बेरोजगारी की समस्या के खिलाफ एक मुकम्मल लड़ाई खड़ी करने तथा सम्मानजनक रोजगार की मांग के साथ बने 10 से अधिक छात्र युवा संगठनों के साझा मंच ‘छात्र युवा रोजगार अधिकार मोर्चा’ की ओर से विगत 23 सितम्बर 2021 को लखनऊ के कैसरबाग स्थित गांधी प्रेक्षागृह में ‘रोजगार अधिकार सम्मेलन’ का आयोजन किया गया. सम्मेलन के जरिए योगी सरकार की छात्र-युवा-सामाजिक न्याय विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया गया.
उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार 4 लाख नौकरियां देने का ढिंढोरा दिल्ली तक पीट चुकी है जबकि हकीकत यह है कि 70 लाख रोजगार देने के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार का रिकाॅर्ड रोजगार देने के मामले में बेहद खराब रहा है. अनेक भर्तियों में धांधली, सामाजिक न्याय की हत्या, भ्रष्टाचार, पर्चा लीक आदि बातें देखने में आई हैं. 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है. एक ओर तो निजीकरण की आंधी में सामाजिक न्याय का सवाल ही खत्म करने की साजिश चल रही है, वहीं दूसरी ओर बची-खुची सरकारी नौकरियों में भी इस तरह की धांधली योगी सरकार की सामाजिक न्याय को खत्म करने की आतुरता का पर्दाफाश करती है.
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार विधानसभा के सदस्य मनोज मंजिल ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में चल रहे रोजगार आंदोलन पर योगी सरकार लगातार दमन कर रही है. वह सोच रही है कि लाठी-गोली और दमन से यह बात दब जाएगी लेकिन रोजगार की लड़ाई और अधिक मजबूत होती जा रही है. पूरे देश के बेरोजगार युवाओं की 10% आबादी उत्तर प्रदेश में रहती है. कोरोना काल के दौरान लाॅक डाउन में लाखों नौकरियां खत्म हुईं. इसका एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश से था लेकिन इसपर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. नए रोजगार देने की बात तो छोड़िए, खाली पदों को भरना भी दूर की बात है. इस सरकार में तो नौकरियों को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है. इसके खिलााफ युवाओं द्वारा छेड़ी गयी यह लड़ाई सरकार के होश उड़ा देगी.’
वरिष्ठ हिंदी आलोचक वीरेंद्र यादव ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि युवा शक्ति अपने अस्तित्व यानि कि रोजगार के लिए आज लड़ रही है, मुझे इस बात की खुशी है. यह लड़ाई एक वर्ग की लड़ाई नहीं है बल्कि देश बचाने की लड़ाई है. अम्बेडकर के चर्चित उद्धरण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनतंत्र को सामाजिक और आर्थिक जनतंत्र में बदलना था लेकिन आज राजनीतिक जनतंत्र की लड़ाई ही केंद्र में है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों को बचाये रखने की लड़ाई आज चल रही है और उसका नेतृत्व युवा वर्ग कर रहा है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और शिक्षा के पैमाने पर देश नीचे आ गया है. मिश्रित अर्थव्यवस्था के हमारे आदर्श को ध्वस्त करके निजीकरण की आंधी बहाई जा रही है.
रिटायर्ड आइएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि रोजगार की लड़ाई सरकार बदलने की लड़ाई नहीं है बल्कि यह सरकार बदल जाने के बाद भी जारी रहने वाली लड़ाई है और इसे बड़ी एकजुटता के साथ जारी रखना होगा.
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय समन्वयक सदफ जफर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि हमें मोनेटाइजेशन करने की जरूरत है. लेकिन, यही सरकार सेंट्रल विस्ता जैसे फिजूलखर्ची वाले प्रोजेक्ट बना रही है. रोजगार देना इस सरकार की प्राथमिकता नहीं है.
सम्मेलन को मुख्य रूप से जेएनयू छात्र संघ के महामंत्री सतीशचंद्र यादव, आम आदमी पार्टी के शिक्षक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रोफेसर देव नारायण सिंह यादव, 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले के खिलाफ चल रहे आंदोलन के नेता विजय यादव, आज़ाद समाज पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष कमलेश भारती, आरएलडी यूथ विंग के अध्यक्ष अम्बुज पटेल, रेलवे अप्रेंटिस आंदोलन के नेता आशीष मिश्रा, यूपीएसएसएससी आंदोलन के नेता तूफान सिंह, अखिल भारतीय कृषि छात्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ सौजन्य, उच्चतर एवं माध्यमिक सेवा आंदोलन के नेता अनुराग वर्मा तथा युवा हल्ला बोल से दिव्येन्दु ने संबोधित किया.
सम्मेलन का संचालन छात्र युवा रोजगार अधिकार मोर्चा के संयोजक सुनील मौर्य ने किया. मोर्चे के संयोजन समिति के सदस्य आयुष श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. सम्मेलन में बतौर अतिथि जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज सिंह, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एनसाईं बालाजी, इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह तथा राजीव गुप्ता, ओपी राज, ज्योति राय, मकरध्वज, गाजीपुर पीजी काॅलेज छात्र संघ के उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव, ओपी सिंह, अभय यादव, एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, सुशील कश्यप, अमरेंद्र सिंह, अब्बास गाजी, शैलेश पासवान, नितिन राज, शिवम सफीर, शाइस्ता, प्राची, अदनान, शिवा, अंजलि, आदर्श, निखिल, शिवेंद्र, अंकित सिंह बाबू, आदि उपस्थित रहे.
सम्मेलन के अंत में विभिन्न आंदोलनों के प्रतिनिधियों द्वारा एक एक्शन प्लान भी प्रस्तुत किया गया जिसके अनुसार सम्मानजनक रोजगार की लड़ाई आगे बढ़ेगी.
मांगें: सम्मेलन में देश की संपत्तियों को बेचने का फैसला वापस लेने, पांच वर्ष में 70 लाख नौकरी देने के वादे को पूरा करने, रोजगार पर श्वेत पत्र लाने, रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तुरंत घोषित करने, सभी स्वरोजगारों के कर्ज अविलंब माफ करने, बेरोजगार नौजवानों को 10 हजार रुपया बेरोजगारी भत्ता देने, 69000 शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कराने तथा आरक्षित पदों पर गैर आरक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द करने, भर्तियों में सामाजिक न्याय की गारंटी करने, सभी संविदा कर्मियों को नियुक्ति व समान काम के लिए समान वेतन की गारंटी करने, प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए पर्चा लीक/धांधली आदि की जांच कराकर दोषियों को सजा देने तथा भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की गारंटी करने हेतु सांस्थानिक बदलाव लाने की 10 सूत्री मांग पारित की गयी.
आगामी कार्यक्रम: सम्मेलन ने लगभग 25 लाख सरकारी नौकरियों के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया तत्काल शुरू करने की मांग करते हुए प्रदेश भर से 25 लाख नौजवानों के हस्ताक्षर करवाकर सरकार को सौंपने, 27 सितंबर के किसानों के भारत बंद को सफल बनाने, 28 सितंबर, शहीदे आजम भगत सिंह के जन्मदिन के मौके पर ‘रोजगार अधिकार दिवस’ मनाते हुए सभी जनपदों में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने, 25 जिलों में रोजगार सम्मेलन कर नौजवानों को गोलबंद करने तथा 25 नवम्बर को लखनऊ में रोजगार अधिकार मार्च आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया है.