उत्तर प्रदेश के बदायूं में 50 वर्ष की एक महिला के साथ गैंग रेप की जघन्य वारदात हुई है. यह घटना 3 जनवरी की है. उस दिन शाम को 50 साल की आंगनबाड़ी सहायिका मंदिर में पूजा करने गई थी. इस दौरान मंदिर पर मौजूद महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल ने हैवानियत की हदें पार करते हुए न सिर्फ उसके साथ गैंगरेप किया बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की राॅड डालकर उसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया और मर चुकी महिला की लाश फेंकने से पहले वहां कपड़ा ठूंस दिया. इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के बाद देर रात को वे उसकी खून से लथपथ लाश उसके घर फेंक कर फरार हो गए.
इस हैवानियत के बाद यूपी में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ सरकार की पुलिस ने भी लापरवाही की सारी हदें पार कर दी. महिला का शव उसके घर के बाहर 17 घंटे से ज्यादा देर तक लावारिस पड़ा रहा. घर वाले बार-बार पुलिस को फोन करते रहे. परिजनों ने उघैती थाना पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी, लेकिन पुलिस परिजनों को गुमराह कर थाने के चक्कर कटवाती रही. पुलिस ने पहले तो आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या की घटना को झूठा बताकर कुएं में गिरने से मौत होने की बात कही. रात से सुबह हो गई लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. गांव वालों का जब गुस्सा फूटा तो वे महिला की लाश लेकर थाने पहुंचे. वहां गुस्साये ग्रामीणों ने जब हंगामा करना शुरू किया तो पुलिस की नींद टूटी और महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम व ड्राइवर जसपाल के खिलाफ गैंगरेप के बाद हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया. 4 जनवरी को केस दर्ज करने के बाद भी महिला के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया. शव का पोस्टमार्टम 5 जनवरी को हुआ, तब तक घटना के करीब 48 घंटे बीत चुके थे.
पोस्टमार्टम से पता चला कि महिला के प्राइवेट पार्ट में गंभीर घाव थे. काफी खून भी निकल गया था. आंगनबाड़ी सहायिका पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप के बाद हत्या व प्राइवेट पार्ट में राॅड जैसी चीज डालने की पुष्टि हुई है, जिससे अंदरूनी हिस्से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. उसके शरीर पर चोट के गम्भीर निशान भी मिले हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पसली, पैर और फेंफड़े भी क्षतिग्रस्त पाये गए हैं.
महिला की मौत के मामले में हत्या और दुष्कर्म के आरोप में महंत सत्यनारायण, चेला वेदराम और ड्राइवर जसपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 376 डी के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है जबकि 2 आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है. लापरवाह थानाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप को निलंबित करने, मुख्य आरोपी को पकड़ने के लिए एसटीएफ गठित करने, आरोपियों पर रासुका के तहत कार्रवाई और मामले के मुख्य आरोपी महंत सत्यनारायण पर 50 हजार रुपये के ईनाम की घोषणा की गई है.
भाकपा(माले) उत्तर प्रदेश राज्य इकाई ने बंदायू गैंगरेप व हत्या मामले में मुख्यमंत्री योगी की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि घटना जितनी शर्मनाक है, पुलिस की भूमिका उससे कम शर्मनाक नहीं है. बंदायू में महंत ने गुर्गों के साथ मिलकर मंदिर में पूजा करने गयी महिला के साथ निर्भया कांड जैसी दरिंदगी की. क्या मुख्यमंत्री को अब भी लगता है कि यूपी में रामराज्य है? बंदायू कांड की जिम्मेदारी लेते हुए इस सरकार को पदत्याग कर देना चाहिए. भाकपा(माले) ने कहा कि बदायूं पुलिस की भूमिका कोई अपवाद नहीं है. गैंगरेप जैसे मामलों में यूपी पुलिस की महिला-विरोधी भूमिका एक जैसी है. हाथरस कांड में भी लखनऊ में बैठे आला पुलिस अधिकारी ने अभियुक्तों का बचाव करते हुए कहा कि रेप हुआ ही नहीं था. ऐसे में महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी किस पर होगी? बंदायू, हाथरस जैसे बलात्कार कांड और गाजियाबाद श्मशान घाट, वाराणसी ओवरब्रिज जैसे सरकारी भ्रष्टाचार जनित हादसे मुख्यमंत्री योगी के शासन की पहचान बन गये हैं.
बदायूं के उघेती गांव के मंदिर में महिला के साथ रेप और हत्या की जघन्य घटना में शामिल अपराधियों को गिरफ्तार करने और उस मामले में लापरवाही बरतनेवाले पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग तथा योगी राज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती गैंगरेप व हत्या की जघन्य घटनाओं को रोक पाने में योगी सरकार की विफलता के मुद्दे पर विरोध् प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने आगामी 9 जनवरी 2021 को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है. ऐपवा ने योगी सरकार से इस्तीफा मांगते हुए कहा कि यूपी पुलिस अपराधियों को बचा रही है.
ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी और प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के बंदायू जिले के उघेती गांव में महिला आंगनबाड़ी कर्मी के साथ मंदिर के महंत और उसके दो सहयोगियों ने सामूहिक बलात्कार किया. मेडिकल रिपोर्ट से ज्ञात हुआ है कि महिला के गुप्तांग में लोहे का राॅड डाला गया, उसके आंतरिक अंगों में भी काफी चोटें आईं है, अनियंत्रित रक्तस्राव के कारण महिला की मौत हो गई है. तीनों अपराधियों में से, मुख्य दोनों अपराधी अभी भी फरार हैं. इस पूरी मामले में पुलिस के बयान और उनकी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है.
ऐपवा ने आंगनबाड़ी महिलाकर्मी की मौत पर शोक और उंसके परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की है. कहा है कि उंसके परिवार को न्याय तभी मिलेगा जब हत्यारे बलात्कारियों को त्वरित और कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. योगी राज में महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाएं आम परिघटना बनती जा रही है. जनता को न्याय दिलाने के बजाय पुलिस सत्ता संरक्षण में अपराधियो का साथ दे रही है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने का कोई हक नहीं है.