कोरोना महामारी के कारण चल रहे लाॅकडाउन की आड़ में भाजपा सरकार द्वारा छात्रों-कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के विरोध में 25 अप्रैल को देश भर के छात्रों-युवाओं ने विरोध जताया! इस दौरान लोगों ने लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुए अपने-अपने घर से ही इस प्रतिरोध में हिस्सा लिया. पूरे दिन सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफाॅर्म पर #FightCoronaNotActivists के साथ छात्रों-कार्यकर्ताओं पर सरकार द्वारा लगाये गए यूएपीए को वापस लेने की मांग चलती रही!
इस प्रतिरोध का संयोजन ‘यंग इंडिया अगेंस्ट सीएए-एनआरसी-एनपीआर’ ने की थी। असम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, झारखंड, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु के विभिन्न जिलों और स्थानों के छात्र-युवा इस आह्वान में शामिल रहे. एक-दूसरे के साथ शामिल हुए, इसमें आइसा, आरवाईए, जेएनयू छात्रसंघ समेत विभिन्न छात्र-युवा संगठनों, नागरिक समाज, बुद्धिजीवी समुदाय तथा शिक्षकों ने भाग लिया. गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी, जेएनयूएसयू की वर्तमान अध्यक्षा आइशी घोष, महासचिव सतीश चंद्र यादव, डिब्रूगढ़ छात्र संघ महासचिव राहुल छेत्री जैसे कई लोगों ने इसमें भागीदारी की.
फर्जी आधार पर सरकार ने पहले अखिल गोगोई, आनंद तेलतुम्बडे और गौतम नवलखा जैसे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. अब वे छात्रों और छात्र नेताओं को निशाना बना रहे हैं. अब सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन करने के कारण जामिया के दो छात्र मीरान हैदर और सफूरा जरगर तथा जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को यूएपीए के आरोपों को फंसाया गया है. कई अन्य छात्रों को पूछताछ के नाम पर पुलिस द्वारा डराया जा रहा है.
यह शर्मनाक है कि जब लाॅकडाउन में भारत की गरीब जनता भोजन, राशन और पैसे के बिना भूख से मर रही है, डाॅक्टर- स्वास्थ्यकर्मी बिना सुरक्षा उपकरण के काम करने को विवश हैं, करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया है, देश की पहले से बदहाल अर्थव्यवस्था और बदतर होती जा रही है, हमारी जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना जैसे संकट के सामने विवश है – ऐसे में मोदी सरकार इस मानवीय संकट से जूझने और इसे नियंत्रित करने के बजाय विरोध की हर आवाज को कुचलने में ज्यादा तत्पर दिख रही है.
सीएए-एनआरसी और एनपीआर का विरोध दरअसल इस देश के संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष है. इसके कारण अगर किसी पर भो कोई कार्रवाई होती है तो यह इस देश के लोकतंत्र और हमारे नागरिक अधिकारों पर एक तानाशाह हमला है. और इसलिए इसके विरोध में छात्रों-नौजवानों की एकजुटता बेहद जरूरी है.