आइसा और आरवाइए ने 9 जुलाई 2020 को रेल के निजीकरण और पदों में कटौती के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाया.
इंनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल ने इस मौके पर आरा रेलवे स्टेशन के समक्ष जमा आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए 150 प्राइवेट ट्रेनें चलाने व 50 प्रतिशत पदों को खत्म करने की मंजूरी को देश की रीढ़ पर हमला बताया. इलाहाबाद सहित कई जगह आरपीएफ जवानों ने जबरदस्ती आंदोलनकारियों को हटाने की कोशिश की जिसके चलते आंदोलनकारियों की उनसे झड़प भी हुई.
इलाहाबाद के विरोध-प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के आइसा अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा कि मजदूर-कर्मचारियों के खून पसीने से खड़ी की गई रेलवे को अब पूंजीपतियों के हाथों में बेचा जाना देश की रीढ़ पर बड़ा हमला है. सरकार महामारी को अवसर बनाकर मजदूर-कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनकर उन्हें पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है.
पर छात्र-युवा कत्तई ऐसा नहीं होने देंगें. इस प्रदर्शन में न्याय मोर्चा के जिला संयोजक सुमित गौतम समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया. आइसा-इंनौस ने मांग की कि रेल के निजीकरण और पदों में कटौती के कदमों को वापस लेकर रेलवे में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए सरकार कदम उठाए.
इस मौके पर इलाहाबाद में इंडियन रेलवे एम्प्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. कमल उसरी, इंनौस के प्रदीप ओबामा, आइसा के मोनिस रहमानी, अनिरुद्ध शर्मा आदि शामिल रहे. सभा का संचालन आइसा के शक्ति रजवार ने किया.