वर्ष - 30
अंक - 11
13-03-2021

 

अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिकंदरपुर में चेतन किशोर मैदान में विगत 10 मार्च 2021 को किसान-मजदूर महापंचायत आयोजित हुई जिसे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी संबोधित किया. किसान-मजदूर महापंचायत को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2021 आंदोलन का वर्ष होगा. किसान पूरी ताकत से लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार है. भारत की सरकार ने किसान को छेड़ने की जुर्रत की है, किसान को ललकारा है. किसान इसका जवाब देगा. हम गरीब की रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे. भूख का कारोबार और अन्न का व्यापार नहीं होने देंगे. किसानों-मजदूरों को लूटने वालों को सत्ता से हटाना होगा. को संबोधित कर रहे थे. महापंचायत में राष्ट्रीय किसान व भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता भी शामिल थे. पूरा मैदान लाल, हरे-सफेद झंडों से पटा था. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की अगुवाई में बड़ी संख्या में महिलाएं भी किसान महापंचायत में आई थीं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह तीसरी किसान पंचायत थी. राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों को जाति-पांति और क्षेत्रवाद में बांटने की कोशिश कर रही है, लेकिन किसान इस षडयंत्र को नाकाम कर देंगे. किसान की एक ही पहचान है. वह किसी क्षेत्र और झंडे में नहीं बंटा है. हर दूसरे दिन सरकार किसान आंदोलन पर छींटाकशी करती है. किसान आंदोलन को खालिस्तान और चीन से भी जोड़ दिया गया.

भाकियू नेता ने कहा कि किसानों को हर जगह लूटा जा रहा है. बिहार के मक्का किसानों को सिर्फ 800 रुपये क्विंटल दाम मिला. बिहार और यूपी के किसानों को 700 से 800 रुपये क्विंटल में धान बेचना पड़ा. मसूर का भाव 1,600 रुपये क्विंटल से ज्यादा नहीं मिला. डेढ़ महीने पहले सरसो का भाव छह हजार रुपये क्विंटल था जो अब घटकर साढ़े चार हजार रुपये हो गया है. इसका दाम और गिर रहा है. आलू, गेहूं, चना का भी यही हाल है. उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये बकाया है. किसान की फसल आती है तो भाव मंदा हो जाता है और बाद में उसका दाम बढ़ जाता है. हम सबको मिलकर इस सिस्टम को तोड़ना पड़ेगा.

राकेश टिकैत ने आगे यह भी कहा कि जिस तरह से आदिवासी जल, जंगल, जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, उसी तरह आज किसान अपनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. तीन कृषि कानून किसान से जमीन छीनने का कानून है. सरकार से 12 दौर की बातचीत हुई लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं मानी. टिकैत ने कहा, ‘सरकार को लगता है किसान फसलों की कटाई करने गांव लौट जाएगा और आंदोलन खत्म हो जाएगा लेकिन किसान अब गांव नहीं जाने वाला है. हमारे आंदोलन के रास्ते में फसल नहीं आएगी. किसान खेत में भी रहेगा और आंदोलन में भी रहेगा. आज किसान आंदोलन की चर्चा पूरे देश में हो रही है. फ्रांस और स्पेन में किसानों के पक्ष में कानून बना है. अपने देश में भी यह होकर रहेगा. हमें आंदोलन तेज करना है. किसान अपना ट्रैक्टर तैयार रखे. हर गांव से एक ट्रैक्टर और 15 लोग दस दिन की व्यवस्था बना लें. जब संयुक्त किसान मोर्चा का आह्वान होगा, दिल्ली चल देना. यदि हमें अपनी जमीन बचानी है, रोजी-रोजगार बचाना है तो लुटेरी सत्ता को हटाना होगा. उन्होंने कहा कि हमें पूरी ताकत के साथ संगठित होकर लड़ाई लड़नी है क्योंकि हमारी लड़ाई बड़ी कंपनियों के खिलाफ है जिनकी पहुंच पीएमओ और संसद में है. उन पूंजीपतियों से है जिनके गोदाम कानून बनने से पहले बन जाते हैं. टिकैत ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल भी जाएंगे. हम वहां वोट मांगने नहीं जा रहे हैं. हम किसानों से बातचीत करने जा रहे हैं. वहां भी एमएसपी की लड़ाई है.

महापंचायत को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि तीन कृषि कानून देश में नई गुलामी और कंपनी राज लाने का कानून है. यह कानून खेती, जमीन, अन्ना भंडारण, खाद्य सुरक्षा को बड़े पूंजीपतियों के हवाले करने का कानून है. उन्होंने किसान आंदोलन को पूरी दुनिया को रास्ता दिखाने वाला आंदोलन बताया.

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव चौधरी यु़द्धवीर सिंह ने विस्तार से तीनों कृषि कानूनों के बारे में बताते हुए कहा कि ये कानून किसान की जमीन और फसल पर कब्जा करने का कानून है. इस कानून से उत्पादक भी मरेगा और उपभोक्ता भी मरेगा. उन्होंने सवाल किया कि कानून बनने के पहले कैसे अडानी को 60 लाख मीट्रिक टन भंडारण वाले गोदामों को बनाने की अनुमति मिली और उससे कैसे एमओयू किया गया. उन्होंने सरकार पर झूठ बोलने, गुमराह करने और किसान आंदोलन को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली की सल्तनत ने किसानों को ललकारा है जो उन्हें भारी पड़ेगा. हम इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. राष्ट्रीय किसान सभा के रामाशीष राय ने कहा कि असली सत्ता पूंजीपतियों के पास है, मोदी सरकार तो केवल मुखौटा है. महापंचायत का संचालन कर रहे अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर महासभा के अध्यक्ष श्रीराम चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन से मजदूर और नौजवान जुड़ते जा रहे हैं जिसका सबूत आज की यह महापंचायत है.

5 मार्च 2021 को जालौन जिले के महेबा ब्लाक में किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान-मजदूर पंचायत का आयोजन किया गया. अखिल भारतीय किसान महासभा के तत्वावधान में मुसमरिया के महुआ वाले बाग में आयोजित किसान मजदूर पंचायत को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता का. पुरुषोत्तम शर्मा ने ऐलान किया कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी तक देश के किसानों का आन्दोलन जारी रहेगा.

का. पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि यह तीनों कानून खेती किसानी और खाद्य सुरक्षा की गुलामी के दस्तावेज हैं जिन्हें कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि 2008 और 2020 की विश्व व्यापी आर्थिक मंदियों से कारपोरेट जगत और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने यह सबक लिया है कि आम आदमी की क्रय शक्ति घटने से उपभोक्ता मालों की मांग कम हो गई है लेकिन खाद्यान्न और पानी का बाजार तब तक बना रहेगा जब तक पृथ्वी पर मानव जीवन बचा रहेगा. इसलिए कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कम्पनियां दुनिया भर की सरकारों पर दबाव डालकर ऐसे कानून बनवा रहीं हैं जिससे खाद्यान्न बाजार पर उनका एकाधिकार हो जाए. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के आने से पहले ही मोदी के चहेते गौतम अडानी ने 12 लाख मीट्रिक टन छमता के गोडाउन बना लिए हैं अगर मोदी सरकार का नया मंडी कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम लागू हो गया तो देश का सारा खाद्यान्न अडानी जैसे कारपोरेट के गोदामों में कैद हो जाएगा. इसके बाद मोदी सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये गरीबों को मिलने वाले सस्ते राशन को समाप्त कर देगी. जिससे देश के करोड़ों गरीबों की थाली से भोजन छिन जाएगा. का. पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि अपने गोदामों में भरे अनाज से कारपोरेट मनमाना मुनाफा कमाएगे और अगर उन्हें गरीबों की थाली में भोजन देने से ज्यादा मुनाफा शराब और इथेनाॅल बनाने से होगा तो वे सारे अनाज का शराब और इथेनाॅल बनाएंगे. इससे देश के सामने खाद्यान्न का गम्भीर संकट खड़ा हो जाएगा. इसलिए देश के किसानों मजदूरों और गरीबों के सामने इन कानूनों को वापस कराये जाने तक इस लड़ाई को जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. किसान नेता मलखान सिंह यादव ने कहा कि मोदी सरकार देश के किसानों-मजदूरों को तबाह करने पर आमादा है इसलिए किसानों मजदूरों को एकताबद्ध होकर इस आन्दोलन को जीत की मंजिल तक पहुंचाना होगा. किसान महासभा के प्रदेश प्रवक्ता का. रमेश सिंह सेंगर ने कहा कि देश की जनता अंबानी-अडानी के कम्पनी राज को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाली बुन्देलखंड की जनता इस नयी गुलामी के खिलाफ संघर्ष में पीछे नहीं रहेगी. किसान-मजदूर पंचायत की अध्यक्षता कर रहे जिले के मजदूर नेता और जिले के किसान संघर्ष मोर्चा के नेता का. कैलाश पाठक ने किसान आन्दोलन को पूरी ताकत के साथ खड़ा करने का आह्वान किया. पंचायत कोें किसान नेता का. शिव वीर सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला संयोजक का. राजीव कुशवाहा, शिक्षक नेता का. गिरेन्द्र सिंह, का. रामकृष्ण शुक्ल, कृष्ण पाल सिंह, सुरेन्द्र सिंह सरदेसाई, सुरेश निरंजन, बृजेन्द्र सिंह, महिला नेत्री सरोज, दीप माला, प्रदीप दीक्षित, बृज लाल खाबरी ने संबोधित किया. किसान-मजदूर पंचायत का संचालन ऐक्टू के प्रांतीय नेता का. चौधरी राम सिंह ने किया.

mahapanchayat organized in Jalaun