– दीपंकर भट्टाचार्य
भाकपा(माले) विधायक दल की दो-दिवसीय कार्यशाला विगत 19-20 दिसंबर 2020 को बिहार की राजधानी पटना स्थित पार्टी के राज्य कार्यालय में संपन्न हुई. कार्यशाला में सभी विधायक, सम्बन्धित जिलों के सचिव और विधानसभा क्षेत्रों के प्रखंड सचिवों ने भाग लिया. कार्यशाला को भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित किया. वरिष्ठ पार्टी नेता कामरेड स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव का. कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेंद्र झा और का. अमर, झारखड के भाकपा(माले) विधायक विनोद सिंह, गिरिडीह के जिला सचिव का. मनोज भक्त, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, लोकयुद्ध के संपादक संतोष सहर समेत कई अन्य वरिष्ठ पार्टी नेता इस कार्यशाला में मौजूद थे. कार्यशाला का संचालन विधायक दल के प्रभारी राजाराम सिंह ने किया.
विधायक सत्यदेव राम, मनोज मंजिल, अरुण सिंह, सुदामा प्रसाद, वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संदीप सौरभ, महानन्द सिंह, गोपाल रविदास, अजित कुशवाहा, रामबली सिंह यादव आदि इसमें शामिल हुए.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाकपा(माले) के विधायकों से न केवल बिहार की जनता को बल्कि देश के अन्य हिस्से के लोगों को भी भारी उम्मीदें हैं. इसलिए, हमारे विधायकों को जनता के सच्चे प्रतिनिधि के रूप में काम करना होगा. उनके ऊपर विधानसभा के भीतर और बाहर जनसंघर्षों का नेतृत्व करते हुए सर्वहारा के वर्गीय हितों का प्रतिनिधित्व करने की जवाबदेही है. उन्हें अपनी पहचान को जनता के बीच स्थापित करते हुए वैकल्पिक राजनीति का चेहरा बनना है. इस व्यवस्था के भीतर क्रांतिकारी कम्युनिस्टों के लिए ढेर सारी चुनौतियां हैं, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि हम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे.
कार्यशाला में यह बात भी उभरकर सामने आई कि माले विधायकों को पार्टी के नेता व कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए सरल जीवन और कम्युनिस्ट आदर्श की मिसाल पेश करनी चाहिए. यह निर्णय हुआ कि माले के विधायक विधानसभा सत्र के पहले जनता के मुद्दों पर जनसुनवाई का आयोजन करेंगे और फिर विधानसभा सत्र की समाप्ति के बाद सारे सवालों पर जनता को जानकारी देने का काम करेंगे.
माले विधायक आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, संचार, खेलकूद, पुस्तकालय जैसी सुविधाओं के साथ-साथ वंचित तबके के सवालों को प्राथमिकता देंगे. आम आदमी की शिकायतों के निवारण हेतु और उनसे लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए साप्ताहिक बैठक की व्यवस्था की जाएगी. भाकपा(माले) विधायक केवल विधानसभा सत्रों, बैठकों आदि के लिए ही अपने इलाके से बाहर रहेंगे. उन्हें अपना पूरा समय अपने इलाके की समस्या पर केंद्रित करनी होगी.
कार्यशाला के दूसरे दिन विधायी कार्यों पर विशेष चर्चा हुई और सरकार की नीतियों व योजनाओं के सुसंगत भंडाफोड़ करने की कार्यदिशा तय की गई. वरिष्ठ वामपंथी नेता व पूर्व विधायक रामदेव वर्मा, चिकित्सक डा. शकील और प्रो. विद्यार्थी विकास ने कार्यशाला को संबोधित किया.
विधायी कार्यों पर कार्यशाला में पूर्व विधायक रामदेव वर्मा ने अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि सदन के अंदर मेहनतकश समुदाय की आवाज को बुलंद करना हमारे विधायक दल का महत्वपूर्ण काम होना चाहिए. उन्होंने विधानसभा के अंदर की कार्य प्रणाली पर भी विधायकों को प्रशिक्षित किया. उन्होंने विधानसभा की नियमावलियों पर चर्चा की और कार्य स्थगन, ध्यानाकर्षण, अल्पसूचित, शून्यकाल, तारांकित प्रश्न, कटौती प्रस्ताव आदि विषयों पर सरकार को कारगर तरीके से घेरने पर अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने विधानसभा की विभिन्न समितियों के भी कारगर इस्तेमाल पर चर्चा की और कहा कि लंबे समय से विपक्ष की ओर से गैर सरकारी विधेयक नहीं आ रहे हैं. इस बार विधानसभा में भाकपा(माले) और अन्य वाम दलों के 16 विधायक हैं, इसलिए गैर सरकारी विधेयकों को सदन में लाना चाहिए. साथ ही, सरकारी विधेयकों पर भी चौकस निगाह रखनी होगी.
कार्यशाला के दूसरे सत्र में जाने-माने चिकित्सक व स्वास्थ्य कार्यकर्ता डा. शकील ने बिहार के स्वास्थ्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की और भाकपा(माले) के विधायक दल को ताजा आंकड़ों से लैस कराया. उन्होंने कहा कि सरकार आज बिहार में प्रति व्यक्ति मात्र 14 रुपया स्वास्थ्य पर खर्च करती है. यह राशि बहुत कम है. भाकपा(माले) और वाम दलों के विधायकों से बिहार की जनता को उम्मीद है कि वे इस राशि को कम से कम 50 रुपया करने के लिए आवाज उठायेंगे और जनस्वास्थ्य के सवाल पर विधानसभा में सरकार को घेरने की योजना बनायेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के दावों के विपरीत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर हो रही है. 6 प्रतिशत लोग दवा के लिए कर्ज लेने के कारण गरीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं. 1100 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में महज 70 केंद्र बिहार में कार्यरत है. अस्पतालों में डाॅक्टर, मूर्छक, स्त्री रोग विशेषज्ञ, ड्रेसर और जांच कर्ताओं का घोर अभाव है. इन पर आंकड़ों के साथ सरकार को घेरने की योजना बनानी चाहिए.
अंतिम सत्र में एएन सिन्हा इंस्टिटच्यूट में कार्यरत सहायक प्रोफेसर विकास विद्यार्थी ने विभिन्न सरकारी योजनाओं पर आंकड़े पेश किये. उन्होंने कहा कि भाकपा(माले) विधायक दल को सबसे पहले सरकार पर इस बात का दबाव बनाना चाहिए कि वह योजनाओं का मूल्यांकन निष्पक्ष तरीके से करवाए. बजट में हर योजना के मूल्यांकन के लिए 1 प्रतिशत राशि का प्रावधान होता है. लेकिन, देखने में यह आता है कि सरकार अपनी ही एजेंसी से जांच कराकर अनियमितताओं पर पर्दा डालने का काम करती है. उन्होंने दखल देहानी, नल-जल योजना, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, स्कूलों की हालत, जमीन पर से गरीबों की बेदखली आदि सवालों पर आंकड़ों और सरकार के द्वारा निकाले गए सर्कुलरों के जरिये उसके खोखलेपन का भण्डाफोड़ किया.