अखिल भारतीय किसान महासभा के अनिश्चित कालीन धरना के तीसरे दिन 7 जनवरी को जगदीशपुर प्रखंड में किसान-विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिये 50 ट्रैक्टरों पर लदे 2500 क्विंटल धान के साथ प्रदर्शन किया, जहां बीडीओ, सीओ व बीसीओ ने बाहर आकर हमारी मांगों को केन्द्र सरकार को भेजने और 1918 रु. (1868 रु. प्रति क्विंटल धान का मूल्य व 50 रु. प्रति बोरा का मूल्य) रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद लेने की घोषणा की. इससे किसानों और नेताओं के बीच भारी उत्साह है. जगदीशपुर से 2014 में समर्थन मूल्य पर धान खरीद आन्दोलन की शुरुआत हुई थी और 2015 में पूरे जिले में 1660 रुपये क्विंटल के दर से लगभग 50 हजार क्विंटल धान किसान आन्दोलन के जरिये बेचा गया था. जब किसानों के धान का बकाया पैसा सरकार नहीं दे रही थी तो युवा किसान नेता कामरेड राजू यादव और का. सुदामा प्रसाद ने आरा में जिलाधिकारी के समक्ष 8 दिनों तक अनशन करके बिहार के किसानों को 370 करोड़ रुपये धान का बकाया दिलवाया था.
किसान-विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ जोड़कर भोजपुर के प्रखंडों पर अनिश्चित कालीन धरना के साथ ही धान खरीदी आंदोलन शुरू किया गया है. जिसमें धान खरीदी आंदोलन को पुनरुज्जीवन मिला है. इस वजह से यहां इस आंदोलन में अब मूलतः बटाईदारों व मध्यम किसानों की संख्या बढ़ रही है. आज के जगदीशपुर के कार्यक्रम के बाद किसानों की गोलबन्दी और विश्वास बढ़ेगा. सहकारिता विभाग ने अब तक जगदीशपुर में 2500 और सहार में 150 क्विंटल धान की खरीद कर ली, जबकि सहार में 200, तरारी में 200, चरपोखरी में 850, संदेश में 100 क्विंटल धान किसान धरना स्थल पर ही रखा हुआ है.
अखिल भारतीय किसान महासभा के 5 जनवरी से शुरू हुए अनिश्चित कालीन किसान धरना और दिल्ली में 26 नवम्बर 2020 से जारी देशव्यापी किसान आंदोलन के कारण सरकार और जिला प्रशासन पर धान खरीद का दबाव पैदा हो गया है. जिलाधिकारी लगातार इस बाबत सुगबुगा रहे हैं, कृषि सलाहकारों के जरिये प्रचार चलवा रहे हैं. इस सम्बन्ध में मजेदार तथ्य है कि 15 नवम्बर से 31मार्च तक हर साल धान खरीदी का समय निर्धारित करती है. इस साल नीतीश सरकार ने बिहार में इस साल 45 लाख (पिछले साल 30 लाख) मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. सहार प्रखण्ड में 15 नवम्बर 2020 से 4 जनवरी 2021 तक महज 20,442 क्विंटल धान खरीदी सहकारिता विभाग ने की थी. 5 जनवरी को हमारे किसान धरना में किसान, जिनमें भूमिहार-ब्राह्मण जाति (खड़ाव, बड़की ओझवलिया, गुलजरपुर) के किसानों की संख्या ज्यादा थी, लगभग 1500 क्विंटल धान लेकर आने वाले थे, 4 जनवरी की रात्रि में संबंधित पैक्सों के अध्यक्ष जाकर उनको रोके और उनका धान लिया. भले ही किसान हमारे धरना में धान लेकर नहीं आए, लेकिन 5 जनवरी को पैक्सों ने किसानों का धान लिया और उस एक दिन में 2500 क्विंटल धान खरीदी सहकारिता विभाग ने की. भोजपुर किसान आन्दोलन यह नया आगाज है. इससे किसानों के नए आधार में संगठन बढ़ेगा-फैलेगा.