वर्ष - 29
अंक - 42
10-10-2020


भाकपा(माले) ने विगत 8 अक्टूबर 2020 को पटियाला में महिला कर्ज मुक्ति रैली आयोजित कर मोदी सरकार पर राष्ट्रवाद के नाम पर देश में कंपनी राज को फिर से लाने का आरोप लगाया है. भाकपा(माले) की पंजाब इकाई के बैनर तले  पटियाला के पुडा मैदान में आयोजित इस महिला कर्ज मुक्ति रैलीे में हजारों महिलाओं, किसानों, मजदूरों और युवाओं ने हिस्सा लिया.

रैली का नेतृत्व भाकपा(माले) के राज्य सचिव कामरेड गुरमीत सिंह बख्तापुर, केंद्रीय समिति के सदस्य राजविंदर सिंह राणा, प्रख्यात किसान नेता और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रुल्लू सिंह, पार्टी के केंद्रीय नेता और मजदूर मुक्ति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत सिंह ने किया. भाकपा(माले) के प्रदेश प्रवक्ता कामरेड सुखदर्शन नत्त और महिला ऋण राहत आंदोलन सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया.

अपने संबोधन में कामरेड बख्तापुर ने कहा कि एक ओर, मोदी सरकार देश के संविधान, राज्यों के अधिकार, धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा, संसद, न्यायपालिका, रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग सहित लोकतांत्रिक ढांचों पर हमला कर रही है तो दूसरी ओर देश के सभी प्राकृतिक संसाधनों, पिछले सात दशकों के सार्वजनिक धन, सभी महत्वपूर्ण सार्वजनिक संस्थानों को काॅरपोरेट घरानों के हवाले कर रही है. तीन नए कृषि कानूनों को पारित करते हुए वह कृषि क्षेत्र को भी काॅरपोरेट के हवाले करने की राह ढूंढ़ रही है. इसने लाखों गरीब महिलाओं, मजदूरों, किसानों और छोटे व्यवसायियों को, जो लंबे समय तक कोरोना लाॅकडाउन की वजह से गंभीर मंदी का सामना कर रहे हैं, कोई राहत नहीं दिया है लेकिन बड़े काॅरपोरेट घरानों के हजारों करोड़ रुपये माफ कर चुकी है.

भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी के सदस्य और मजदूर मुक्ति मोर्चा (पंजाब) के अध्यक्ष कामरेड भगवंत सिंह ने कहा कि हम पंजाब सरकार से मांग करते हैं कि वह कर्ज माफी के अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के कर्ज माफ करे और महिलाओं पर कर्ज अदायगी का दबाव बनाने वाली कंपनियों के अधिकारियों और एजेंटों के खिलाफ शिकायत मिलते ही  तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दे. उन्होंने श्रम कानूनों में मोदी सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को भी निरस्त करने की मांग की.

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्लू सिंह मानसा ने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि आज देश भर के किसान, खेत मजदूर और छोटे व्यापारी कृषि और उससे संबंधित व्यवसायों में बड़ी कंपनियों की घुसपैठ का विरोध करने के लिए एक साथ आए हैं और इसके लिए बनाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ एक युद्ध छेड़ में उतर पड़े हैं. अगर मोदी सरकार किसानों के खिलाफ अपनी साजिशों से बाज नहीं आती और इन कानूनों को वापस नहीं लेती तो पूरे देश में भाजपा का सफाया हो जाएगा.

भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता कामरेड राजविंदर सिंह राणा ने सभी क्रांतिकारी और वामपंथी दलों से एकजुट होकर राजनीतिक पहल करने की अपील की. उन्होंने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में बड़े पैमाने पर उठ खड़े हुए आंदोलन का स्वागत करते हुए कहा कि अवसरवादी पूंजीवादी दल महज इसका राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं. हमें उनकी तिकडमों से भी सावधान रहना होगा.

रैली में पारित प्रस्तावों में दलित छात्रों के करोड़ों रुपये के पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच की मांग करते हुए घोटाले के सरगना कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के इस्तीफे की मांग और हाथरस गैंग रेप कांड व हत्या के खिलाफ दलित संगठनों के भारत बंद का जोरदार समर्थन किया गया.

एक अन्य प्रस्ताव में सरकार को ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार बढ़ाने और प्रदूषण को रोकने के लिए पुआल और पुआल प्रबंधन के काम को मनरेगा योजना में शामिल करने की मांग की गई. एक विशेष प्रस्ताव में भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किये गये तथा भाजपा नेताओं द्वारा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काए गये ‘दिल्ली दंगा’ मामलों में फर्जी और अवैध रूप से फंसाये गये सभी वामपंथी और डेमोक्रेटिक नेताओं, बुद्धिजीवियों, विचारकों और पत्रकारों को तत्काल रिहा करने की मांग की गई.

ऐपवा की राष्ट्रीय नेता जसबीर कौर नत्त, मोर्चा के राज्य सचिव हरविंदर सिंह सेमा, महिला आंदोलन की जिला नेता कुलविंदर कौर, परमजीत कौर, जसविंदर कौर, अनीता कौर, परमजीत कौर, रानी कौर, सुखविंदर कौर, मजदूर मुक्ति मोर्चा के घमंड सिंह, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप गुरु, क्रांतिकारी युवा परिषद के नेता विंदर सिंह अलख और किसान नेताओं गोरा सिंह भैणी, बलबीर सिंह रंधावा और गुरनाम सिंह भीखी ने भी सभा को संबोधित किया. भाकपा(माले) नेता गोबिंद सिंह छाजली ने रैली का संचालन किया. रैली मंच पर भाकपा(माले), पंजाब किसान यूनियन और मजदूर मुक्ति मोर्चा के सभी नेता मौजूद थे.

– हरभगवान भीखी  

 

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