[ तीनों निवर्तमान विधायकों समेत खेत मजदूरों, किसानों, स्कीम वर्कर्स व मजदूरों के संघर्ष व शिक्षा अधिकार, रोजगार तथा लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन की अगुआई करनेवाले चर्चित नेताओं को बनाया उम्मीदवार बनाया है. सूची में कई युवा प्रत्याशी-नए चेहरे भी शामिल हैं. आइसा के महासचिव व जेएनयूएसयू के पूर्व महासचिव संदीप सौरभ पालीगंज और स्कीम वर्कर्स की जुझारू नेता शशि यादव दीघा से चुनाव लड़ेंगी ]
विगत 5 अक्टूबर 2020 को भाकपा(माले) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए अपने सभी 19 प्रत्याशियों की सूची जारी की. बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तासीन भाजपा-जदयू गठबंधन को शिकस्त देने के लिए राजद, कांग्रेस व वाम दलों की बीच सीटों का तालमेल कर चुनावी गठबंधन बनाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भाकपा(माले) को राज्य के 19 विधानसभा क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी घोषित किए. संवाददाता सम्मेलन में उनके अलावा पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह और वरिष्ठ नेता केडी यादव भी उपस्थित थे.
प्रत्याशियों की सूची में तीनों विधायकों समेत खेत मजदूरों, किसानों, स्कीम वर्कर्स व मजदूरों के संघर्ष व शिक्षा अधिकार, रोजगार तथा अन्य लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलनों की अगुआई करनेवाले चर्चित नेताओं के नाम शामिल हैं. तीनों विधायक – महबूब आलम, सुदामा प्रसाद और सत्येदव राम फिर से प्रत्याशी बने हैं. का. महबूब आलम जो विधानसभा में भाकपा(माले) विधायक दल के नेता रहे हैं, बलरामपुर (कटिहार जिला) से भाकपा(माले) के उम्मीदवार होंगे. का. सुदामा प्रसाद जो अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं तथा सत्यदेव राम जो अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के बिहार प्रदेश के सम्मानित अध्यक्ष हैं क्रमशः तरारी (भोजपुर) व दरौली (सीवान) की अपनी सीटों से भाकपा(माले) के चुनावी जंग की अगुआई करेंगे.
भाकपा(माले) ने पालीगंज से आइसा के वर्तमान महासचिव व जेएनयूएसयू के पूर्व महासचिव संदीप सौरभ, डुमरांव से इनौस के राज्य अध्यक्ष अजीत कुमार सिंह और मुजफ्फरपुर के औराई से इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम को प्रत्याशी बनाया है. भोजपुर के अगिआंव (सु.) से इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भोजपुर में शिक्षा आंदोलन के चर्चित नेता मनोज मंजिल, आरा से इंसाफ मंच के राज्य सचिव क्यामुद्दीन अंसारी और काराकाट से पूर्व विधाायक व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरूण सिंह उम्मीदवार हैं.
मगध क्षेत्र में अरवल से जहानाबाद-अरवल के लोकप्रिय जननेता महानंद सिंह, फुलवारी (सु.) से खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव व लोकप्रिय नेता गोपाल रविदास और घोषी से ऐक्टू के राज्य उपाध्यक्ष रामबलि सिंह यादव प्रत्याशी बनाए गए हैं. पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र से ऐपवा की राज्य सचिव, आशा कार्यकर्ता संघ (गोपगुट) की प्रदेश अध्यक्ष व स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव को जो हाल के दिनों में आशा कार्यकर्ताओं की मुखर आवाज बनकर उभरी हैं, प्रत्याशी बनाया गया है.
सिवान के जिरादेई से इनौस के सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरजीत कुशवाहा और दुरौंदा से सिवान के लोकप्रिय नेता व मजदूर-किसानों की मुखर आवाज पूर्व विधायक का. अमरनाथ यादव को प्रत्याशी बनाया गया है. सिकटा से चंपारण क्षेत्र के लोकप्रिय पार्टी नेता व खेग्रामस के बिहार राज्य अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता चुनाव लड़ेंगे. भोरे (सु.) सीट से जितेन्द्र पासवान, समस्तीपुर के कल्याणपुर (सु.) सीट से रंजीत राम और वारिसनगर से फूलबाबू सिंह भाकपा(माले) के प्रत्याशी हैं. ये सभी भाकपा(माले) के युवा नेताओं में शुमार हैं, अपने चुनाव क्षेत्रों में बेहद लोकप्रिय हैं और पूरे राज्य में रोजगार व शिक्षा के सवाल पर चलनेवाले आंदोलनों की मुखर आवाज हैं.
का. दीपंकर जी भट्टाचार्य ने कहा
“वर्तमान महागठबंधन का जो स्वरूप उभरकर सामने आया है वह एनडीए के खिलाफ रहने वाली पार्टियों का गठबंधन है. इसमें वामपंथ की मजबूत उपस्थिति है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार में एनडीए के खिलाफ एक निर्णायक गठबंधन बन पाया है. यह गठबंधन चुनाव में एनडीए को करारी शिकस्त देगा. नीतीश कुमार ने 15 साल पहले जो बातें कही थीं, आज बिहार में बिलकुल उलटी चीजें दिखलाई पड़ रही हैं. खुद देख लीजिए बिहार आज कहां पहुंच गया है? 15 साल पहले सड़कों की चर्चा होती थी, लेकिन आज हर जगह टूटी सड़कों और पुलों के ढह जाने की चर्चा हो रही है. शिक्षा-रोजगार का पूरी तरह बंटाधार हो गया है. और अपराध का ग्राफ भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. बिहार आज एक बार फिर से बदलाव के मुहाने पर खड़ा है. भाजपा नीतीश कुमार के कंधों पर बंदूक चला रही है. भाजपा का माॅडल यूपी का माॅडल है. आज पूरा देश देख रहा है कि योगी के शासन में यूपी में क्या हो रहा है? खुलेआम बलात्कारियों को संरक्षण दिया जा रहा है. सामंती ताकतों का मनोबल बढ़ाया जा रहा है. यूपी में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है. बिहार में भी भाजपा ऐसा ही अराजक माहौल बनाकर सामंती-सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत करना चाहती है, बिहार की जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी और चुनाव में भाजपा को भारी शिकस्त देगी.”
पहला चरण:
पालीगंज – संदीप सौरभ, आरा – कयामुद्दीन अंसारी, अगिआंव – मनोज मंजिल, तरारी – सुदामा प्रसाद, डुमरांव – अजित कुमार सिंह, काराकाट – अरुण सिंह, अरवल – महानंद सिंह, घोषी – रामबली सिंह यादव.
दुसरा चरण:
भोरे – जितेंद्र पासवान, जीरादेई – अमरजीत कुशवाहा, दरौली – सत्यदेव राम, दुरौंदा – अमरनाथ यादव, दीघा – शशि यादव, पफुलवारी - गोपाल रविदास.
तीसरा चरण:
सिकटा – वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, औराई – आफताब आलम, बलरामपुर – महबूब आलम, कल्याणपुर – रंजीत राम, वारिसनगर – फूलबाबू सिंह.