महामारी में परीक्षा न कराने और छात्रों के कमरे का किराया माफ करने के लिए आइसा ने इलाहाबाद में 27 जुलाई को कोरोना एहतियात का पालन करते हुए संगठन के जिला कार्यालय पर प्रदर्शन आयोजित किया. आइसा राज्य अध्यक्ष शैलेश पासवान ने बलिया में मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने जा रहे छात्रा नेताओं पर पुलिस लाठी चार्ज की निंदा की. उन्होंने कहा कि भारत विश्व का तीसरा सर्वाधिक कोरोना मरीजों वाला देश बन चुका है. ऐसे हालात में भी छात्रों की परीक्षा कराये जाने का निर्णय छात्र-कर्मचारियों को मौत के मुंह धकेलने जैसा है. उन्होंने मांग की कि कोरोना महामारी के दौर में छात्रों से जबरन किराया वसूली करने वाले मकान मालिकों पर कानून बनाकर रोक लगाई जाए. कानपुर, मेरठ, झांसी, फैजाबाद व इलाहाबाद समेत कृषि विश्वविद्यालयों में फीस वृद्धि वापस ली जाए व सभी छात्रों की महामारी में परीक्षा रद्द की जाए. डाॅक्टर कफील और सीएए-विरोधी आंदोलनकारियों समेत सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सरकार रिहा करे. प्रदर्शन में शामिल सुमित गौतम, प्रदीप ओबामा, अनिरुद्ध शर्मा समेत सभी ने कहा कि 6 और 7 जुलाई को गृह मंत्रालय व यूजीसी द्वारा परीक्षा कराये जाने की अधिसूचना निरस्त कर परीक्षाएं रद्द नहीं की जाती हैं, तो आइसा सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर होगा.