लाॅकडाउन के दौरान वाम दलों, श्रमिक संगठनों के नेताओं और नागरिक समुदाय के कई लोगों पर कोतवाली थाना प्रशासन द्वारा थोपे मुकदमे के सिलसिले में 11 जून को इन संगठनों से जुड़े नेताओं के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के गृहसचिव व डीजपी से मुलाकात की और मुकदमों को वापस लेने की मांग की.
प्रतिनिधिमंडल में भाकपा(माले) की राज्य कमेटी के सदस्य व तरारी से विधायक सुदामा प्रसाद, सीपीआई के राज्य सचिवमंडल के सदस्य विजय नारायण मिश्र, सीपीआई(एम) के राज्य सचिव मंडल की सदस्य रामपरी, ‘भोजन का अधिकार अभियान’ के समन्वयक ट्टत्विज और भाकपा(माले) के राज्य कमेटी सदस्य सह ऐक्टू के बिहार राज्य सह सचिव रणविजय कुमार शामिल थे.
प्रतिनिधिमंडल ने गृहसचिव और डीजीपी से कहा कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन तथा काम के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए जाने के खिलाफ विगत 22 मई को देशव्यापी आह्वान पर पटना में भी प्रतिवाद हुआ था, लेकिन मसले की संवेदनशीलता को समझने की बजाय कोतवाली थाना ने माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, ऐटक के महासचिव गजनफर नवाब, ऐक्टू के बिहार महासचिव आरएन ठाकुर, सीटू नेता गणेश शंकर सिंह, टीयूसीसी के नेता अनिल शर्मा, ऐटक के अध्यक्ष अजय कुमार सहित 100 अज्ञात लोगों पर मुकदमा (केस नंबर 229/20, दिनांक 22. 5. 2020) थोप दिया.
इसी प्रकार 3 जून को सीएए-विरोधी राष्ट्रव्यापी आंदोलन के कार्यकर्ताओं की लाॅकडाउन की आड़ में अलोकतांत्रिक तरीके से हुई गिरफ्तारी के खिलाफ बुद्ध स्मृति पार्क के पास नागरिक समुदाय के लोगों ने शारीरिक दूरी व कोरोना से बचाव के उपायों का पालन करते हुए प्रदर्शन किया. उस दिन भी कोतवाली थाना ने ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, वरिष्ठ माले नेता केडी यादव, सीपीआई(एम) के केंद्रीय कमिटी सदस्य अरुण मिश्रा, सीपीआई की निवेदिता, एआईपीएफ के मो. गालिब, ‘भोजन का अधिकार अभियान’ के रूपेश कुमार, इनौस नेता विनय कुमार, महिला नेता रीना प्रसाद, अनुराधा देवी, दिव्या गौतम, संजय कुमार, सिस्टर लीमा, पंकज कुमार, राहुल कुमार, गणेश शंकर, मोना झा, देवेन्द्र चौरसिया सहित कई लोगों पर मुकदमा (केस संख्या 247/20, दिनांक 03. 6. 20) दर्ज कर दिया.
प्रतिनिधिमंडल ने दोनों मुकदमों की वापसी की मांग की. गृह सचिव व डिजीपी ने सकारात्मक आश्वासन दिया.