वर्ष - 29
अंक - 38
12-09-2020

केंद्र सरकार की कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ 10 सितंबर (गुरुवार) को कुरुक्षेत्र के पीपली में ‘किसान बचाओ-मंडी बचाओ रैली’ बुलाई गई थी. पीपली मंडी में किसान बुधवार से ही जुटने लगे थे. इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने पीपली क्षेत्र में धारा 144 लगाकर रैली करने पर रोक लगा दी. हरियाणा के कई जिलों से पहुंचे रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने जगह-जगह नाकेबंदी भी की. सैकड़ों किसानों को रास्ते में रोक दिया गया. जहां रोका गया, किसानों ने वहीं विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. दिन भर कई जगह पुलिस के साथ टकराव की स्थिति बनती रही.

इस सबके बावजूद बड़ी संख्या में बहादुर किसान कुरुक्षेत्र पहुंच गये. रैली न रुकती देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कई किसानों के सिर फूट गये, कई किसान घायल हुए. लाठीचार्ज और कई किसानों को हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने किसानों को रैली करने की छूट भी दी.

हरियाणा व पंजाब में किसान शुरू से ही केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं. ज्ञात हो कि इससे पहले 20 जुलाई 2020 को पंजाब, हरिणाया और राजस्थान के किसानों ने केंद्र सरकार की कृषि से जुड़े इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ ट्रैक्टर रैली का आयोजन भी किया गया था.

किसानों पर हुए लाठीचार्ज का अखिल भारतीय किसान महासभा समेत भारत के सभी किसान संगठनों और नेताओं ने विरोध किया है. कहा है कि मोदी सरकार कोरोना के समय में अध्यादेश लाने में तो कभी नहीं घबराई लेकिन किसानों की रैली से क्यों घबरा गई? देशभर में सभी किसान संगठन एकजुट हैं. किसानों पर लाठीचार्ज कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. केंद्र सरकार को तीनों अध्यादेश वापस लेने होंगे वरना देश के किसान मोदी सरकार को चलता कर देंगे.

गौरतलब है कि सरकार ने जो तीन आध्यादेश लाये हैं वे स्पष्ट रूप से घोर किसान विरोधी हैं. मसलन एक आध्यादेश के जरिए एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव किया गया है. पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाजारी करते थे. इसे रोकने के लिए एसेंशियल एक्ट 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक सीमा से अधिक मात्रा में भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी.

अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज़, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है. किसान और किसान संगठनों का मानना है कि सरकार की इस नीति से किसानों को नुकसान होगा. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण की व्यवस्था नहीं होती है यानी यह अध्यादेश बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाजारी के लिए लाया गया है. कम्पनियां और सुपर मार्केट अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करेंगे और बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे.

किसान संगठनों का कहना कि इस बदलाव से कालाबाजारी घटेगी नहीं बल्की बढ़ेगी तथा जमाखोरी बढ़ेगी. 14 सितम्बर 2020 को अखिल भारतीय किसान महासभा समेत अखिल भारतीय किसान सघर्ष समन्वय समिति से जुड़े 250 से अधिक किसान संगठन केंद्र के द्वारा लाए गए इन तीनो अध्यादेशों का सम्पूर्ण भारत में विरोध करेंगे.

– प्रेम सिंह गहलावत   

 

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