शहीद कामरेड चन्द्रशेखर सभागार (ज्योति मैरेज हाॅल) बक्सर मे 3-4 अक्टूबर 2021 को आइसा का 14वां बिहार राज्य सम्मेलन सम्पन्न हुआ.
सम्मेलन के खुले सत्र की शुरुआत 3 अक्टूबर को शिक्षा-रोजगार मार्च के साथ हुई. यह मार्च बक्सर रेलवे स्टेशन से निकल कर अंबेडकर चौक और ज्योति चौक पर अंबेडकर और शहीद कामरेड ज्योति प्रकाश की प्रतिमा पर नेताओं द्वारा माल्यार्पण करते हुए सम्मेलन भवन पहुंचा.
सम्मेलन के उद्घाटनकर्ता भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड अभ्युदय ने कहा कि आइसा का यह सम्मेलन ऐसे दौर मेेे हो रहा है जब देश के शासक अवाम को रौंद देने की चाल चल रहे हैं. हिंदुस्तान और उसके अवाम के हित शासकों की इस चाल को नाकाम करने में है. यह संकल्प लेने के लिए यह सम्मेलन हों रहा है. रोजगार के सवाल केवल जीवन जीने मात्र का नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का सवाल है. राष्ट्र निर्माता हिंदुस्तान के वे नौजवान हैं जिन्हें महामारी के दौर में रेल के पटरियों पर रौंद कर मार दिया जाता है, वे किसान है जो हिंदुस्तान में आंदोलन का स्वर्णिम अध्याय जोड़ रहे हैं और पिछले 11 महीनों से दिल्ली को घेर कर बैठे हैं. तीन कृषि कानून वापस लेने के लिए शुरू हुआ यह आंदोलन जो सैकड़ों किसानों, नौजवानों व महिला किसानो के खून के रंगा हुआ है, यह कह रहा है कि हिंदुस्तान उस रास्ते पर चलेगा जिस को किसान बनाते हैं और नौजवान बनाते हैं. वे उद्घोष कर रहे हैं कि इस आंदोलन की वापसी तब होगी जब हम इस सरकार की घर वापसी करा दें.
उन्होने कहा कि क्रांतिकारी छात्र संगठन आइसा को यह साबित करना है कि भगत सिंह जिंदा है और उन्हें मारने की कोई भी कोशिश नाकाम होगी. हम शहीद चंद्रशेखर के वारिस हैं जिन्होंने जेनयू से निकलकर बिहार में क्रांतिकारी वामपंथ की लाल पताका को उफंचा उठाया. हम इस लाल पताका को बिहार के सभी विद्यालयों व विश्वविद्यालयों मे ले जाने का अभियान चलायेंगे.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अगियावं के भाकपा(माले) विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि सरकार लोगों को न सस्ती शिक्षा दे रही है न अच्छा स्वास्थ्य दे रही है. हमें प्रतिबद्धता के साथ इस दिशा में बढ़ना होगा कि सरकार लोगों को सस्ती शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार दे.
आइसा के कार्यकारी महासचिव प्रसेनजीत ने कहा कि हम चुनौतियों से भरे हुए दौर में सम्मेलन कर रहे हैं. देश भी चुनौतियों से जूझ रहा है. नयी शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण को खत्म किया जा रहा है.
इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य अध्यक्ष एवं डुमरांव के विधायक अजीत कुशवाहा ने कहा कि वर्तमान सरकार नयी शिक्षा नीति को लागू कर एक बड़े गरीब तबके को शिक्षा से वंचित कर रही है और तीन नए कृषि कानूनों को लागू कर के देश की खेती को कार्पाेरेट के हाथों बेच रही है.
भाकपा नेता व बक्सर के पूर्व सांसद तेज नारायण यादव ने कहा कि हमें लूट व भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए आंदोलन तेज करना होगा. बिहार में अब भी लगभग सात से आठ लाख लोग बेघर हैं. आज भी लोगों के पास घर नही है. यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
सम्मेलन के मुख्य वक्ता आइसा महासचिव व पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज लगातार संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ रही हैं. सरकार खुद अपने ही नागरिकों, पत्रकारों, विपक्ष के नेताओं के खिलाफ पेगासस के जरिए जासूसी करा रही है. शिक्षा से इस सरकार को बहुत दिक्कत है. वाजपेई सरकार के समय भी शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक निर्माण नही था बल्कि शिक्षा बाजार के हवाले करना था. यही दिशा आज कीे नई शिक्षा नीति 2020 में दिख रही है.
महीने में 60 ऑनलाइन क्लास चलाने के सरकारी निर्णय का यही मतलब निकलता है कि सरकार को शिक्षा से कोई मतलब नहीं है. बिहार के 91प्रतिशत काॅलेजों की नैक की मान्यता समाप्त हो जाएगी, लाॅ की पढ़ाई खत्म हो रही है, जबरन सीबीसीएस थोपा जा रहा है, तमाम बहालियों पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. शिक्षा-रोजगार छिनने के खिलाफ आइसा ने कहा था – ‘लड़ो पढ़ाई करने को, पढ़ो समाज बदलने को.’ चाहे रोजगार का मामला हो या लोकतंत्र बचाने का, हमारे सामने संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं है.
उदघाटन सत्र को एआइएसएफ के बक्सर जिला अध्यक्ष बबलू राज ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता आइसा राज्य अध्यक्ष मुख्तार व संचालन राज्य सचिव सबीर ने किया.
सम्मेलन के सांगठनिक सत्र की शुरुआत 3 अक्टूबर की शाम से शुरू होकर 4 अक्टूबर तक चली. सम्मेलन में बिहार के 23 जिलों से 185 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. प्रतिनिधि सत्र में विदाई कमिटी के द्वारा पेश किये गये. कामकाज की रिपोर्ट पर 37 प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे. सम्मेलन के पर्यवेक्षक रणविजय की देखरेख में 109 सदस्यीय राज्य काउंसिल और 63 सदस्यीय राज्य कार्यकारणी का चुनाव हुआ. राज्य सचिव के रूप में पुनः सबीर कुमार और राज्य अध्यक्ष विकास यादव बने. सात सह सचिव व आठ उपाध्यक्ष भी बनाये गये.
सम्मेलन में संभवतः पहली बार 9वीं और 10वीं कक्षा की छात्राओं ने प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया.
पटना के कोरस टीम द्वारा भगतसिंह तुम जिंदा हो नाटक किया गया और युवानीति के साथी राजू रंजन द्वारा विजेंद्र अनिल व रमता जी द्वारा रचित गीतों की प्रस्तुति की गई.
सम्मेलन ने शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के सवाल को लेकर आंदोलन खड़ा करने, 50,000 सदस्य बनाने, प्लस टू स्कूलों में आइसा का संगठन निर्माण करने, कई जिलों में सम्मेलन करने, काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में फीस वृद्धि के खिलाफ और सीट वृद्धि के लिए आंदोलन तेज करने, नई शिक्षा नीति के खिलाफ बिहार के काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में व्यापक अभियान चलाने और बिहार के 38 जिलों में संगठन निर्माण को आगामी कार्यभार के रूप में लिया और लखीमपुर खीरी जनसंहार, किसान आंदोलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व सम्मानजनक रोजगार, यूएपीए और देशद्रोह कानून समेत कई मसलों पर प्रस्ताव पारित किए.