ऑक्सीजन के अभाव में लखनऊ समेत प्रदेश में कोरोना मरीजों की लगातार हो रही मौतों के बीच मुख्यमंत्री योगी द्वारा ऑक्सीजन प्लांट लगाने का आदेश जारी करने पर भाकपा(माले) की राज्य कमेटी ने यह कहते हुए कि मुख्यमंत्री योगी की अगुआई में प्रदेश सरकार आग लगने पर कुआं खोदने वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है, विगत 25 मई को राज्यव्चाी विरोध प्रदर्शन किए.
पार्टी राज्य सचिव काॅ. सुधाकर यादव ने विगत 19 अप्रैल 2021 को जारी बयान में कहा कि प्लांट लगते-लगते ऑक्सीजन के अभाव में कई जानें बिछ चुकी होंगी. सरकार साल भर ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ और ‘दो गज दूरी मास्क जरूरी’ का नारा लगवाती रही, मगर उसने खुद के स्तर पर पूर्व तैयारियां करने के मामले में घोर लापरवाही का परिचय दिया है. सरकार के पास गुजरे एक साल का समय कोविड-19 से लड़ने की तैयारियों के लिए था. वैज्ञानिकों की ओर से यह भी आगाह किया गया था कि कोरोना की दूसरी लहर की संभावना है. लेकिन सरकार ने गुजरे समय को मानव जिंदगियां बचाने की जरुरी तैयारियां – जांच, इलाज, एम्बुलेंस, अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू, इंजेक्शन व टीके की पर्याप्त व्यवस्था करने के बजाय गैर जरूरी कामों में गवां दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि अब श्मशान में भी जगह नहीं मिल रही है. कोविड-19 के प्रसार के लिए जनता को जिम्मेदार ठहराने और भारी-भरकम जुर्माना लगाने में सरकार की ओर से कोई कोताही नहीं है. लेकिन सरकार ने जो अपने स्तर पर तैयारियों को लेकर मुजरिमाना लापरवाही दिखाई है, उसकी जवाबदेही कौन लेगा? इलाज के नाम पर हर ओर लूट मची है. रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की भारी कालाबाजारी हो रही है. आम आदमी के बीच के कोविड मरीजों का पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है. क्या ऐसी सरकार को, जिसने प्रदेशवासियों को ऐसी विपदा में उनके हाल पर छोड़ दिया हो – जहां बेड, दवाई और ऑक्सीजन के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हों और लाशों के अंबार लग रहे हों – सत्ता में बने रहने का जरा भी हक है?
भाकपा(माले) ने कहा कि भाजपा के लिए इंसानी जिंदगियां बचाने की जगह वोट, कुर्सी और धार्मिक अनुष्ठानों पर ध्यान लगाना ज्यादा महत्वपूर्ण है. बंगाल चुनाव से लेकर यूपी पंचायत चुनाव और हरिद्वार महाकुंभ तक यही दिख रहा है. संवेदनहीनता की पराकाष्ठा यूपी सरकार ही नहीं, भाजपा के शीर्ष स्तर पर भी है. जब बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं, तो रोकथाम की जरुरी व्यवस्था करने की जगह तेजी से फैलती कोरोना लहर में भी रैलियां व रोड शो करने में प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक मशगूल हैं. लोकतंत्र को फूटी आंखों न पसंद करने वाली पार्टी लोकतंत्र का चैंपियन होने का ढोंग कर रही है.
भाकपा(माले) ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर को रोकने में योगी-मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाही व अक्षम्य विफलता के विरोध में विगत 25 अप्रैल 2021 को दोपहर 12 से 1 बजे के बीच घरों व कार्यस्थलों से वर्चुअल प्रोटेस्ट करने और मांगों के साथ प्लेकार्ड, तस्वीर व वीडियो सोशल मीडिया पर डालने का आह्वान किया.
“एम्बुलेंस, बेड, ऑक्सीजन व वेंटिलेटर के अभाव में तड़पते कोविड मरीजों की मौतों का जिम्मेदार कौन? योगी-मोदी जवाब दो!” नारे के साथ आयोजित इस विरोध दिवस के दौरान सभी को मुफ्त कोरोना वैक्सीन देने, सरकारी व निजी अस्पतालों में सभी की मुफ्त कोरोना जांच व इलाज, आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या पर्याप्त रूप से बढ़ाने और रिपोर्ट 24 घंटे में देने, गंभीर मरीजों के लिए अतिशीघ्र एम्बुलेंस, अस्पतालों में पर्याप्त बेड, आईसीयू, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर व दवा-इंजेक्शन की उपलब्धता, जिले व ब्लाॅक स्तर पर कोविड इलाज को जरूरी सुविधाओं से लैस अस्पताल, डाॅक्टर व आईसीयू उपलब्ध कराने, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर व अन्य जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाने, प्रवासी मजदूरों को ससम्मान घर पहुंचाने और उन्हें व सभी गरीबों को अगले तीन माह तक प्रतिमाह 10 हजार रु. भत्ता व छह माह तक मुफ्त राशन-ईंधन देने, मनरेगा में रोजगार सृजन व शहरी गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग को प्रमुखता से उठाया गया.
इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने बताया कि कई महत्वपूर्ण अस्पतालों में वेंटिलेटर तो सप्लाई कर दिए गये, मगर उन्हें चलाने वाले तकनीशियनों व विशेषज्ञों की उचित व्यवस्था नहीं की गई. लिहाजा वैंटिलेटर का स्टाॅक होते हुए भी दो-तिहाई संख्या धूल फांक रही है. केरल जैसे राज्य ने इसी महामारी के बीच ऑक्सीजन प्लांट लगाकर इसे मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली और दूसरे राज्यों को आपूर्ति करने की क्षमता भी बना ली. मगर यूपी जैसे बड़े राज्य की मौजूदा सरकार राम भरोसे रही, जिसका हश्र सभी देख व झेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने कोरोना की पहली लहर और उसके भी पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज में ऑक्सीजन की कमी से तड़प-तड़प कर हुई बच्चों की मौत कांड से कोई सबक नहीं लिया. वह कोरोना लहर के सुनामी बनने का इंतजार करती रही. लिहाजा उत्तर प्रदेश कोरोना प्रदेश और श्मशान प्रदेश बन गया है, जहां जनाजों के लिए कई गुनी कीमत चुकानी पड़ रही है और लाशों को दफनाने के लिए लकड़ियां तक कम पड़ गईं. कोरोना महामारी की दूसरी लहर को रोकने में योगी-मोदी सरकार की लापरवाही आपराधिक व विफलता अक्षम्य है. इसकी जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को पदत्याग कर देना चाहिए.
राज्यव्यापी आह्वान के तहत लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, गाजीपुर, मथुरा सहित विभिन्न जिलों में प्रतिवाद किया गया. राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव ने राबट्र्सगंज (सोनभद्र) में प्रतिवाद का नेतृत्व किया. उन्होंने सरकार को चेताया कि वैज्ञानिकों ने मई के महीने में कोरोना संक्रमण में और भी तेजी आने की संभावना जताई है. लिहाजा सरकार को कोरोना से निपटने में अभी भी रह गई कमियों को समय से पूर्व दूर कर लेनी चाहिये और चुनावों व वोटों की तुलना में इंसानी जिंदगियां बचाने को सर्वाेच्च प्राथमिकता देनी चाहिए.