वर्ष - 30
अंक - 10
06-03-2021

 

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में किसानों की भागीदारी बढ़ती जा रही है. देशभर में हो रहीं किसान पंचायतों में किसान नेताओं को सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है.

इसी क्रम में विगत 1 मार्च को तराई के किसानों की एक बड़ी महापंचायत उत्तराखंड के रुद्रपुर में आयोजित की गई. इस क्षेत्र के किसानों ने पहले ही किसान आंदोलन में उच्च स्तर की भागीदारी दिखाई है. रुद्रपुर में हजारों किसान आज एक बार फिर से केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए एकत्रित हुए कि यह संघर्ष केवल पंजाब का नहीं है.

रुद्रपुर की किसान महापंचायत को ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, डाॅ. दर्शन पाल, तेजिंदर सिंह विर्क, पुरुषोत्तम शर्मा, आशीष मित्तल, जगतार सिंह बाजवा और जगबीर सिंह समेत कई किसान नेताओं ने संबोधित किया. पंजाबी गायक सोनिया मान, रूपिंदर हांडा और हैरी धनोवा भी महापंचायत में शामिल हुए.

किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तेजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि गाजीपुर मोर्चा को कमजोर नहीं होने देना है. उन्होंने प्रत्येक घर से कम से कम एक सदस्य को दिल्ली पहुंचने और मोर्चे को मजबूत करने की अपील की.

हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने लोगों से अपील की कि वे अंबानी-अडानी के साथ बाबा रामदेव के उत्पाद का बहिष्कार करें. उन्होंने कहा कि यह सरकार हमेशा विभाजनकारी नीति अपना रही थी. संत रविदास जयंती पर सर छोटूराम की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाकर दलित समुदाय को दुश्मन बनाने की कोशिश की गई है लेकिन लोग अब समझदार हो गए हैं. उन्होंने कह कि क्या पता कल को बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने का कोई प्रयास किया जाएगा. चढूनी ने कहा कि जिस तरह किसानों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को रैली करने की अनुमति नहीं दी, उसी तरह उत्तराखंड के किसानों को भाजपा नेताओं का बहिष्कार करना चाहिए.

इस आंदोलन के उतार-चढ़ाव के बारे में बात करते हुए, डाॅ दर्शन पाल ने कहा कि अब सख्ती से लड़ने की जरूरत है. उन्होंने उत्तराखंड के लोगों से आग्रह किया गया कि वे भविष्य में पंजाब और हरियाणा की तरह सभी टोल प्लाज़ा मुक्त करें. डाॅ. दर्शऩ पाल ने आने वाले दिनों में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बड़ी महापंचायत आयोजित करने की बात करते हुए हर गांव के किसानों को दिल्ली धरना में भी शामिल होने की अपील की.

महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को अपनी फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया है. किसान बड़े परिश्रम से फसलों को पालते है. अब अन्दोलन की लड़ाई और फसल की कटाई एक साथ होगी. राकेश टिकैत ने कहा है कि पहाड़ के किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. फसल की एमएसपी तक नहीं मिल पाती. खासकर सब्जी, फल और मोटे अनाज का उचित दाम नहीं मिलता. यही वजह है कि पहाड़ों से लगातार पलायन हो रहा है.

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव और एआइकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप सदस्य पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि आज देश का किसान खेती बचने की ही नहीं, देश की खाद्य सुरक्षा की भी लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि नया मंडी क़ानून और नया आवश्यक वस्तु अधिनियम लागू होने के बाद देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली समाप्त हो जाएगी और गरीबों की थाली से भोजन छिन जाएगा. उन्होंने कहा कि जब देश का पूरा अनाज कॉरपोरेट के गोदाम में चला जाएगा, तो वह उसे अति मुनाफे का सौदा बनाएंगे. अगर उन्हें गरीब की थाली में भोजन देने से ज्यादा मुनाफा शराब और इथिनाल बनाने में होगा, तो वे पूरे अनाज का शराब और इथिनाल बना देंगे. इस लिए देश के मजदूरों व गरीबों को किसानों के साथ इस लड़ाई में हिस्सा लेना है.