स्वामी सहजानंद के जन्मदिन पर बिहार के जिला मुख्यालयों पर कंपनीराज के खिलाफ किसान मार्च निकला. मुजफ्फरपुर में उनके फोटो और उनके उद्धरणों के पोस्टर तथा लाल झंडों और बैनर के साथ मार्च हरिसभा चौक स्थित माले कार्यालय से मार्च निकला जो क्लब रोड, जिला स्कूल व कच्ची-पक्की रोड, छोटी कल्याणी तथा हरिसभा रोड से गुजरा. इस दौरान स्वामी जी की क्रांतिकारी किसान आंदोलन की धारा अमर रहे, खेत-खेती-किसान बचाओ – काॅरपोरेट लूट का राज मिटाओ, किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लो, अडानी-अंबानी का कंपनीराज नहीं चलेगा, बिहार में सरकारी मंडी व्यवस्था लागू करो जैसे नारे लगाए गए.
मार्च में माले जिला सचिव कृष्णमोहन, किसान महासभा के जिला सचिव जितेंद्र यादव, खेत मजदूर सभा के जिला सचिव शत्रुघ्न सहनी, इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह, रेयाज खान, किसान नेता परशुराम पाठक, होरिल राय, नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष विवेक कुमार, शफीकुर रहमान, छात्र नेता दीपक कुमार, फैजान अख्तर, भाकपा(माले) कार्यकर्ता विजय गुप्ता, संतलाल पासवान, मुन्ना कुरैशी, मो. गुलजार, अमोद पासवान, विकास कुमार, गुड्डू कुमार, आदिल हुसैन, सचिन कुमार, ऐक्टू के दशरथ दास, नरेश चौधरी, चंदेश्वर भगत सहित अन्य शामिल थे.
मार्च को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) व किसान नेताओं ने कहा कि अंग्रेजों के कंपनीराज और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ स्वामी जी नेतृत्व में ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ था. किसान आंदोलन के बल पर आजादी के बाद देश में जमींदारी व्यवस्था का उन्मूलन हुआ और किसानों के हक में कानून बने. आज फिर देश के किसान तीन कृषि कानूनों के द्वारा देश पर थोपे जा रहे आधुनिक कंपनी राज के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन में जुटे हैं. आंदोलन 100 दिन पार कर चुका है, लेकिन मोदी सरकार अंग्रेजी राज की तरह किसानों के आंदोलन को बदनाम करने तथा दमन चक्र चलाने की नीति पर चल रही है. बिहार के किसान स्वामी जी के क्रांतिकारी किसान आंदोलन से प्रेरणा लेकर आंदोलन और तेज करेंगे.
इस दौरान माले व किसान महासभा के सचिव ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ 18 मार्च को पटना विधानसभा के समक्ष राज्यव्यापी विशाल किसान मार्च का आयोजन किया गया है. उसके पूर्व 15 मार्च तक गांव-पंचायतों-प्रखंडों से किसान रथ यात्रा गुजरेगी. विभिन्न जिलों के लिए सात किसान रथ को स्वामी के पटना-बिहटा स्थित संस्थान से लाल झंडा दिखला कर माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रवाना किया.
भोजपुर के जिला मुख्यालय आरा में भी तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने एवं बिहार में एपीएमसी एक्ट पुनर्बहाल करने की मांग के साथ भाकपा(माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में किसान मार्च निकला जो पूर्वी रेलवे गुमटी से अम्बेडकर चौक तक गया.
वहां आयोजित सभा को भकपा(माले) जिला सचिव जवाहर लाल सिंह, तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, आगिआंव विधायक मनोज मंजिल ने संबोधित किया. किसान मार्च में भाकपा(माले) नगर सचिव दिलराज प्रीतम जी, ऐपवा नेत्री इंदु जी समेत कई नेता-कार्यकर्ता व सैकड़ों किसान भी रहे.
बक्सर जिले के डुमरांव में भी स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर कंपनी राज के खिलाफ किसान मार्च निकाला गया. अरवल में ‘अखिल भारतीय किसान महासभा’ द्वारा स्थानीय विधायक का. महानंद सिंह व भाकपा(माले) जिला सचिव जितेन्द्र यादव के नेतृत्व में किसानों का मार्च निकला जो गांधी मैदान होते हुए प्रखंड सह अंचल कार्यालय तक गया.
सुपौल के त्रिवेणीगंज स्थित विज्ञान महाविद्यालय के प्रांगण में भाकपा(माले) नेता चन्द्रकिशोर यादव की अध्यक्षता में आयोजित किसान महापंचायत को किसान महासभा के नेता अच्छेलाल मेहता, भाकपा(माले) के जिला सचिव का. जयनारायण यादव, किसान नेता नवल किशोर मेहता व रामदेव यादव ने संबोधित करते हुए 11 से 15 मार्च तक चलने वाली किसान यात्राओं व 18 मार्च को सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर पटना में विधानसभा मार्च को सफल बनाने की अपील की.
नालंदा के बिहार शरीफ में आयोजित किसान मार्च को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) जिला सचिव सुरेन्द्र राम ने कहा कि केंद्र सरकार को तीनों किसान विरोधी काला कानून को वापस लेना ही पड़ेगा. औरंगाबाद जिले के ओबरा स्थित संत पदारथ सामुदायिक भवन में सतेंद्र सिंह की अध्यक्षता में में किसान दिवस मनाया गया. मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव का. मुनारिक राम ने कहा कि आज जो किसान आंदोलन चल रहा है उससे सहजानंद सरस्वती की प्रसांगिकता बढ़ गई है कार्यक्रम में किसान महासभा के जिला सचिव का. कामता यादव, भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव दुखन राम, दाउदनगर टाउन सचिव बिरजू चौधरी, जिला कमिटी सदस्य जैहिंता पासवान, विनोद पासवान, अजय मेहता, राजेश्वर मेहता, संजय राम, ललन भुइयां, दिनेश राम, दिनेश महतो समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे.
मधुबनी में स्वामी सहजानंद सरस्वती के जयंती पर मालेनगर में कार्यशाला आयोजन किया गया और संकल्प सभा हुई. बिशंम्भर कामत की अध्यक्षता में आयोजित संकल्प दिवस को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती के जयंती के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि देश में जो ऐतिहासिक किसान आंदोलन चल रहा है. अडानी अंम्बानी सरीखे कारपोरेट पूंजीपतियों के हाथों खेती किसानी को नीलाम लगाने के खिलाफ किसान करो-मरो की लड़ाई लड़ रहे है. उसमें मजबूती से भाग लेते हुए 18 मार्च को पटना में आयोजित बिधानसभा मार्च को सफल करेंगे.
संकल्प दिवस व कार्यशाला में भाकपा(माले) नेता श्याम पंडित, बेचन राम, दानी लाल यादव, योगेन्द्र यादव, बिशम्भर कामत, एस के जयपुरिया, मारकण्डे यादव, गणेश यादव, राम बाबू साह आदि सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
राजधानी पटना में भाकपा(माले) व अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त बैनर से किसान मार्च हुआ.
इंटरमीडिएट कौंसिल से निकलकर यह मार्च स्वामी सहजानन्द सरस्वती पार्क पहुंचा. जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया. मार्च में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी एक्ट को पुनर्बहाल करने, छोटे-बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान योजना देने आदि के नारे लगाये जा रहे थे. शामिल लोगों ने सहजानन्द के किसान आंदोलन से संबोधित तख्तियां भी ले रखी थी.
भाकपा(माले) के डुमरांव विधायक अजीत कुशवाहा ने इस मौके पर कहा कि आज देश व किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन ने सत्ता द्वारा उसे कुचल देने के सभी प्रयासों को निष्फल करते हुए 100 दिन पूरे कर लिए और अब अपना चौतरफा विस्तार पा रहा है. भाजपा को सत्ता से बाहर करने के संकल्प के साथ यह आंदोलन अब आजादी की दूसरी लड़ाई में बदल गया है. बढ़ते किसान आंदोलन से बेचैन भाजपा अब छोटे व सीमांत किसानों की हितैषी होने का स्वांग रचकर किसान आंदोलन में फूट डालने का एक बार फिर असफल प्रयास कर रही है. हर कोई जानता है कि छोटे व बटाईदार किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन कोई और नहीं बल्कि भाजपा और उसके संगी-साथी हैं. अपने ही राज्य बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने अपने ही द्वारा गठित डी वंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिशों को कभी लागू नहीं होने दिया. बटाईदारों के पक्ष में आयोग द्वारा की गई अनुसंशाओं को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया. बटाईदारों का निबंधन कराने तक को सरकार तैयार नहीं हुई.
भाकपा(माले) की राज्य कमिटी के सदस्य रणविजय कुमार ने कहा कि मोदी सरकार के बहुप्रचारित किसान सम्मान निधि योजना में भूमिहीन किसानों व बटाईदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. उनके हक की लड़ाई लाल झंडे के नेतृत्व में लड़ी गई है और आज इस तबके ने अपनी मांगों के साथ-साथ एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली आदि सवालों को उठाकर किसान आंदोलन के दायरे को व्यापक बना दिया है. भाजपा-जदयू को किसानों की निर्मित होती इसी एकता से दिक्कत में है. जहानाबाद में भी स्वामी सहजानंद के जन्मदिन के मौके पर कार्यक्रम आयोजित हुआ.
मोदी व नीतीश सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे जुल्म के खिलाफ 11 से 15 मार्च तक पूरे बिहार में किसान यात्राये भी निकली हैं, जिसका समापन 18 मार्च को संपूर्ण पटना में विधानसभा मार्च में होगा. 26 मार्च के भारत बंद को भी ऐतिहासिक बनाने की अपील की गई.
कार्यक्रम में समता राय, नसीम अंसारी, पन्नालाल सिंह, मुर्तजा अली, अशोक कुमार, अनय मेहता, रामकल्याण सिंह, राखी मेहता, कृष्ण कुमार सिन्हा, सत्येंद्र शर्मा, संजय यादव, डाॅ. प्रकाश, विनय कुमार, पुनीत कुमार, शिवजी राय, विक्रांत कुमार, रवि यादव, विजय कुमार, विकास यादव, शाश्वत, रामजी यादव, प्रेमचंद सिन्हा, दिलीप सिंह, आस्मां खान, रानी प्रसाद, मुश्ताक राहत, संतोष आर्या आदि उपस्थित थे.
नवादा, बेतिया, सासाराम, बेगूसराय में भी स्वामी सहजानंद के जन्मदिन पर कार्यक्रम आयोजित हुए.