एक उम्रदराज महिला मंदिर जाती है. मन में भाव रहा होगा कि मंदिर में भगवान से मन्नत मांगेगी कि उसके जीवन के सब कष्टों को हर ले, उसका और उसके अपनों का खूब भला कर दे. कष्टों तो नहीं हरे जा सके अलबत्ता मंदिर में भगवान तक प्रार्थनाएं पहुंचाने के स्वयंभू ठेकेदार ने उसकी अस्मत को तार-तार किया और उसका जीवन हर लिया! अपनों का भला तो न हुआ, लेकिन दिल पर कभी न लगने वाले घाव जरूर लग गए.
महिलाओं के साथ बलात्कार को सही ठहराने के जितने कुत्सित तर्क गढ़े जाते हैं, उनमें से कुछ भी इस महिला ने नहीं किया था. वह रात में अकेली नहीं घूम रही थी, संस्कारी तरीके से मंदिर गयी थी तो कपड़े भी ऐसे न होंगे जो कथित तौर पर वहशीपन को उकसाने के लिए जिम्मेदार ठहरा दिये जाते हैं. उम्र 50 वर्ष थी. पर ये सब भी उसे दरिंदगी से नहीं बचा पाया. तथाकथित भगवान के उपासक ने इस अधेड़ महिला के साथ भयानक दरिंदगी करके उसकी जीवन लीला समाप्त कर दी. हैवानों की हैवानियत के लिए सब जगहें खुली हैं, कहीं कोई रोकटोक नहीं! यह यौन कुंठा कहां-कहा विराजी हुई है, कोई तो जगह हो जहां यह वहशीपन न हो! मंदिर बनाने का अभियान चलाने वालों, मनुष्य बनाने का अभियान भी चलाओ!
यह सब उत्तर प्रदेश के बदायूं में घटित हुआ. लेकिन घटित सिर्फ इतना ही नहीं हुआ कि एक अधेड़ महिला के साथ दुराचार के बाद उसकी जीवनलीला समाप्त कर दी गयी. उत्तर प्रदेश की पुलिस ने परिजनों की ओर से उक्त महिला की गुमशुदगी की शिकायत को सुनने से भी इंकार कर दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह बड़बोलापन करते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराधी या तो जेल में हैं या प्रदेश छोड़ कर जा चुके हैं. बदायूं की घटना उनके बड़बोलेपन की एक बार फिर हवा निकाल रही है.
मंदिर में बैठे अपराधी तो इस कदर बेखौफ थे कि महिला के साथ दुराचार और हत्या करने के बाद वे खुद उसकी लाश, उसके घर के बाहर फेंक गए और योगी जी की मुस्तैद पुलिस को देखिये कि उसने तब भी रिपोर्ट दर्ज नहीं कीअगले दिन घटना की रिपोर्ट दर्ज हुई और 18 घंटे बाद पोस्टमार्टम हो सका. पोस्टमार्टम दरिंदगी की गवाही चीख-चीख कर दे रहा था. महिला के यौनांगों में गहरे चोट के निशान थे, वहां लोहे की राॅड डाली गयी थी. उसकी टांगें और पसलियां तोड़ दी गयी थी. ऐसा लगता है कि जैसे हाथरस कांड की दरिंदगी का दोहराव किया गया हो. वही हाथरस कांड जो अभी कुछ समय पहले हुआ और जिसको नकारने के लिए मुख्यमंत्री समेत पूरा उत्तर प्रदेश का प्रशासनिक अमला लग गया. बलात्कारियों के पक्ष में खुलेआम अभियान चलाया गया और पीड़िता और उसके परिवार को लांछित किया गया. यह भी चलन इस देश में चल पड़ा है कि अपराधी यदि अपनी जाति और धर्म का है तो एक हिस्सा पूरी बेशर्मी के साथ उसके पक्ष में उतर पड़ता है!
जो पुलिस महिला के अपहरण की रिपोर्ट नहीं लिखती, उसकी लाश मिलने के बाद भी कोतवाल यह कह कर चल देता है कि ‘कल देखेंगे’, वह पुलिस आखिर करती क्या है? वह पुलिस, हिंदू-मुस्लिम जोड़े का विवाह होने पर त्वरित गति से जोड़े को गिरफ्तार करती है क्यूंकि मुख्यमंत्री और धर्म के नाम पर खड़ी लंपट सेना ऐसा चाहती है! उसी उत्तर प्रदेश में जूते पर ठाकुर लिखा होने पर भावनाएं आहत होने की शिकायत पर पुलिस तुरंत हरकत में आ जाती है और तत्काल जूता बेचने वाले को गिरफ्तार कर लेती है. लेकिन अपहरण और हत्या की रिपोर्ट तक लिखने को तक तैयार नहीं होती! जहां लोग एक मुर्दा जलाने जाते हैं और कमीशनखोरी की भेंट चढ़ कर दो दर्जन लोग मौत के घाट उतर जाते हैं. ठेकेदार कह रहा है कि 16 लाख रुपया उसने रिश्वत दिया. 55 लाख रुपये के काम में 16 लाख रिश्वत और 24 जिंदगियां समाप्त! यह कैसा सौदा है और यह कैसा प्रदेश बना रहे हैं योगी जी!
– इंद्रेश मैखुरी