झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र विगत मानसून सत्र से कई मामलों में भिन्न रहा है. इसके पहले बीते मानसून सत्र को भाजपा और सत्ता पक्ष ने सदन की कार्यवाही को भजन-कीर्तन और नमाज के मुद्दे में ही उलझाए रखा था! शोरगुल और हो-हंगामे की भेंट चढ़े पुरे सत्र में अपनी समस्याओं की चर्चा की उम्मीद लगाए बैठी जनता की आंखों में दोनों पक्षों ने धूल झोंका था. लेकिन, शीतकालीन सत्र काफी छोटा, मात्र छः दिनों का, होने के बावजूद काफी महत्वपूर्ण रहा है. इस बार जनता के जीवन से जुड़े कई मूलभूत मसलों पर शुरुआती दौर से ही क्रमवार सवालों ने पुरे सदन की कार्रवाई को पटरी पर ला दिया! इसका श्रेय किसी और विधानसभा सदस्य को नहीं को नहीं, बल्कि भाकपा(माले) विधायक विनोद सिंह को जाता है.
‘दान के रक्त पर दाम क्यों’
उन्होंने सत्र के पहले दिन ही ‘दान के रक्त पर दाम क्यों’ को मुद्दा बनाते हुए राज्य में ब्लड बैंकों के संचालन पर सफल हस्तक्षेप कर इस छोटे सत्र को भी आम जनता के लिए कामयाब बनाया!
सदन की कार्यवाही के पहले दिन ही विधानसभा के बाहर ब्लड प्रोसेसिंग शुल्क वापस लेने, जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में ब्लड उपलब्ध कराने, स्टेट ब्लड काॅउंसिल की बैठक अविलंब आयोजित करने, आदि मांगो को उन्होंने प्रमुखता से उठाया.
शिक्षा, रोजगार व नियुक्तियों को मुद्दा बनाया
कार्यवाही के दूसरे दिन राज्य भर के अभ्यर्थियों और छात्रों के हित में जेपीएससी की पीटी में हुई धांधली की जांच, पंचायत सचिवों और हाई स्कूल की रिक्त पीआरटी सीटों पर तत्काल नियुक्ति-पत्र निर्गत करने, पोषण सखी के 8 माह के बकाया मानदेय का भुगतान आदि मांगो को लेकर भाकपा(माले) विधायक ने विधानसभा के अंदर और बाहर भी प्रदर्शन किया. इन मुद्दों पर उन्होंने कार्यस्थगन प्रस्ताव भी लाया था. उन्होंने सदन से अन्य कार्यों को छोड़कर उक्त मुद्दों पर चर्चा करने की मांग की. सत्ता पक्ष के टाल-मटोल भरे जवाब से सदन का दूसरा दिन भी बाधित रहा.
राज्य के पहले जनजातीय विश्वविद्यालय पंडित रघुनाथ मुर्मु विश्वविद्यालय की स्वीकृति के पक्ष में अपनी बातें रखते हुए का. विनोद सिंह ने कहा कि सरकार को विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति जैसे पदों को आदिवासियों के लिए आरक्षित करने संबंधी प्रावधानों को भी जोड़ना चाहिए. दूसरी ओर जारी सत्र के दौरान राज्य में चल रहे विभिन्न आंदोलनों के लिए भी उन्होंने सदन को मंच के रूप में इस्तेमाल किया और सड़क के आंदोलनों की आवाज बने.
सदन की कार्यवाही के तीसरे दिन भाकपा(माले) विधायक विनोद सिंह द्वारा पुनः जेपीएससी में प्रथम दृष्टया अनियमितताओं और घोटाले पर तुरंत जांच और दोषियों पर कार्यवाही की मांग सदन में गूंजी. उन्होंने जांच के लिए कमिटी निर्माण की मांग की. इस सवाल पर हेमंत सरकार दोषियों को ही बचाती और जेपीएससी अभ्यर्थियों के बजाय भ्रष्ट अधिकारियों के पक्ष में ही खड़ी नजर आई. काविनोद सिंह ने 15 दिसंबर 2021 को केटीपीएस में एक मजदूर की दुर्घटना में हुई मौत पर सरकार को त्वरित संज्ञान लेकर आश्रित परिवार को मुआवजा देने की मांग की.
सदन में अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान विधायक विनोद सिंह ने सबसे ज्यादा लंबित नियुक्तियों और अनुबंधकर्मियो की मांगों को लेकर सरकार से अविलंब कदम उठाने की मांग की और जनता के अंदर बढ़ रहे असंतोष को गंभीरता से लेने को कहा. उन्होंने कहा कि राज्य नियुक्ति वर्ष मना रहा है लेकिन इस साल नई नियुक्ति तो दूर, प्रक्रियाधीन 6 नियुक्तियां भी रद्द कर दी गईं. उन्होंने जोर देकर कहा कि पंचायत सचिवों की नियुक्ति का रास्ता साफ है और उन्हे नियुक्ति पत्र देने में सरकार देर न करे. साथ ही, कोरोना महामारी में कार्यरत सहिया, स्वास्थ्य सहिया, पोषण सखी के बकाये मानदेय की मांग को भी तार्किक अंदाज में रखा. उन्होंने अल्पसूचित, तारांकित, शून्यकाल और निवेदन के प्रश्नों के माध्यम से गिरिडीह जिले में सितंबर माह के राशन के गबन का सवाल भी उठाया.
क्षेत्र व जनहित के मुद्दों पर मुखर हस्तक्षेप
पर बनपुरा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को चालू करने व उसकी मरम्मत कराने, नेतरहाट फायरिंग रेंज की समयावधि विस्तार पर रोक लगाने, बगोदर विधानसभा क्षेत्र के उच्च विद्यालयों में माॅडल भवन का निर्माण करने, जेएसएससी परीक्षा (संशोधन) नियमावली में गैर आरक्षित खतियानी/मूलवासियो के हित में संशोधन करने, बगोदर के खंभरा-बनपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी शुरू करने और उसके भवन की मरम्मत करने, झारखंड के अधिवक्ताओं के हित में नियमावली बनाकर 5 लाख रुपए का मेडिकल बीमा व 10 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेन्स की सुविधा के प्रावधान की मांग रखा.
कोडरमा में मुस्लिम महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार पर दोषी पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही, सरिया के एसएमपी आदर्श उच्च विद्यालय को माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा स्थायी प्रस्विकृति, बिरनी के खरखरी व विष्णुगढ़ के मंडमो में ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम में अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों पर दर्ज किए गए मुकदमे को वापसी, सहिया कर्मियों का स्थायीकरण, वेतन वृद्धि, बीमा और बकाया मानदेय का भुगतान, कोडरमा के मस्केडीह में पुल निर्माण, बगोदर के खेतको में पिटाई से मरे सुनील पासी के परिजनों को मुआवजा आदि मुद्दों पर उन्होंने सरकार से प्रश्न पूछा और मांग की.
उन्होंने ध्यानाकर्षण के माध्यम से पंचायत सचिव की नियुक्तियों पर विचार करने हेतु सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया. जवाब में विभागीय मंत्री ने नियमावली व 13/11 जिले का हवाला देते हुए न्यायालय द्वारा भविष्य में न्इसके बाधित होने की आशंका जताई. इसके जवाब में विनोद सिंह ने कहा कि न्यायालय के आदेशानुसार जब जेएसएससी को नियम बनाकर रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया गया है तो सरकार को क्या दिक्कत है, जबकि पूर्व में सदन में सरकार ने कहा था कि हम परीक्षा संस्थाओं पर हस्तक्षेप नहीं करते है, वहीं दूसरी तरफ नियम विरुद्ध पंचायत सचिवों के नियुक्ति के अंतिम चरण को रोका गया है. सरकार जवाब में लड़खड़ा गई व अंततः जल्द ही विचार करने की बात कही.
विनोद सिंह व बरकट्ठा विधायक अमित यादव ने संयुक्त रूप से ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए झारखंड राज्य में जंगली जानवरों द्वारा लोगों के जान-माल की क्षति जिसमें वे मृत, घायल या स्थायी रूप से अपंग हो जाते हैं और उनके कच्चे-पक्के मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. साथ ही भंडारित अनाज व पालतू पशुओं की भी मृत्यु हो जाती है, का वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा तय मुआवजे की राशि को वर्तमान परिस्थिति के अनुसार बहुत कम बताते हुए उसमें सम्मानजनक वृद्धि की मांग की.
उन्होंने एक गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से बगोदर के एनएच-2 ब्लड बैंक एवं अन्य जरूरी उपकरणों के साथ ट्रामा सेंटर निर्माण की मांग की. प्रभारी मंत्री ने उनकी चिंता पर सहमति जताते हुए जल्द ही ट्रामा सेंटर खोलने का भरोसा दिया. उन्होंने तीन जिलों को जोड़ने वाली और जर्जर हो चुकी बगोदरझारीबाग सड़क के निर्माण की मांग कीसदन के माध्यम से की गई. सड़क निर्माण की घोषणा सदन के माध्यम से होने पर बगोदर व हजारीबाग जिले के लोगों ने हर्ष भी जाहिर किया.
नए विधेयकों पर संशोधन व चर्चा
शीतकालीन सत्र में भाकपा(माले) विधायक ने सदन में पारित हुए कई महत्वपूर्ण बिलों पर अपना संशोधन दिया. झारखंड भीड़ हिंसा/माॅब लिंचिंग विधेयक का स्वागत करते हुए उन्होंने उसमें आवश्यक संशोधनों को सदन के समकक्ष रखा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस कानून की राज्य को जरूरत थी. विधानसभा कार्य संचालन नियमावली के तहत बिल की प्रति पांच दिन पहले, विशेष परिस्थिति में तीन दिल पहले सदस्यों को उपलब्ध कराने की परिपाटी है, लेकिन इतने महत्वपूर्ण बिल की प्रति मात्र एक दिन पहले उपलब्ध करायी गयी है!
का. विनोद सिंह ने माॅब लिंचिग के खिलाफ कानून का स्वागत करते हुए इसमें संशोधन प्रस्ताव लाकर पीड़ितों के लिए मुआवजे को ठोस करने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि वज्रपात, तूफान, पानी से डूबकर या हाथी के द्वारा किसी की मौत हो तो चार लाख रु. का मुआवजा और भीड़ द्वारा सामूहिक हत्या कर दी जाए तो मात्र एक या दो लाख रु. का मुआवजा! ये कैसा इंसाफ है?
उन्होंने मृतक को दस लाख रु. का मुआवजा व पुनर्वास, आर्थिक नुकसान का आकलन कर अलग से राशि का भुगतान, अपंग होने पर न्यूनतम तीन लाख रु. का मुआवजा व पुनर्वास समेत अन्य संशोधनों को रखा. पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय, वित्त विधेयक, कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन) विधेयक को उन्होंने प्रवर समिति को सौपने की मांग की.
शीतकालीन सत्र में भाकपा(माले) विधायक का प्रदर्शन लोकहित एवं राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर सरकार, सदन और सदस्यों के मार्गदर्शन के लिए माॅडल है.
– भुवनेश्वर केवट