सयुंक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के किसान विरोधी बयानों की निंदा करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए कि बिना मांग के इस देश मे बहुत कानून बनाये गए हैं, साबित कर दिया है कि ये कानून किसानों की मांग नहीं रहे हैं. किसानों की मांग कर्जा मुक्ति – पूरा दाम की रही है जिस पर सरकार गंभीर नहीं है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान महापंचायतो का दौर लगातार जारी है. 11 फरवरी को पंजाब के जगरांव में विशाल सभा आयोजित की गई जिसमें किसानों के साथ साथ अन्य नागरिको ने भी बढ़ चढ़कर भागीदारी की. शम्भू बाॅर्डर पर भी किसानों ने पंचायत की.
सिंघु बाॅर्डर पर किसान नेताओ सयुंक्त किसान मोर्चे के आगामी कार्यक्रमों को लागू करवाने सम्बधी विचार रखे. टीकरी बाॅर्डर पर हरियाणा सरकार द्वारा सीसीटीवी लगाने के प्रस्ताव का किसानों ने विरोध किया.
आने वाले समय में देशभर में किसान महापंचायतें आयोजित की जाएंगी. मोर्चे की टीमें राज्यवार महापंचायतो के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर रही है. सयुंक्त किसान मोर्चा तीन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी मान्यता देने की मांगों पर कायम है.
12 फरवरी 2021 को एक बयान जारी कर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान महापंचायतों को देशभर में किसानों से मिल रहे भारी समर्थन से यह तय है कि सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस करना पड़ेगा. आज बिलारी और बहादुरगढ़ में आयोजित महापंचायतो में किसानो एवं जागरूक नागरिको का भारी समर्थन मिला. किसान नेताओ ने कहा है कि रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देंगे और भूख का व्यापार नहीं होने देंगे.
किसान नेताओ का कहना है कि सरकार की किसान विरोधी और काॅरपोरेट पक्षीय मंशा इस बात से भी स्पष्ट होती है कि बड़े बड़े गोदाम पहले ही बन गए और फिर कानून बनाये गए.
हाल ही में सरकार ने संसद में जवाब दिया कि किसान आंदोलन के शहीदों को कोई सहायता देने का विचार नहीं है. कल संसद की कार्रवाई में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने में भी भाजपा व सहयोगी दलों के सासंदो ने जो असंवेदनशीलता दिखाई उसकी हम निंदा करते है. अब तक 228 किसान शहीद हो चुके है. हम सरकार से पूछना चाहते है कि ओर कितने किसानों का बलिदान चाहिए?
किसान नेताओ का कहना है कि इस सरकार का कलम और कैमरे पर सख्त दबाव है. इसी कड़ी में पत्रकारों की गिरफ्तारी और मीडिया के दफ्तरों पर छापेमारी हो रही है. हम न्यूजक्लिक मीडिया पर बनाये जा रहे दबाव की निंदा करते है. ऐसे वक्त में जब गोदी मीडिया सरकार का प्रोपेगेंडा फैला रहा है, चंद मीडिया चैनल लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की लाज बचाये हुए हैं. उन पर हमला निंदनीय है.
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10 फरवरी 2021 को सयुंक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन को तेज करने के लिए ये फैसले लिए गए –