09 सितंबर 2020 को ‘एनडीए हराओ, भाकपा(माले) जिताओ, वैकल्पिक सरकार बनाओ’ नारे के साथ भाकपा(माले) का काराकाट प्रखंड कार्यकर्ता सम्मेलन किया गया. सम्मेलन की अध्यक्षता संयुक्त रूप से का. राजेन्द्र सिंह, डा. नागेन्द्र सिंह, का. अवधेश सिंह, शिवकुमार शर्मा व भैयाराम पासवान ने किया.
मुख्य अतिथि के बतौर सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) जिला सचिव व पूर्व विधायक अरुण सिंह कहा कि केन्द्र की एनडीए की सरकार में आजादी के बाद पहली बार देश का जीडीपी गिरकर -24 प्रतिशत पर आ गया है. यह देश के लिए काफी चिंता का विषय है. मोदी द्वारा नोटबंदी, जीएसटी व लाॅकडाउन की सनक ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तबाह कर दिया है. देश अभूतपूर्व बेरोजगारी, आर्थिक तबाही और महंगाई का सामना कर रहा है. सभी सरकारी उपक्रमों मसलन रेल, माईन्स, पेट्रोलियम, टेलिकाॅम, बिजली, आयुध करखानों, बैंक, एलआईसी आदि को काॅरपोरेट के हाथों औने-पौने कीमतों मे बेच दिया गयाअब कृषि के क्षेत्र मे तीन अध्यादेश लाकर कृषि को भी काॅरपोरेटों के हवाले किया जा रहा है. दलित-पिछडो़ पर सामंती शक्तियों का हमला बेशुमार बढा है. अभिव्यक्ति की आजादी पर एनडीए सरकार लगातार कुचला जा रहा है. भाजपा देश को हिन्दू राष्ट्र व मनुसमृति को संविधान बनाने की दिशा मे लगतार प्रयास कर रही है जिससे हमारा देश, संविधान और लोकतंत्र सभी खतरे में हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने भाजपा के खिलाफ जनादेश दिया था. नीतीश कुमार ने जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए भाजपा को सरकार मे शामिल कर लिया. यह जनता के साथ बड़ा धोखा है. भाजपा के सरकार मे आते हीं स्वच्क्षता अभियान के नाम पर गरीबों के शौच करने करने पर पहरा बिठा दिया. जल-जीवन-हरियाली के नाम पर बड़े पैमाने पर गरीबों को उजाड़ा गया. नीतीश राज में दलितों-अतिपिछड़ों पर सामंती ताकतों का हमला काफी बढ़ा है. ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. सम्मेलन को काराकाट विधानसभा प्रभारी रविशंकर राम ने भी संबोधित किया.
विगत 28 जुलाई 2020 को बनास नदी में जो बरसात में अत्यंत खतरनाक रूप धारण कर लेती है. पिछले दिनों गड़हनी प्रखंड के तीन लोगों की इस नदी में डूबने से मौत हो गई. इचरी गांव के आदित्य राम (31 वर्ष), मदुरा गांव के त्रिवेणी पाल (55 वर्ष) और धमनिया गांव के अशोक मांझी (35 वर्ष) अलग-अलग स्थानों पर नदी में डूब गए.
आदित्य राम की मुत्यु 4 सितंबर की सुबह तब हो गई जब वे शौच के लिए नदी किनारे गए. पांव फिसलने के कारण वे नदी में जा गिरे और डूबने से उनकी मौत हो गई. दोपहर को डूबने की जगह से काफी दूर करन टोला में उनका शव मिला. भाकपा(माले)ने केन्द्रीय कमेटी सदस्य व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. मनोज मंजिल, प्रखंड सचिव नवीन कुमार, इनौस के सचिव जितेंद्र पासवान, शाहीन बाग आंदोलन के नेता मो. जफर आदि के नेतृत्व में नदी में डूब कर जान गंवानेवालों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग पर 5 सितंबर 2020 की शाम से अंचलाधिकारी का घेराव शुरू किया. आंदोलन के दबाव में 6 सितंबर को आदित्य राम की पत्नी गीता देवी को 4 लाख रुपये मुआवजा मिलाजिला प्रशासन ने मृतक की पत्नी को विधवा पेंशन व इंदिरा आवास देने का भी वायदा किया.
इससे पहले 28 जुलाई 2020 को मदुरा गांव निवासी त्रिवेणी पाल (55 वर्ष) की मृत्यु भी नदी में डूबने से हो चुकी थी. मदुरा गांव (गड़हनी प्रखंड) में अरुण पाल के पिता की मौत हेा गई. अरुण पाल ने पिछले चुनाव में जदयू को वोट किया था. वे पिता की मृत्यु का मुआवजा हासिल करने के लिए जदयू के अगिआंव विधायक प्रभुनाथ राम के दरवाजे पहुंचे थे. लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी. थके-हारे अरूण भाकपा(माले) के गड़हनी कार्यालय में पहुंचे. 8 सितंबर को त्रिवेणी पाल के पुत्र अरूण पाल व उनकी मां राधिका देवी को भी 4 लाख रु. का मुआवजा हासिल हुआ.
धमनिया गांव निवासी की अशोक मांझी मृत्यु 10 सितंबर की सुबह जब धान सोहने (खेत से घास व खर-पतवार निकालने) के बाद नहाने पहुंचे तो नदी के तेज धार में बह कर डूबने से उनकी मृत्यु हो गई. आपदा प्रबंधन की टीम भी तत्काल उनका शव बरामद न कर सकी जो बहुत बाद में 5 किमी दूर नदी किनारे झाड़ी में पफंसा हुआ बरामद हुआ. प्रशासन के इशारे पर चौकीदार ने शव की पहचान करवाये बिना ही पोस्टमार्टम के लिए भेजना चाहा. इससे मृतक के परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हो उठे और प्रखंड कार्यालय जा पहुंचे जहां रात्रि 9 बजे तक भाकपा(माले) के नेतृत्व में घेराव किया गया. 3 घंटे बाद पुलिस इंस्पेक्टर दर्जनों पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे. गड़हनी थाने में रखे शव को परिजनों को गया और उन्होंने शव की पहचान की. प्रशासन से वार्ता के बाद अगले दिन शाम तक 4 लाख रूपये का चेक मिलने के वायदे के साथ आंदोलन समाप्त हुआ. अगले दिन उनकी पत्नी भुअरी देवी को 4 लाख रुपए की राशि का चेक मिला.
11 सितंबर 2020 को दाऊदनगर के तरार गांव में भाकपा(माले) की ओबरा विधानसभा स्तरीय बैठक संपन्न हुई. बैठक में मुख्य अतिथि भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य और मगध जोन के प्रभारी का. अमर ने कहा कि 2020 बिहार विधानसभा चुनाव सिर्फ बिहार की राजनीति नही बल्कि पूरे देश की राजनीति को जनपक्षीय दिशा देगासभी कार्यकर्ताओं को मजबूती के साथ अपनी आवाज को विधानसभा में पहुंचाने में उतर जाना होगा. हमारी आवाज गरीब जनता की आवाज है और यही हमारी पहचान है. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाकामी अब किसी से छुपी हुई नही है. छात्रा-युवा इनके खिलाफ हैं. रोजगार, शिक्षा, सुरक्षा आदि को भाजपा-जदयू की सरकार ने बर्बाद कर दिया है.
भाकपा(माले) के जिला सचिव मुनारिक राम ने कहा कि भाकपा(माले) को जब भी मौका मिला है उसने बिहार विधानसभा में गरीबों, मजलूमों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों-अतिपिछड़ों व छात्र-युवाओं की आवाज बनकर नई मिसाल पेश की है. सदन से लेकर सड़क तक जनसंघर्षों की कोई आवाज है तो वह भाकपा(माले) ही है. संघर्षशील कार्यकर्ताओं और विचारवान नेताओं के जरिए हम हमेश जनता के बीच मौजूद रहते हैं. किसी भी घटना या जनसरोकार के मुद्दे पर भाकपा(माले) अग्रणी भूमिका निभाती रही है. इस विधानसभा के लिये हमारी मजबूत दावेदारी है जिसे एक बड़ी पहचान के साथ जीत में बदलना है. उन्होंने बताया कि दाऊदनगर प्रखंड के अंतर्गत पंचायत, गांव, वार्ड और बूथ स्तर तक चुनाव कमिटी का निर्माण किया जा रहा है. बिरजू चौधरी, चंद्रमा पासवान, दुखन राम, जनार्दन प्रसाद और मुनारिक राम की पांच-सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने बैठक का संचालन किया. बैठक में राजकुमार भगत, कामता यादव, कुणाल किशोर, नरेंद्र कुमार, पिंटू सिंह, द्वारिका पासवान, जयहिंता देवी, अख्तरी बानो, सत्येंद्र सिंह, वामदेव सिंह, राजकमल सिंह (सुदामा जी), ललन यादव, देवशरण मेहता, अखिलेश राम, सत्येंद्र कुमार सिंह, दिनेश राम आदि ओबरा विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए.
फुलवारी में विधानसभा चुनाव की तैयारी में दर्जनों गांवों की बैठक आयोजित हुई. सुईथा पंचायत में ‘गरीब-महादलित-अति पिछड़ों की हुंकार, अबकी नहीं नीतीश सरकार’ नारे के साथ पदयात्रा व नुक्कड़ सभा की गई. मौलाना बुद्धिचक में आयोजित नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव का. गुरुदेव दास ने कहा कि बिहार में जंगल राज है. फुलवारी में दर्जनों गांवों में लाॅकडाउन के दौरान दलित-पिछड़ों पर सामंती ताकतों के द्वारा हमला हुआ है. इसके खिलाफ भाकपा(माले) ने लगातार आवाज बुलंद किया है. क्षेत्र की जनता के ज्वलंत सवालों पर आंदोलन किया है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने की सरकारी घोषणा बकवास साबित हुई है. फुलवारी में कहीं भी रोजगार नहीं मिला तो वे जान जोखिम में डाल कर फिर प्रवास के लिए प्रस्थान करने के लिए मजबूर हैं. बच्चों के शिक्षा चैपट हो गई है. नौजवान पढ़-लिख कर बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.
पदयात्रा के जरिए बेरोजगारों को 10 हजार रु. लाॅकडाउन भत्ता देने की भी मांग की गई. कार्यक्रम में भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता का. शरीफा मांझी, देवीलाल पासवान, खेग्रामस नेता छोटू मांझी व बबन दास सहित दर्जनों लोग शामिल थे.
2 सितंबर 2020 को भाकपा(माले) नेता का. अरुण यादव की अध्यक्षता में लूचन टोला में गांव बैठक हुई और बुथ कमिटी का निर्माण किया गया. बैठक को का. रामधारी दास व जयप्रकाश पासवान ने भी संबोधित किया.
‘भाजपा-जदयू गठबंधन को हराओ, वैकल्पिक सरकार बनाओ’ नारे के तहत 2 सितंबर 2020 को धर्मपुर ग्राम सामुदायिक भवन में थरथरी प्रखंड का कार्यकर्ता कन्वेंशन कन्वेंशन आयोजित हुआ. पूर्व मुखिया बखोरी प्रसाद, रामप्रवेश रविदास एवं भाकपा(माले) प्रखंड सचिव मुनीलाल यादव के तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने कन्वेंशन का संचालन किया. कार्यकर्ता कन्वेंशन को संबोधित करते हुए का. मुन्नी लाल यादव ने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार सिर्फ कागजी और ढपोरशंखी घोषणाओं की सरकार बन कर रह गई है. किसी दलित की हत्या हो जाने पर उनके परिवार के किसी एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की जा रही है, लेकिन हर रोज गरीबों, दलितों व महिलाओं की हत्या घटनाओं से पूरा बिहार शर्मसार हो रहा है. सबसे पहले यह सरकार विगत 15 सालों के अपने शासन के दौरान मारे गए दलितों, गरीबों व अति पिछड़ों के परिजनों सरकारी नौकरी दे. कार्यकर्ता कन्वेंशन में शामिल भाकपा(माले) जिला स्थाई समिति के सदस्य का. रामधारी दास ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश की सार्वजनिक संस्थानों – रेलवे, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, दूरसंचार आदि का निजीकरण कर बेरोजगारी पैदा कर रही है. मजदूरों को 8 घंटा काम करने का अधिकार था, उसको बढ़ाकर 12 घंटा कर दिया गया है. इससे साबित होता है कि यह केंद्र सरकार मजदूर विरोधी है. तीन नया अध्यादेश लाकर खेती-किसानी को बरबाद करने की तैयारी है. यह सरकार किसानों और स्वयं सहायता समूह को दिए गए कर्ज माफ नहीं कर रही है, लेकिन बड़े-बड़े पूंजीपतियों का अरबों-खरबों रूपये का कर्ज माफ कर देती है. हिलसा विधानसभा क्षेत्र के पश्चिमी जोन का कन्वेंशन आयोजित कर 25 सदस्यीय चुनाव संचालन समिति का गठन किया गया है.
12 सितम्बर 2020 को बोचहां विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने की तैयारी करने हेतु नरौली चौक स्थित बाजार समिति सभागार में मुशहरी प्रखंड का प्रखंड स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन का आयोजित किया गया. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता व खेग्रामस के जिला अध्यक्ष का. रामनंदन पासवान ने कहा कि कोरोना महामारी और लाॅकडाउन से रोजी-रोटी का संकट चरम पर है और जान-माल खतरे में पड़ा हुआ है. लेकिन इसी बीच विधानसभा चुनाव कराया जा रहा है. जान-माल की रक्षा व रोजी-रोटी का सवाल चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनेगा. भारी तबाही से जूझ रहे गरीब-गुरबे व मजदूर-किसान मोदी-नीतीश के झांसे में नहीं आयेंगे.
माले जिला सचिव कृष्णमोहन ने कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा-जदयू को हराना और बिहार में वैकल्पिक सरकार बनाना हमारी पार्टी का मुख्य लक्ष्य है. हम सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनाव की तैयारी में जुटे हैं. बिहार की डबल इंजन की सरकार से आमलोग त्रस्त हैं. कोरोना महामारी को रोकने में नीतीश सरकार फेल हो गई है. मोदी व नीतीश के झांसे में जनता नहीं आयेगी.
कन्वेंशन का संचालन करते हुए प्रखंड सचिव शत्रुघ्न सहनी ने कहा कि बूथ को आधार बना कर गांव-पंचायतों में सघन जन संपर्क जारी है. रोजी-रोटी,10 हजार रुपये प्रति माह लाॅकडाउन जीवनयापन भत्ता व कर्ज माफी के मुद्दे पर 15 सितंबर 2020 को जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा. चुनाव को जनांदोलन में बदलने की तैयारी है.
कन्वेंशन को रसोईया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक, खेग्रामस के नेता वीरेन्द्र पासवान, ऐक्टू के अमोद पासवान, इंसाफ मंच के तैयब अंसारी, उमेश भारती, विश्वनाथ ठाकुर, राजेश साह, नरेश राय, उत्तम कुमार निराला, विकास रंजन सहित दर्जनों कार्यकत्ताओं ने संबोधित किया. कन्वेंशन में अच्छी संख्या में महिलाएं और युवाओं की भागीदारी थी.
क्षेत्र के विकास व नीतीश मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ भाकपा(माले) ने 8 सितंबर 2020 को औराई विधानसभा क्षेत्र के महरौली (अमनौर पंचायत) में पूरे जोशपूर्ण कार्यकर्ता कन्वेंशन आयोजित किया. कैसर इमाम की अध्यक्षता में हुए कार्यकर्ता कन्वेंशन को मुख्य अतिथि के बतौर संबोधित करते हुए इंसाफ मंच के नेता आफताब आलम ने स्थानीय विधायकों, सांसदों व राज्य सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि आजादी के 74 वर्षाें के बाद भी विधायकों, सांसदों व राज्य सरकार की अनदेखी के कारण औराई विधानसभा विकास से वंचित है. अमनौर पंचायत समेत औराई विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांव के लोग अपनी जान को हथेलियों पर लेकर चचरी पुल के सहारे आवागमन करने के लिए मजबूर हैं. विद्यालय भवनहीन है, सड़कें जर्जर हैं, बाढ़ के चपेट में आने से पूरा क्षेत्र प्रभावित हो जाता है. इसके बावजूद सरकार आंख बंद किए हुए है. आफताब आलम ने यह भी कहा कि औराई विधानसभा क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास ही भाकपा(माले) का लक्ष्य और सपना है. कन्वेंशन को कैसर इमाम, सुकेश पासवान, पंकज पासवान ने कहा कि भाकपा(माले) को औराई विधानसभा में चैतरफा समर्थन मिल रहा है.
वधानसभा क्षेत्र के अमनौर व अतरार पंचायत के 16 बूथों पर न्यूनतम 10 सदस्यों वाली बूथ कमिटियां बनाई गई हैं. कन्वेंशन में जकी रहमान, ललन पासवान, शम्श आलम, संजय पासवान, मौहम्मद सुहैल, मोहम्मद तौसीफ, आरज इमाम, अब्दुल खालिक, विनीत पासवान, मोकीमुद्दीन, मोहम्मद मुमताज आलम, आफताब आलम, मोहम्मद गुलाब आदि समेत सैकड़ों की संख्या में कार्यरत उपस्थित थे.
विगत 10 सितंबर 2020 को बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दलों से वार्ता के लिए गठित भाकपा(माले) की वार्ता कमिटी की बैठक के बाद का. भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के सदस्य का. धीरेन्द्र झा, पूर्व सांसद कारामेश्वर प्रसाद व वरिष्ठ नेता का. केडी यादव ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह चिंता जाहिर किया कि परिस्थिति की मांग और जनाकांक्षा के अनुरूप विपक्षी दलों के भीतर तालमेल को लेकर अपेक्षित गति अब तक नहीं आ सकी है, जिसके कारण जनता में गलत संदेश जा रहा है और पूरे बिहार में भाजपा-जदयू सरकार की जनविरोधी नीतियों की असफलताओं के खिलाफ जनता का जनता का चरम आक्रोश होने के बावजूद नीचे के स्तर पर सामाजिक-राजनीतिक व सांगठनिक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया को गति नहीं मिल रही है.
विपक्षी दलों के बीच तालमेल की अपारदर्शी व गतिरूद्ध प्रक्रिया नुकसानदेह साबित हो सकती है. विगत लोकसभा चुनाव के समय अपनायी गयी विलंबित और जटिल प्रक्रिया का नतीजा हम सबने देखा है. उस समय के आत्मघाती प्रयोग को दुहराने की कत्तई इजाजत नहीं दी जा सकती है. हमारी मांग है कि विपक्षी दलों के बीच तालमेल की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनाया जाए, उसमें सभी दलों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और उसका केंद्र दिल्ली की बजाए पटना को बनाया जाए.
बिहार में भाजपा के खिलाफ वैचारिक से लेकर जमीन पर चलने वाली लड़ाइयों में भाकपा(माले) और वामपंथी दल अगली कतार में हैं. भाजपा-जदयू सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ने वाली धारा के बतौर राजद के बाद सबसे बड़ा ब्लाॅक वामपंथ का है. इसलिए तालमेल की पूरी प्रक्रिया में वाम दलों को शामिल करना चाहिए और सीटों के तालमेल में उसकी अभिव्यक्ति भी होनी चाहिए.