भाकपा(माले) की झारखंड राज्य इकाई और नवगठित आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने विगत 24 दिसंबर 2921 को झारखंड के राज्यपाल को एक पत्र भेजकर 2021 की जनगणना में राज्य के आदिवासियो के लिए अलग सरना धर्म कोड का प्रावधान सुनिश्चित करने की मांग की है.
भाकपा(माले) के राज्य सचिव मनोज भक्त, भाकपा(माले) विधायक विनोद कुमार सिंह और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के झारखंड राज्य संयोजक देवकीनंदन बेदिया द्वकी ओर से भेजे गए पत्र में आदिवासियों के सरना के लिए अलग धर्म कोड की मांग का समर्थन और भाजपा-संघ द्वारा सरना के सांप्रदायिकीकरण की साजिश का विरोध करते हुए कहा गया है कि लंबे समय से विभिन्न धर्मावलंबियों के साथ अंतःक्रिया और एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के साथ-साथ आदिवासियों ने अपनी आस्था एवं सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक पद्धति को अक्षुण्ण रखा है. संघ-भाजपा जोड़ी निहित राजनीतिक स्वार्थों के लिए आदिवासी समुदाय को सांप्रदायिक चारा बनाना चाहती है. आदिवासी समुदाय इस संघी प्रोजेक्ट को सफल नहीं होने देगा.
उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भाजपा का यह दावा बेबुनियाद और मनगढ़ंत है कि सरना हिंदुओं के सनातन धर्म का एक हिस्सा है. जाति-व्यवस्था हिंदू धर्म का आधार है. आदिवासी सामाजिक-धार्मिक व्यवस्था इससे मुक्त है. यही नहीं, जाति-हिंसा, महिला हिंसा और धार्मिक मतांधता से भी सरना मतावलंबी दूर हैं. सरना धर्म के हिंदूकरण के षड़यंत्र के जरिए संघ-भाजपा जोड़ी आदिवासी राज्यों एवं इलाकों में सांप्रदायिक उन्माद का विस्तार करना चाहती है और आदिवासियों के आरक्षण अधिकार को भी भविष्य में कमजोर करना चाहती है.
उन्होंने राज्यपाल महोदय से अलग सरना धर्म कोड के निर्माण हेतु अनुकूल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.