वर्ष - 29
अंक - 25
13-06-2020

भाकपा(माले) की गड़हनी प्रखंड कमिटी के नेतृत्व में कुरकुरी पंचायत के दुलारपुर गांव में लंबी लड़ाई के बाद मनरेगा मजदूरों ने जीत हासिल की और मनरेगा के तहत काम हासिल किया. खेग्रामस के नेता और भोजपुर के लोकप्रिय नेता रामछपित राम के नेतृत्व में माले नेताओं ने इस आंदोलन का संचालन किया.

21 मई को दुलारपुर आहर में जेसीबी मशीन लगाकर नहर की खुदाई का काम आरंभ हुआ था. माले नेताओं ने इसका विरोध किया और सैकड़ों की संख्या में मनरेगा मजदूरों के साथ नहर पर पहुंचकर उन्होंने जेसीबी से किए जा रहे कार्य को रोक दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह का काम जेसीबी से करवाना मजदूरों के पेट पर लात मारना है. इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. लगातार 36 घंटे तक आंदोलनकारी जमे रहे. तब जाकर नहर डिपार्टमेंट के एसडीओ पहुंचे. उन्होंने कहा कि यह मनरेगा का काम नहीं, बल्कि नहर डिपार्टमेंट का काम है. इसलिए इसे जेसीबी से ही करवाया जाएगा. माले नेताओं ने उनके इस बयान का घोर विरोध किया और कहा कि अभी किसी भी विभाग का काम हो, वह मनरेगा मजदूरों से ही करवाना होगा. आंदोलनकारियों का कड़ा रुख देखकर आखिरकार प्रशासन पीछे हटा. एसडीओ ने किसी दूसरी खाली जगह के बारे में बताने को कहा, जहां मनरेगा मजदूरों को काम दिया जा सके. कुरकरी आहर का दूसरा साइड खाली था. माले नेताओं ने उसमें मनरेगा मजदूरों के लिए काम की मांग की. दबाव में एसडीओ सहमत हुआ. उसका टेंडर हुआ और 150 मनरेगा मजदूरों का कार्ड बना और 3 जून से कार्य आरंभ हो गया.

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लेकिन जब मनरेगा मजदूरों ने 3 जून को काम आरंभ किया तो एक बार फिर से रोजगार सेवक साइड पर पहुंचकर कार्य को बाधित करने लगे. इसका जोरदार प्रतिवाद किया गया. घटना की जानकारी मिलते ही माले की केंद्रीय कमेटी के सदस्य मनोज मंजिल और गड़हनी प्रखंड सचिव नवीन कुमार घटनास्थल पर पहुंच गए. आंदोलन के दबाव में रोजगार सेवक को पीछे हटना पड़ा. मनरेगा मजदूरों के दबाव में जद(यू) समर्थित मुखिया को भी मजदूरों के पक्ष में खड़ा होना पड़ा और फिर 3 जून से काम आरंभ करने पर सहमति बन गई.

3 जून को रोजगार सेवक के साथ वार्ता में माले नेताओं ने कुछेक प्रमुख बिन्दुओं को उठाया, जिसे रोजगार सेवक को मानना पड़ा. इसमें यह फैसला हुआ कि बच्चे वाली महिलाओं के बच्चे की देखभाल के लिए अलग से मजदूर की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें भी मनरेगा के समान मजदूरी दी जाएगी. बच्चों के खाने-पीने का प्रबंध करना होगा और छाया व आराम के लिए टेंट की व्यवस्था करनी होगी. 3 जून का काम बाधित होने के बावजूद 100 से ज्यादा मनरेगा मजदूरों को मजदूरी दी गई. इस प्रकार मनरेगा मजदूरों ने इस लड़ाई में जीत हासिल की. इस आंदोलन में रामछपित राम के अलावा इनौस के ब्लाॅक सचिव सोनू सहनी, युवा नेता धनकिशोर, हरिनारायण, धीरन्द्र साह आदि शामिल रहे.