ऐपवा के बैनर तले इकट्ठा हुई हजारों महिलाओं ने जारी बजट सत्र के दौरान विगत 15 मार्च 2021 को झारखंड विधान सभा के समक्ष रोषपूर्ण मार्च किया. महिलाओं का यह मार्च हटिया रेलवे स्टेशन से शुरू हुआ और पुरानी विधान सभा स्थित बिरसा चौक होते हुए नयी विधानसभा के समक्ष कुटे मैदान तक पहुंचा. वहां आयोजित हुई सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव कामरेड मीना तिवारी ने कहा कि लाॅकडाउन के कारण झारखंड सहित पूरे देश में महिलाओं को भारी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा हैं. इस आर्थिक तंगी के दौर में भी जो महिलाएं गांवों में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं और माइक्रोफायनेंस कम्पनियों ने उन्हें मोटे ब्याज दर कर्ज दिया है, उन्हें तबाही झेलनी पड़ रही है. इन माइक्रोफायनेंस कम्पनियों के लोग गांव-गांव जाकर उन पर ऋण चुकता करने का दबाव बना रहे हैं और चुकता नहीं कर पाने की स्थिति में उनके साथ अपमानजनक व्यावहार कर रहे हैं. झारखंड की सरकार को इस बजट सत्र में उनके सवाल को शामिल कर उस पर विचार करना चाहिए. सरकार को उनके ऋण माफ करना और माइक्रोफायनेंस कम्पनियों पर लगाम लगाना होगा.
ऐपवा की राज्य सचिव गीता मंडल सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड की सरकार ने जिस तरह से किसानों का ऋण माफ किया है, उसी तर्ज पर राज्य की आधी आबादी महिलाओं का ऋण माफ करने की घोषणा करनी चाहिए. लेकिन हेमंत सरकार के संज्ञान में ये महिलाएं नहीं है. महिलाओं के आंदोलन के दबाव में मौजूदा बजट सत्र के पहले रसोइया के मानदेय में 500 रुपये की बढ़ोतरी कर उसे 2000 रुपये प्रतिमाह किया गया है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ऋण माफी के सवाल पर आंदोलन की तो अभी शुरूआत ही हुई है. यह आंदोलन और भी तेत होगा और सरकार को ऋण माफी का निर्णय लेना ही पड़ेगा.
कार्यक्रम को ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सविता सिंह, राज्य सहसचिव जयंती चौधरी, रसोइया संघ की राज्य अध्यक्ष अनीता देवी, नीता बेदिया, लखिमुनी मुंडा, पूनम महतो, सरिता साव, ऐती तिर्की, शांति सेन, नंदिता भट्टाचार्य, कल्पना, नीलम शाहाबादी, कौशल्या दास, मनीषा सिंह आदि महिला नेताओं के अलावा बगोदर के भाकपा(माले) विधायक कामरेड विनोद सिंह ने भी संबोधित किया. वक्ताओं ने रसोइया, सहिया, जलसहिया, सेविका, सहायिका, पोषण सखी व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की समस्याओं पर विस्तार से अपनी बातें रखीं.