कोविड-19 और क्रूर राज्य व्यवस्था ने हमारे महत्वपूर्ण साथी और भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाए रखने, बच्चों के बुनियादी शिक्षा के अधिकार के लिए सतत् संघर्षरत प्रिय अंबरीश राय को हमसे छीन लिया.
कामरेड अम्बरीश राय छात्रा जीवन से ही साथी अंबरीश वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन का अभिन्न हिस्सा बन गए थे. इसकी शुरूआत उन्होंने सीपीआइ सं संबद्ध छात्र संगठन एआइएसएफ से की. 88-89 के दौर में वे इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) और फिर भाकपा(माले) में आये. वे भाकपा(माले) की उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी व स्थायी समिति का सदस्य रहते हुए पूर्वांचल में पार्टा कामकाज का नेतृत्व किया और ऐक्टू के मोर्चे पर मजदूर आंदोलनों की अगली कतार में रहे. फासीवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए वह आल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) से उसके स्थापना के समय से ही जुड़े थे. देश के प्रगतिशील-वाम-लोकतांत्रिक आंदोलन के साथ उनका घनिष्ठ रिश्ता था. दिल्ली में अधिकांश प्रतिरोध संघर्षों में हमेशा उनकी जीवंत उपस्थिति होती थी. कैसी भी कठिन स्थितियां हों, उनकी निश्चल हंसी हमेशा संघर्ष के लिए हौसला देती थी.
कुछ वर्षों पहले उन्होंने ‘शिक्षा अधिकार आंदोलन’ गठित कर शिक्षा पर हो रहे भगवा कारपोरेट हमले के खिलाफ और समाज के हाशिए पर खड़े बच्चों के शिक्षा अधिकार के लिए प्रभावी अभियान छेड़ा. उनका निधन फासीवाद के खिलाफ चल रहे प्रगतिशील व लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए अपूरणीय क्षति है.