रांची में संयुक्त ट्रेड यूनियनों और श्रमिक फेडरेशनों ने भारत पेट्रोलियम का निजीकरण के खिलाफ आहूत दो दिवसीय आम हड़ताल के समर्थन में 8 सितंबर 2020 को प्रदर्शन कर एकजुटता दिखाई. ऐक्टू, सीटू और ऐटक से जुड़े मजदूरों ने कांटा टोली के नील टावर के सामने स्थित बीपीसीएल के क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन किया. भारत पेट्रोलियम को निजी हाथों में बेचना बंद करो, अडानी-अंबानी की जागीर नहीं, ये हिंदुस्तान हमारा है, बीपीसीएल के कर्मचारी संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं – के जोरदार नारों के साथ बीपीसीएल क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य गेट को जाम कर कई घंटों तक प्रदर्शन जारी रहा. प्रदर्शन के माध्यम से बीपीसीएल क्षेत्रीय आयुक्त को एक सात सूत्री मांग पत्र सौंपा गया जिसकी एक प्रति भारत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को भी प्रेषित की गई.
प्रदर्शन और सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि सालाना आठ हजार करोड़ रूपये का मुनााफा देने वाली बीपीसीएल को निजी हाथों में देना देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती साबित होगा. सरकारी संपत्तियों को बेचना कहीं से देशहित और राष्ट्रवाद नहीं. देश के साथ गद्दारी है. देशव्यापी आम हड़ताल देश को बचाने का संघर्ष है. सीटू के प्रदेश महा सचिव प्रकाश विप्लोव ने कहा कि हम केंद्र की मोदी सरकार से मांग करते हैं कि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के बजाय मजदूर-कर्मचारियों और देश की सरकारी संपत्तियों को बचाने का फैसला ले. प्रदर्शन और सभा को ऐक्टू के प्रदेश सचिव भुवनेश्वर केवट, जगरनाथ उरांव, भीम साहू, राम कुमार लोहरा, इनामुल हक, सीमा कोरिया, सरिता तिग्गा व प्रकाश उरांव, सीटू के एमएल सिंह व अनिर्वाण बोस और ऐटक के सच्चिदानंद मिश्रा आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया.
बीपीसीएल कर्मियों का शुरू हुए 2 दिवसीय हड़ताल व मांगो के समर्थन में एकजुटता जाहिर करते हुए ऐक्टू सहित अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 7 सितंबर 2020 को पटना के डाकबंगला चौराहा पर प्रतिवाद प्रदर्शन किया.
ऐक्टू, सीटू, एटक, एआईयूटीयूसी, यूटीयूसी, एआईए के नेताओं -- आरएन ठाकुर, रणविजय कुमार, शशि यादव, गणेश शंकर सिंह, दीपक भट्टाचार्य, गजनफर नवाब, सूर्यकर जितेंद्र, अनामिका, वीरेंद्र शर्मा, नृपेन कृष्ण महतो आदि के नेतृत्व में हुए एकजुटता प्रतिवाद कार्यक्रम का समापन एक संक्षिप्त सभा से हुई.
नेताओं ने मोदी सरकार पर आत्मनिर्भरता के नाम पर लाॅकडाउन की आड़ में बीपीसीएल जैसी कम्पनियों को निजीकरण के रास्ते बेचे जाने का विरोध किया. नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार कोरोना संकट को अडानी-अंबानी जैसे देशी-विदेशी काॅरपोरेटों के हाथों देश बेचने और कम्पनियों को नीलाम कर लोगों को बड़ी संख्या में बेरोजगार बनाने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल कर रही है.
सीएसडब्ल्यू ने बीपीसीएल की जारी दो दिवसीय हड़ताल के मौके पर एकजुटता दर्शाते हुए बोकारो (झारखंड) में भारत पेट्रोलियम पंप नया मोड़ पर प्रदर्शन किया.
वक्ताओं ने कहा कि सरकार बीपीसीएल को बेचना चाह रही है जिसके पास 1997 पेट्रोल पंप हैं और 33 मिलियन टन कच्चे तेल के शोधन क्षमता है. इसने पिछले पांच सालों में 35,182 करोड़ रुपया लाभ अर्जित कर सरकार को 19, 630 करोड़ रुपयों का टैक्स दिया है. बाजार में इस कंपनी की पूंजी 1 लाख करोड़ रुपये हैं. सरकार इसे बेचकर अनुमानतः 60 से 70 हजार करोड़ रुपये प्राप्त करेगी. सीएसडब्ल्यू बीपीसीएल के कर्मचारियों की दो दिवसीय हडताल का समर्थन करते हुए सरकार से यह मांग करता है कि वह नीजिकरण का पफैसला वापस ले.
इस मौके पर देवदीप सिंह दिवाकर, जेएन सिंह, एसएन प्रसाद, लोकनाथ सिंह, केएन प्रसाद, आरपी वर्मा, आरपी भगत, प्यारेलाल, सीपी सिंह, केडी पंडित, सूरज सिंह, एमपी भक्ता, डीएल राम, आरबी चौधरी, एसजी के सिंहा, महाबीर मंडल, आरके राय, डीडी प्रसाद आदि उपस्थित रहे.