वर्ष - 30
अंक - 22
29-05-2021


कामरेड अलाउद्दीन शास्त्री का 22 मई 2021 को 89 साल की उम्र में लखनऊ में निधन हो गया. उनको पिछले मार्च महीने में ब्रेन हैमरेज हो गया था. लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल काॅलेज में उनका इलाज चला था.

पीलीभीत निवासी कामरेड शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुआ था. उन्होंने काशी विद्यापीठ विश्विद्यालय से संस्कृत में ‘शास्त्री’ की डिग्री ली थी. कुछ समय तक उन्होंने लखनऊ में मलेरिया विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में नौकरी की. 1960 के दशक में जब सरकार द्वारा जिला लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में उपनिवेशन योजना के तहत पूर्वांचल के भूमिहीन व खेत मजदूरों को बसाया जा रहा था, तो उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और पीलीभीत जिले में आकर सिद्धनगर गांव में अपने लिए कृषि भूमि और आवास आवंटित कराकर वहीं रहने लगे.

कामरेड शास्त्री पर समाजवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव था. वह प्रजा सोसलिस्ट पार्टी (पीएसपी) से जुड़े हुए थे. बाद में पीएसपी के कांग्रेस में विलय के बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. कांग्रेस में होने के बावजूद कामरेड अलाउद्दीन शास्त्री नक्सलबाड़ी आंदोलन से काफी प्रभावित थे. उनका तत्कालीन कम्युनिस्टों से जीवन्त सम्पर्क था. दस साल प्रधान रहते हुए उन्होंने राहुल नगर गांव बसाया और भूमिहीनों को पट्टा दिया. जब वह उपनिवेशन योजना के क्रियान्वन के लिए बनाई गई 20-सूत्री कमेटी के सदस्य हुए तो उन्होंने कुछ व्यक्तियों को 20 एकड़ या 10 एकड़ भूमि आवंटित करने के बजाय समान रूप से सभी परिवारों को सवा तीन-तीन एकड़ जमीन आवंटित करने का सुझाव दिया जिसे प्रशासन द्वारा मान लिया गया और भूमिहीनों को सवा तीन-तीन एकड़ भूमि आवंटित हुई. वह प्रशासनिक भ्रष्टाचार व भू-माफियाओं के खिलाफ काफी मुखर होकर लड़ते थे.

लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह आभास हो गया कि कांग्रेस में रहते हुए वह गरीबों की लड़ाई को आगे नहीं बढ़ा सकते, क्योंकि जिन भू-माफियाओं और जिस भ्रष्टाचार से वह लड़ रहे हैं उन्हें कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था. ’80 के दशक के आखिरी वर्षाें में वह भाकपा(माले) में शामिल हुए और पार्टी के पूरावक्ती कार्यकर्ता की तरह कार्य करने लगे.

पार्टी से जुड़ने के बाद उन्होंने ’90-दशक के शुरूआती वर्षों में भू-माफियाओं, वन विभाग और प्रशासन के त्रिगुट के खिलाफ पार्टी के जुझारू और तीखे आंदोलन में अग्रिम पंक्ति में रहकर पार्टी का नेतृत्व किया जिसकी वजह से राहुल नगर मजदूर बस्ती में सैकड़ों दलित, भूमिहीनों और गरीबों को बसाया जा सका. पीलीभीत में टाइगर रिजर्व के नाम पर जंगल किनारे बसे ग्रामीणों को उजाड़ने और उत्पीड़न के खिलाफ उनके नेतृत्व में जुझारू आंदोलन चलाया गया.

जनसंघर्षों के दौरान कामरेड अलाउद्दीन शास्त्री पर गैंगस्टर सहित दर्जनों फर्जी आपराधिक मुकदमे लगे और वह कई बार जेल गए. लेकिन जेल और आपराधिक मुकदमे कभी उनके मजबूत हौसलों को पस्त नहीं कर सके.

जनता के बीच वह काफी लोकप्रिय थे. ब्रेन हैमरेज के पूर्व तक वह राजनीति में सक्रिय रहे.

कामरेड शास्त्री को लाल सलाम!