भाकपा(माले) ने चुनाव आयोग के नए गाइडलाइन से असहमति जाहिर करते हुए 26 अगस्त के दिन एक बार पिर आयोग को ज्ञापन सौंपा है. पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा व वरिष्ठ नेता केडी यादव ने आज बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मुलाकात की और अपनी असहमति के बिन्दुओं को एक-एक कर रखो.
अपने ज्ञापन में भाकपा(माले)ने कहा कि आयोग का गाइडलाइन आंखों में धूल झोंकने वाला है. इसमें एक तरप कोरोना से बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए हैं, दूसरी ओर धांधली के और भी व्यापक द्वार खोल दिए गए हैं.
कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों व सिविल सोसाइटी के द्वारा संभावित चुनावी धांधली का आरोप लगने के बाद चुनाव आयोग ने 65 साल के लोगों को पोस्टल बैलेट देने का प्रस्ताव वापस लिया था, लेकिन उसने कोविड के नाम पर पिर एक ऐसा प्रावधान किया है जो व्यापक चुनावी धांधली की जगह बनाता हैे.
कहा कि गाइडलाइन के पोस्टल बैलट संबंधी चैप्टर 12 के बिन्दु 1 (डी) में कहा गया है कि सिर्फ कोविड पाॅजिटिव ही नहीं, संदेहास्पद कोविड मतदाता और होम या संस्थान में क्वारंटाइन में रह रहे मतदाता भी पोस्टल बैलेट प्राप्त करने के अधिकारी होंगे. इसके विपरीत, गाइडलाइन के पोलिंग स्टेशन के अरेंजमेंट्स से संबंधित चैप्टर 10 के बिन्दु 21 में कहा गया है कि क्वारंटाइन मतदाता मतदान के अंतिम समय में बूथ पर वोट देंगे. इसी चैप्टर के बिन्दु 4 में यह भी कहा गया है कि थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान बूथ पर अगर कोई बुखार से पीड़ित पाया जाएगा, तो उसे भी अंतिम समय में वोट डालने को कहा जाएगा. सवाल यह है कि संदेहास्पद कोविड मतदाता की पहचान कैसे होगी? इस नाम पर सत्ताधारी दल बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट हासिल कर सकते हैं और पूरे चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. कंटेनमेंट जोन वाले इलाके के लिए अलग से बूथ बनाया जा सकता है, लेकिन इसके बहाने पोस्टल बैलेट जारी कर धांधली की इजाजत नहीं दी जा सकतीैे.
भाकपा(माले) ने आयोग से मांग की है कि संदेहास्पद मरीज या होम क्वारंटाइन मरीज को पोस्टल बैलेट का प्रावधान वापस किया जाए ताकि चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष व विश्वसनीय हो. पार्टी ने कहा कि कोविड से मतदाता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी चुनाव आयोग की है. वह इस जिम्मेवारी से नहीं भाग सकता. लेकिन आयोग लाख विरोध के बावजूद लोगों की जान की परवाह किए बिना चुनाव करवाने पर आमादा है. इसलिए लोगों की जान की रक्षा की जिम्मेवारी भी उसी पर आती है. लेकिन गाइडलाइन के चुनावी कैंपेन संबंधी चैप्टर 13 के बिन्दु 3 (एप) में उसने सभा, प्रचार आदि तमाम मामले में कोविड से रक्षा की जिम्मेवारी पार्टी और उम्मीदवार पर डाल दिया है. यह एकदम से गैर-जिम्मेदाराना बात है. भाकपा(माले) ने आयोग से मांग की है कि इस प्रावधान को वापस लिया जाए. साथ ही, यह मांग भी की गई है कि वर्तमान में 1000 वोटर पर एक बूथ के प्रावधान के बजाय 250 मतदाताओं पर बूथ बनाया जाए.
साथ ही, आयोग मतदाता और पुलिस सहित तमाम चुनावर्मी को संक्रमित होने पर हरेक को कोविड गुजारा भत्ता व मुफ्त इलाज की व्यवस्था करवाए. आयोग सब लोगों को 50 लाख रुपए का बीमा करवाने की मांग करती है ताकि वे अपना सही समय पर इलाज करवा सकें. भाकपा(माले) ने आयोग से ईवीएम की जगह पोस्टल बैलेट से चुनाव की मांग दुहराई है ताकि कोरोना का संक्रमण कम हो सके.
बिहार में महागठबंधन की पार्टियों व वामपंथी दलों के बीच चुनावी एकता के लिए विभिन्न स्तरों पर बातचीत की प्रक्रिया जारी है. यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार विपक्ष मजबूत एकता के साथ चुनाव में उतरेगा और फासीवादी भाजपा और जनादेश से गद्दारी करने वाले नीतीश कुमार के गठबंधन को शिकस्त देगा.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी वार्ता के लिए भाकपा(माले) की ने एक उच्चस्तरीय टीम गठित की है. विगत दिनों भाकपा(माले) के नेताओं ने सीपीआई, सीपीआइएम, राजद व कांग्रेस के नेताओं से बातचीत की है और चुनाव संबंधी विभिन्न पहलुओं पर वार्ता चलाई है. आगामी चुनाव में भाजपा-जदयू को हराना ही प्रमुख मुद्दा है. बातचीत में भाजपा-जदयू के खिलाप चुनावी रणनीति तय करने से लेकर सीटों के तालमेल पर भी चर्चा हुई है.
उच्चस्तरीय टीम के सदस्य व पार्टी पोलित ब्यूरो के सछसय कामरेड धीरेन्द्र झा ने कहा कि भाजपा-जदयू के खिलाप हर स्तर पर विक्षोभ है, इसलिए ये दल वर्चुअल तरीके से चुनाव करवाकर चुनाव को हड़प लेने की कोशिश कर रहे हैं. विपक्ष की पार्टियां उनके इस मंसूबे को बखूबी समझती हैं, इसलिए हम लगातार बैलेट से चुनाव करवाने तथा कोविड के संक्रमण को कम करने के लिए 250 वोटरों पर बूथ का गठन करने की मांग कर रहे हैं. पोस्टल बैलेट का विरोध किया जा रहा है क्योंकि व्यापक पैमाने पर उसे जारी किए जाने से चुनाव में धांधली की व्यापक गुंजाइश पैदा होती है.
– कुमार परवेज