गाजीपुर में बन रही मऊ-ताड़ीघाट नई रेल लाइन परियोजना में जबरिया भूमि अधिग्रहण के खिलाफ शुरू से ही किसान आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार दमन पर उतारू है. अक्टूबर 2018 से लगातार धरना चल रहा था, लेकिन अब लाॅकडाउन में रुक गया है.
लाॅकडाउन की आड़ में प्रशासन जबरिया काम करना चाह रहा है. प्रशासन लगातार धमकी दे रहा है. इसके खिलाफ किसानों में भी सुगबुगाहट है. 15 जुलाई को किसानों ने अपनी आवाज बुलंद करने और आगे की रणनीति के लिए सुखदेव पुर मंदिर पर इकट्ठा हो कर प्रदर्शन किया और धरना दिया.
किसानों का कहना है कि वे लोग शुरू से 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मुआवजे की मांग कर रहे हैं. लेकिन शुरू से हम लोगों के साथ छल-कपट किया जा रहा है. हम गरीब किसानों को अदालती कार्रवाई में फंसा दिया गया. और आज इतने लंबे समय बाद भी आरबिट्रेशन का फैसला नहीं हुआ. किसानों का कहना है कि हम लोग विकास विरोधी नहीं हैं. लेकिन प्रशासन गुंडागर्दी पर उतारू है.
धरने को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि अब इस आंदोलन का निर्णायक दौर है. हम लोगों ने लगातार 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून की बात की, लेकिन प्रशासन ने लाठी डंडे की भाषा बोली और किसानों को तबाह करने की दिशा ली.
का. कुशवाहा ने कहा कि अब भी समय है, सरकार और प्रशासन कानून के मुताबिक जमीन का मुआवजा तय करे, अन्यथा किसान लाठी, गोली, जेल का डटकर मुकाबला करेंगे.
इस धरने में प्रख्यात लेखक एवं बुद्धिजीवी राम अवतार, किसान महासभा के जिला उपाध्यक्ष प्रमोद कुशवाहा, रामाशीष सिंह, योगेन्द्र भारती, प्रभावित किसान गंगा सागर कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, दीनानाथ, शंभूनाथ मौर्य, किसान नेता अवधेश बिंद, शिव कुमार मौर्य, संदीप विश्वकर्मा, खरपत्तू कुशवाहा आदि अनेक लोग मौजूद रहे.