15 फरवरी को डीडीयू मुगलसराय की क्रांतिकारी धरती पर काॅ. ललित मोहन सभागार (फुटबाॅल मैदान), लोको काॅलोनी में काॅ. वसूल हक (अध्यक्ष, स्वागत समिति) की देखरेख एवं काॅ. रत्नेश वर्मा (मंडल सचिव, समस्तीपुर) की अध्यक्षता और काॅ. अवधेश गुप्ता के संचालन में ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लाइज यूनियन का चतुर्थ द्विवार्षिक महाधिवेशन सम्पन्न हुआ.
सर्वप्रथम सीनियर रेलवे कर्मचारी काॅ. हरिनारायण ने झंडारोहण किया और शहीद वेदी पर आए हुए अतिथियों सहित सभी प्रतिनिधियों ने पुष्प अर्पित कर देश भर में रेलवे तथा किसानों मजदूरों के हित में शहादत देने वालों शहीदों को याद किया. महाधिवेशन का उद्घाटन आल इंडिया गाॅर्ड काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष काॅ. बीआर सिंह ने किया.
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव डाॅ कमल उसरी ने कहा कि यह महाधिवेशन उस दौर में हो रहा है जब एक तरफ कोविड के नाम पर ज्यादातर सवारी गाड़ियां बंद है, दूसरी तरफ रेलवे के तमाम मुनाफा देने वाली ट्रेनों और रूटों को पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है, यकीनन, किसान आंदोलन से सीखते हुए रेलवे में भी अब बड़े संघर्ष खड़ा करने का वक्त आ गया है, इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन ने इसकी कोशिश भी तेज कर दी है, पूर्व में हुए नई दिल्ली के मावलंकर हाल का कन्वेंशन और रेलवे को निगमीकरण/निजीकरण से बचाने के लिए ’नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे’ का गठन एक ईमानदार कोशिश है, केंद्र सरकार के साथ ही रेलवे में कार्यरत सरकारी यूनियनों को भी हमारी इन क्रांतिकारी पहलकदमियों ने बेचौन कर दिया है और अब वे एनसीसीआरएस के नाम पर ‘भानुमति का कुनबा’ बनाने को मजबूर हुए है.
महाधिवेशन के मुख्य अतिथि काॅ. अमरीक सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष, फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे) ने कहा कि आज रेलवे में कार्यरत आधे से ज़ज्यादा कर्मचारी एनपीएस के अंदर आते हैं. हमने रेलवे में एनपीएस को खत्म करके ओपीएस बहाल करने के लिए एनएमओपीएस के साथ मिलकर देश भर में आंदोलन चलाया और अब भी लगातार आंदोलन चलाते हुए, पीएमओ तक अपनी और एनपीएस के दायरे में आने वाले सभी रेलवे कर्मचारी साथियों की बाते पहुंचा रहे हैं. मगर अफसोस है कि विधानसभा और संसद में बैठे माननीय सदस्य लोग कई-कई पेंशन ले रहे है और हम पूरा जीवन देश की सेवा में लगा रहे है लेकिन हमें हमारे बुढापे का सहारा पुराना पेंशन नहीं दे रहे हैं.
महाधिवेशन के मुख्य वक्ता काॅ. एके राउत (महासचिव, एलरसा, ईसीआर जोन) ने इस कोरोना काल में भी रेलवे में रात-दिन हाड़-तोड़ मेहनत करने वाले कार्यरत कर्मचारियों की वेतन कटौती और शोषण करने वाले अधिकारियों/सरकारों एवं उनके दलाल सत्ताधारी यूनियनों को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया, उन्होंने एनसीसीआरएस के गठन पर जोरदार सवाल उठाते हुए कहा कि जब एनपीएस आया, तेजस नामक प्राइवेट ट्रैन का संचालन शुरू हुआ, रेलवे के उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण का पत्र (18 जून को 2018 को) जारी हुआ तब क्यों एनसीसीआरएस नहीं बना? अब जब ‘नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे’ का गठन हो गया जिसके मुख्य सलाहकार एलरसा के राष्ट्रीय महासचिव ही है, तब एनसीसीआरएस क्यों? हम आज यह घोषणा करते है कि ईसीआर जोन में नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे को मजबूत करते हुए ‘रेल बचाओ, देश बचाओ’ आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.
विदाई कमेटी की तरफ से काॅ. एसपी साहू (महासचिव, ईसीआरईयू) ने रिपोर्ट पेश किया जिसके बाद डेलिगेट सत्र में साथियों ने अपनी बातचीत रखते हुए कहा कि रेलवे मे निजीकरण वर्तमान सत्ताधारी यूनियनों के निकम्मेपन, सत्तासुख की लिप्सा, निजी कंपनियों एवं रेल मंत्रालय की दलाली के कारण हुईं हैं. लेकिन, अब कर्मचारी, छात्र, युवा, मजदूर, किसान जाग गया है. हम अपनी जान लुटा देंगे लेकिन सामाजिक कल्याण एवं छात्रों, मजदूरों, किसानों, व्यापारियों के लिए सस्ती सर्व सुलभ यात्रा, माल ढुलाई तथा गरीब-गुरबों की आजीविका के मुख्य आधार – भारतीय समाज की जीवन रेखा – रेलवे को निजी हाथों में गिरवी नही होने देंगे. निजी हाथों में जाने से रेल किराया कई गुना बढ़ जाएगा, रेल आम आदमी के पहुंच से दूर हो जायेगी, सीनियर सिटीजन, दिव्यांग, पुरस्कार विजेता, खिलाड़ी, किसान, छात्र, कलाकार, मरीजं को मिलने वाली सब सुविधाएं खत्म हो जाएंगी.
महाधिवेशन में डीजल लोकोमोटिव वाराणसी से काॅ. राजेन्द्र पाल, पूर्वाेत्तर रेलवे से काॅ. राकेश पाल, पूर्व रेलवे से काॅ. रवि सेन, काॅ. शिव जी शंखवार, ईसीआरटीए संयुक्त सचिव काॅ. राजेश कुमार, एलरसा मंडल सचिव काॅ. जितेंद्र यादव, गार्ड काउंसिल मंडल सचिव काॅ. एके पंकज, केंद्रीय अध्यक्ष/पेंशनर एसोसिएशन काॅ. एमके बनर्जी, मंडल अध्यक्ष गार्ड काउंसिल डीडीयू काॅ. आशुतोष कुमार, ऐक्टू पटना से काॅ. जितेंद्र कुमार और ईसीआर के पांचो जोन से सैकड़ों की संख्या में रेलवे कर्मचारी शामिल हुए.
अंत में रेलवे को निजी हाथों में सौंपे जाने, रेलवे में ओपीएस न लागू करने, 30 वर्ष कार्य या 55 वर्ष की उम्र में पहुंच चुके कर्मचारियों की छंटनी या जबरजस्ती वोलेंट्री रिटायरमेंट देने, गलत परफाॅर्मेंस रिपोर्ट तैयार कर छंटनी, रेलवे में सभी रिक्तियों में भर्ती न किए जाने, 44 श्रम कानूनों को खत्म करके 4 श्रम कोड बनाने, डीए प्रफीजिंग, एनडीए सीमाबद्ध 43600 रु. किए जाने के विरोध में, ओपेन टू ऑल पर पुरजोर आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया.
आनेवाले दिनों में एलरसा, गार्ड काउंसिल तथा समस्त केटेगरिकल एसोसिएशन के सहयोग से ‘नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे’ को मजबूत करते हुए संघर्ष किया जायेगा,
अंत में नई कार्यकारिणी समिति गठन किया गया जिसे इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन के सम्मानित अध्यक्ष काॅ. रवि सेन ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. महाधिवेशन में ईसीआरईयू के संस्थापक सदस्य काॅ. ललित मोहन की पुत्री मंजू देवी को सम्मानित किया गया, चुने गए नए अध्यक्ष काॅ. सन्तोष पासवान और महासचिव काॅ. मृत्युंजय कुमार के सम्बोधन व धन्यवाद देने के साथ ही ईसीआरईयू का चतुर्थ द्विवार्षिक महाधिवेशन में सम्पन्न हुआ.