाख रु. और सरकारी नौकरी तथा घायलों को 25 लाख रु. का मुआवजा देने की मांग की गई.

प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले) के जिला सचिव कृष्णमोहन, ऐक्टू के जिला संयोजक मनोज यादव, खेग्रामस के कार्यकारी राज्य सचिव शत्रुघ्न सहनी, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, प्रो. अरविंद कुमार डे, इंसाफ मंच के राज्य प्रवक्ता असलम रहमानी, जिला अध्यक्ष फहद जमां, आइसा के जिला संयोजक दीपक कुमार व किसान नेता होरिल राय आदि नेताओं ने किया.