‘सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाओ’, ‘स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज माप करो’, ‘एक लाख रुपये तक का निजी कर्ज – चाहे वो सरकारी, माइक्रो फायनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों – का लाॅकडाउन के दौर की सभी किस्तें माप करो’, ‘स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करो’, ‘एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाओ’, ‘शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त करो’, ‘सामूहिक कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक ऑथरिटी बनाओ’, ‘स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर 0-4 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित करो’, ‘जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो उस कर्ज को समाप्त करो’ इत्यादि मांगों पर ऐपवा के बैनर तले 13 अगस्त 2020 को आयोजित राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत पूरे देश में हजारों महिलाएं मास्क लगाकर सड़कों पर उतरीं. बिहार, असम, त्रिपुरा, बंगाल, झारखंड, ओडीसा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पुदुचेरी, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में गांव, पंचायत, प्रखंड परिसरों में महिलाओं ने धरना-प्रदर्शन किया और कर्ज मुक्ति दिवस मनाते हुए नई महाजनी व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद की.
इस अवसर पर ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि 15 अगस्त को हम अपनी आजादी को याद करते हैं जिस आजादी को हासिल करने के लिए हर धर्म, समुदाय के लोगों ने शहादत दी थी. हमारे उन पूर्वजों ने उम्मीद की होगी कि आजाद भारत में जमींदारी-महाजनी व्यवस्था से मुक्ति मिलेगी. लेकिन आज 73 वर्षों के बाद हमारी सरकार माइक्रो फायनेंस संस्थानों, प्राइवेट बैंकों की नई महाजनी व्यवस्था को संरक्षण देने में लगी है जो गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को मनमाने सूद दर पर कर्ज देती है और इस महामारी के दौर में भी जबरन वसूली कर रही है. 31 अगस्त तक कर्ज या किश्त वसूली पर रिजर्व बैंक के निर्देश को भी नहीं माना. कोई महिला असमर्थता जताए तो कहीं कहा गया कि ‘देह बेचकर दो’ तो कहीं महिला के घर का पर्नीचर उठा कर ले जाया गया. ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रति राव व राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि देश में आजीविका योजना के तहत चलने वाले स्वयं सहायता समूहों के सामूहिक कर्ज माप किए जाएं और महिलाओं के रोजगार व उनके उत्पादों की अनिवार्य खरीद सरकार करे.
पटना के चितकोहरा में ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव और ऐपवा राज्य कार्यालय में ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे ने कहा कि गरीब परिवारों के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. इसलिए हमारी मांग है कि इस पूरे वित्तीय वर्ष (31 मार्च 2021) तक कर्ज वसूली रोकी जाए. पटना में ऐपवा नेता आबिदा खातून, अनिता सिन्हा, अनुराधा सिंह, राखी मेहता, पूनम देवी, सविता देवी, करुणा, रेणु, सुनीता, मंजू, रीना, विभा गुप्ता आदि ने हिस्सा लिया और प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन कर कर्ज माफी से संबंधित आवेदन सौंपा.
बिहार में यह कार्यक्रम राजधानी पटना के साथ आरा, बेगूसराय, अरवल, जहानाबाद, गया, पटना ग्रामीण के विभिन्न केंद्रों, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, गया, नालंदा, नवादा, औरंगाबाद, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, जमुई आदि अनेक जिलों में आयोजित हुए. पटना में ऐपवा नेता सरोज चौब, शशि यादव, अनीता सिन्ह; गया में रीता वर्णवाल; नवादा में सावित्री देवी; सिवान में मातरी राम व सोहिला गुप्ता; आरा में इंदू सिंह, संगीता सिंह व शोभा मंडल; दरभंगा में शनीचरी देवी और मुजफ्फरपुर में मीरा ठाकुर ने इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया.