बगोदर विधानसभा क्षेत्र (झारखंड) में महिलाओं पर बेहद अमर्यादित व अश्लील टिप्पणी करनेवाले भाजपा-बजरंग दल के लंपटों की नकेल कसने के बजाय उनको संरक्षण देने और बजरंग दल से जुड़े एक लंपट को पकड़कर पुलिस को सौंपने पर ऐपवा और इंकलाबी नौजवान सभा के आधे दर्जन से अधिक नेताओं-कार्यकताओं पर झूठे मुकदमे करने के खिलाफ भाकपा(माले), इंकलाबी नौजवान सभा, आइसा और ऐपवा ने विगत 21 सिंतबर 2020 को बगोदर-सरिया अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कार्यालय का घेराव किया.
घेराव के पहले सरिया अस्पताल से आक्रोश पूर्ण मार्च निकाला गया जो विवेकानंद चौक, सरिया बाजार, थाना चौक होते हुए लगभग चार किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कार्यालय पहुंचा. मार्च में शामिल लोग ‘महिलाओं पर अश्लील टिप्पणी करने वाले भाजपा-बजरंग दल के लम्पटों को संरंक्षण देना बंद करो’, ‘भाजपा के लम्पटों को संरंक्षण देने वाले एसडीपीओ शर्म करो’, ‘भाजपा-पुलिस गठजोड़ मुर्दाबाद’, ‘महिला विरोधी कोडरमा भाजपा सांसद अन्नपूर्णा शर्म करो’, ‘अपराधियों को संरंक्षण देने वाले भाजपा पूर्व विधायक नागेंद्र महतो डूब मरो’, ‘ऐपवा और इनौस कार्यकर्ताओ पर झूठे मुकदमे वापस लो’ आदि नारे लगा रहे थे.
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कार्यालय के मुख्य द्वार पर आयोजित आक्रोश सभा को संबोधित करते भाकपा(माले) राज्य कमिटी सदस्य कामरेड सीताराम सिंह ने कहा कि भाजपा के रघुवर राज में ही यहां पदस्थापित एसडीपीओ विनोद कुमार महतो बगोदर-बिरनी-सरिया इलाके में पुलिस की मनमानी बढ़ाने के जिम्मेवार हैं. इनकी वजह से ही साढ़े तीन साल पहले बिरनी में हुए चर्चित सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड का उद्भेदन आज तक नहीं हो पाया. एसडीपीओ कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित सरिया विद्युत पावर स्टेशन में लाखों रुपयों की संपत्ति की चोरी हुई. महीनों बीत जाने के बाद भी अपराधियों को पकड़ा नही गया. एक सप्ताह पहले बिरनी थाने के मुरैना गांव में रात्रि प्रहर इनके नेतृत्व में गए पुलिस बल ने एक निर्दाेष ग्रामीण एतवारी साव के घर का दरवाजा तोड़ दिया और उनके घर के अंदर घुस गए. जबकि एतवारी साव के विरुद्ध कोई वारंट या मुकदमा नहीं था. इनके कारनामे से इलाके की जनता काफी क्षुब्ध और आक्रोशित है. उसी मुरैना गांव में जब एक निर्दाेष ग्रामीण को मारा-पीटा गया तो आक्रोशित ग्रामीणों ने थाना प्रभारी सहित सभी पुलिस कर्मियों को बंधक बना लिया था.
उन्होंने कहा कि बगोदर का इलाका प्रतिरोध का इलाका है. यहां लोगों ने अपने मान-सम्मान व हक-अधिकार के लिये लड़ने और जीतने का इतिहास रचा है. उन्होंने कहा कि हमारा कार्यक्रम पुलिस के निक्कमेपन, गुंडागर्दी, मनमानी के खिलाफ सांकेतिक व लोकतांत्रिक चेतावनी है.
ऐपवा नेत्री व जिला परिषद सदस्य का. पूनम महतो ने कहा कि हम मुकदमों से डरनेवाले नहीं हैं. पुलिस अपराधियों को पकड़कर सलाखों में भेजे, उन्हें कठघरे में खड़ा करे अन्यथा सड़को में उग्र प्रतिवाद होगा.
सभा को संबोधित करते बगोदर की उप प्रमुख और ऐपवा नेत्री सरिता साव ने कहा कि लिखित शिकायत करने के बाद भी जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तब एक अपराधी को पकड़कर पुलिस को सौंपा गया. इसके लिए अपहरण का मुकदमा कर देना पुलिस के घोर निरंकुशता और मनमानी को दर्शाता है. सोशल मीडिया में बेहद अमर्यादित, अश्लील और गंदी टिप्पणी करने वाले बजरंग दल-भाजपा नेताओं को पकड़कर कर पुलिस को सौंपना अपहरण कैसे हो गया? हम महिलाएं अपने मान-सम्मान की रक्षा करेंगी, न कि हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेंगी.
बगोदर मध्य से जिला पार्षद व ऐपवा नेत्री सरिता महतो ने कहा कि मैं तकरीबन एक साल से बेहद अपमानजनक टिप्पणियां झेल रही हूं. प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों – एसडीओ, डीएसपी, थाना प्रभारियों को आवेदन देकर जब थक गई. लेकिन कार्रवाई की दिशा में कोई पहल नहीं हुई. तब एक अपराधी को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया. मुझ पर अपहरण का मुकदमा बेहद हास्यापद और निंदनीय है.
सभा को इंकलाबी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष संतोष हाड़ी व भाकपा(माले) नेता मुस्तकीम अंसारी ने भी संबोधित किया. सभा की अध्यक्षता भाकपा(माले) के सरिया प्रखंड सचिव का. भोला मंडल व संचालन इनौस के राष्ट्रीय सचिव संदीप जायसवाल ने की. भाकपा(माले) के बगोदर प्रखंड सचिव पवन महतो ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
सोशल मीडिया में भाजपा संरक्षित लंपटों की बेहद अपमानजनक टिप्पणियों से न्यायपसन्द अवाम और सभ्य समाज बेहद आहत है. लंपटों को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी द्वारा संरंक्षण दिए जाने और उनके पक्ष में भाजपा-बजरंग दल-विहिप का रोड जाम और प्रदर्शन के खिलाफ भाकपा(माले) व जनसंगठनों द्वारा सम्पन्न यह आक्रोश पूर्ण मार्च काफी प्रभावकारी रहा. विपरीत मौसम के बावजूद घेराव कार्यक्रम में 3000 से अधिक लोगों ने भाग लिया. एक लंबे अरसे के बाद बगोदर इलाके में पुलिसिया मनमानी के खिलाफ बड़ी उल्लेखनीय गोलबंदी हुई है. इससे भाकपा(माले) के आधारों, कतारों व आम जनता के बीच उत्साहजनक संदेश गया है.
बहरहाल, 21 सितंबर के कार्यक्रम के बाद एक बार फिर पुलिस प्रशासन ने सरकारी काम मे बाधा डालने, कोविड-19 के शर्तों का उल्लंघन करने समेत अन्य मामलों को लेकर 41 नामजद और 600 अज्ञात प्रदर्शनकारियों पर केस दर्ज किया है.