वर्ष - 30
अंक - 12
20-03-2021

 

विगत 18 मार्च 2021 को तीनों कृषि काूननों को रद्द करने, बिहार विधानसभा से उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली और भूमिहीन व बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ प्रदान करने सहित अन्य मांगों पर बिहार विधानसभा के समक्ष पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में भाकपा(माले), अखिल भारतीय किसान महासभा व खेग्रामस के संयुक्त बैनर से आयोजित किसान-मजदूरों की महापंचायत में हजारों किसान-मजदूरों ने भागीदारी निभाई.

महापंचायत में  मुख्य वक्ता भाकपा(माले) महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार के किसानों के साथ भाजपा-जदयू ने सबसे बड़ा धोखा किया है. 2006 में ही एपीएमसी ऐक्ट को खत्म करके भाजपा-जदयू सरकार ने यहां के किसानों को दुर्दशा के चक्र में धकेल दिया. कहा कि एमएसपी का सवाल केवल बड़े किसानों का नहीं है, बल्कि इसका खामियाजा छोटे किसानों को भुगतना होगा. यहां के किसानों को सबसे कम कीमत मिलती है. देश के हरेक हिस्से में किसानों को एमएसपी मिलनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग पंजाब और बिहार को एक दूसरे के विरोध में खड़ा करना चाहते हैं, लेकिन आज इस महापंचायत ने साफ संदेश दिया है कि बिहार के किसान भी आज मजबूती से खड़े हो चुके हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आगामी 26 मार्च के भारत बंद को उन्होंने बिहार में एक ऐतिहासिक बंद में तब्दील कर देने का आह्वान किया. उन्होंने यह भी कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पंजाब से उठ खड़ा किसान आंदोलन स्वामी सहजानंद सरस्वती-रामनरेश राम जैसे किसान नेताओं की सरजमीं बिहार में नया आवेग व विस्तार पा रहा है. आज की महापंचायत बिहार के घर-घर व गांव-गांव तक इस आंदोलन को फैला देने का काम करेगी.

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में होेने वाले चुनावों में किसानों का ही मुद्दा प्रधान मुद्दा होगा. एक-एक वोट भाजपा के खिलाफ डाल जायेगा और उसे करारा झटका लगेगा.

पंजाब से आए किसान नेता गुरनाम सिंह भिखी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लगाए गए तमाम बंदिशों को ध्वस्त करते हुए हम 26-27 नवंबर से दिल्ली के बाॅर्डरों पर जमे हुए हैं. हम आपसे कहने आए हैं कि तीन कृषि कानून के खिलाफ लड़ाई केवल पंजाब-हरियाणा के किसानों की नहीं है. यदि हमारी खेती व हमारी जमीन काॅरपोरेटों के हवाले हो जाएगी, तो फिर हम खायेंगे क्या? ये कानून पूरे देश में खाद्यान्न संकट पैदा करेंगे और गरीबों के मुंह से रोटी छीन जाएगी. इसलिए हमारे लिए यह जीने-मरने की लड़ाई है. यह वक्त है कि देश के सभी किसान एकजुट हो जायें. हम एमएसपी लेकर रहेंगे.

दिल्ली बाॅर्डर पर किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग करने वाले अखबार ट्राॅली टाइम्स की संपादक व युवा महिला नेता नवरिकण नत्त ने कहा कि खेती में हम महिलाओं का प्रतिशत 50 के आसपास है. लेकिन जमीन में भागीदारी मात्र 2 प्रतिशत है. यह लड़ाई हम सबकी है, पेट भरने की है. पेट का कोई धर्म नहीं होता. जिस प्रकार से जीने के लिए रोज-रोज खेती करना है, उसी प्रकार अब हर दिन आंदोलन भी करना है. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही दिल्ली के बाॅर्डरों पर बिहार से किसानों का जत्था पहुंचेगा.

महापंचायत को राष्ट्रीय जनता दल के नेता व बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री उदयनारायण चौधरी, चर्चित साहित्यकार प्रेम कुमार मणि, सीपीआईएम के राज्य सचिव मंडल के सदस्य गणेश शंकर सिंह, किसान सभा-अजय भवन के नेता अशोक कुमार, पूर्व विधायक मंजू प्रकाश, भाकपा(माले) विधायक व खेग्रामस के सम्मानित बिहार राज्य अध्यक्ष सत्यदेव राम, विधायक व खेग्रामस नेता वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, तरारी से विधायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता सुदामा प्रसाद आदि नेताओं ने भी संबोधित किया. मंच का संचालन अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव, पूर्व विधायक व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बिहार-झारखंड के प्रभारी काॅ. राजाराम सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन बिहार के जाने-माने किसान नेता काॅ. केडी यादव ने दिया. महापंचायत के मंच पर भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव, किसान महासभा के बिहार राज्य अध्यक्ष विशेश्वर प्र. यादव व सचिव रामाधार सिंह, विधायक दल के नेता महबूब आलम, संदीप सौरभ, मनोज मंजिल, महानंद सिंह सहित अन्य कई नेता उपस्थित थे.

Farmer-laborer Mahapanchayat

किसान-मजदूर महापंचायत की कुछ झलकियां

1. लाल झंडों की मनोहारी छटा: पटना का गेट पब्लिक लाइब्रेरी आज लाल झंडे के सैलाब से उमड़ पड़ा था. बिहार के कोने-कोने से दसियों हजार मजदूर-किसान आज के महापंचायत में रेलवे सेवाओं के बंद होने के बावजूद निजी वाहनों से पहुंचे.

2. नारों की तख्तियों ने जोश भरा: मैदान की दीवारों पर कार्यक्रम के नारे व तख्तियां लगी थीं. मुख्य बैनर पर ‘बिहार को किसान आंदोलन के अग्रिम मोर्चे पर खड़ा करो’ का नारा दिख रहा था.

3. याद किए गए किसान नेता: बिहार में आजादी पूर्व किसान आंदोलन के बड़े नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती व आजादी उपरांत काॅ. रामनरेश राम के बड़े कटआउट के साथ शहीद वेदी बनाया गया था. कार्यक्रम की शुरूआत शहीद वेदी पर जाकर नेताओं द्वारा शहीदों को माल्यार्पण करने के साथ ही आरंभ हुई.

4. क्रांति के रागिनी हम त गइबे करब: सभा आरंभ होने के पहले हिरावल व अन्य सांस्कृतिक संगठनों के कलाकारों ने मंच संभाला और लगातार सरकार की काॅरपोरेटपरस्ती और खेती को बर्बाद करने वाले कानूनों के खिलाफ अपने गीत के माध्यम से सभा को बांधे रखा. आज की महापंचायत में महिला किसानों की बड़ी भागीदारी दिखी. वे लगभग 5 घंटे तक मैदान में डटी रहीं और नेताओं का वक्तव्य सुनती रहीं.

5. तीखी धूप के मुकाबले तालियां: महापंचायत में तीखी धूप से बचाव के लिए जो टेंट लगाया गया था, वह इसमें उमड़े जन सैलाब के सामने कम पड़ गया था. एक अच्छी-खासी संख्या में लोगों ने धूप में खड़े होकर ही नेतराओं का वक्तव्य सुना. पंजाब से आये किसान नेताओं व भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर के वक्तव्यों के बीच जोरदार तालियां बजती रहीं.

6. ट्राली टाईम्स की मांग: दिल्ली किसान बोर्डर के अखबार ट्राली टाईम्स की संपादक नवकिरण नत्त ने जब अखबार की कुछ प्रतियां बांटनी चाही तो उसे हासिल करने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. आपाधापी को देखते हुए उनको तत्काल अपना इरादा बदलना पड़ा.

Farmer-laborer Mahapanchayat before Bihar Assembly

किसान-मजदूर महापंचायत ने लिये कई प्रस्ताव

किसान-मजदूर महापंचायत ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए किसान व देश विरोधी तीनों कृषि कानूनों को खेती को काॅरपोरेटों का गुलाम बना देने व खाद्य सुरक्षा, जनवितरण प्रणाली, पोषाहार सरीखी योजनाओं का खात्मा करनेवाला बताते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने तथा बिहार विधानसभा से इनके खिलाफ प्रस्ताव लेने की मांग की.

महापंचायत ने मोदी सरकार के हमलों लगातार बदनाम करने की साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए देशव्यापी किसान आंदोलन के चौथे महीने में प्रवेश का स्वागत किया टौर गैर-खेतिहर नागरिकों व किसानों के बीच की एकता किो तोड़ने, आंदोलन को अलगाव में डालने, आंदोलन के समर्थन में उतर रहे नागरिक आंदोलनों के कार्यकर्ताओं के दमन करने पर तुली मोदी सरकार के इस तानाशाही रवैये की कड़ी आलोचना की तथा किसान आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों की सक्रिय एकता के निर्माण का आह्वान किया. तमाम जनांदोलनों में जेल में बंद तमाम लोगों की रिहाई की मांग की गई.

महापंचायत ने संयुक्त किसान मोर्चा आहूत  आगामी 26 मार्च के भारत बंद का पुरजोर समर्थन करते हुए उसे एक ऐतिहासिक बंद में तब्दील कर देने और बिहार के घर-घर व गांव-गांव तक इस आंदोलन को फैला देने का आह्वान किया.

महापंचायत ने एपीएमसी ऐक्ट को खत्म कर बिहार के किसानों से सरकारी मंडियां छीनकर उन्हें बाजार के हवाले करने के नीतीश सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने, कृषि बाजार समितियों को पुनर्जीवित करने तथा एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली की मांग करती है.

महापंचायत ने भूमिहीन-बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ दिलाने और बटाईदारों के निबंधन की प्रक्रिया आरंभ करने की मांग की.

महापंचायत ने रेलवे, हवाई जहाज, बीमा, कृषि के साथ-साथ सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के खेल को रोकने की मांग करते हुए सार्वजनिक संस्थाओं के तंत्रा को और भी चुस्त-दुरूस्त करने की मांग की.

महापंचायत ने युवाओं के लिए सम्मानजनक रोजगार तथा आशा-आंगनबाड़ी-रसोइया-शिक्षक अर्थात सभी स्कीम वर्करों के लिए ठेका प्रथा व आउटसोर्सिंग खत्म कर स्थायी रोजगार देने की मांग करते हुए उनके आंदोलन का समर्थन करने तथा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग करते हुए सभी संघर्षशील ताकतों के बीच एक बड़ी एकता के निर्माण का आह्वान किया.

भूख से लगातार होती मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए महापंचायत ने सुपौल में आर्थिक तंगी के कारण एक ही परिवार के 5 लोगों द्वारा सामूहिक आत्महत्या की घटना पर गहरा दुक्ष जताया. कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 117 देशों की सूची में 103 वें स्थान पर होने के बावजूद मोदी सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों से इथेनाॅल जैसे अखाद्य पदार्थों का निर्माण भूख से जूझती देश की जनता को मार देने की साजिश के अलावा कुछ नहीं है. बिहार सरकार भी खाद्य पदार्थों से इथेनाॅल बनाने का फैसला ले चुकी है. महापंचायत बिहार सरकार से ऐसे गरीब विरोधी व भूख के दायरे को बढ़ाने वाले निर्णयों को राज्य में लागू नहीं करने की मांग करती है.

महापंचायत ने बिहार सरकार द्वारा सोशल मीडिया को नियंत्रित करने, आंदोलनों में शामिल समूहों को सरकारी नौकरी व ठेका न देने के फरमान और राजधानी पटना सहित पूर राज्य में प्रतिवाद के न्यूनतम अधिकारों को कुचलने की साजिशों का पुरजोर विरोध किया.

साथ ही ड्रैकोनियन शराबबंदी कानून की भर्त्सना करते हुए कहा कि असली माफिया खुद सरकार में बैठे हैं, लेकिन गरीबों को फांसी की सजा दी जा रही है. महापंचायत ने शराब के कारोबार में लिप्त मंत्री रामसूरत राय को बर्खास्त करने और शराबबंदी कानून के नाम पर जेलों में बद हजारों गरीबों की तत्काल रिहाई की मांग की. इन तमाम प्रस्तावों को महापंचायत की शुआत में ही पारित करवाया गया.