एक महीने से जारी लाॅकडाउन ने भोजपुर जिले के खननी खुर्द गांव के भूमिहीन-गरीब दलित परिवारों को भूखों मरने की राह पर धकेल दिया तो वे अनिश्चितकालीन धरना देकर राशन की मांग करने को विवश हो गए.
गांव के गरीबों की भूखमरी की स्थिति का पता चलने पर भाकपा(माले) उनकी मदद को सामने आई. गांव के दलित नौजवानों ने बताया कि एक माह से जारी लाॅकडाउन ने गरीब परिवारों के सामने भोजन का गंभीर संकट पैदा कर दिया है. जांच-पड़ताल करने पर पता चला कि इस गांव में चमार जाति के कुल 60 परिवारों में 20 परिवारों को राशन कार्ड नही मिला है. पासवान जाति के भी जो 20 परिवार हैं उनमें 5 परिवार को राशन कार्ड नहीं है. साव (कानू) जाति के 100 परिवारों में 2 और यादव जाति के 150 परिवारों में 32 परिवार के पास का राशन कार्ड नही है. 8 ब्राह्मण जाति परिवारों में 3 परिवारों को राशन कार्ड नहीं है. जबकि, ये सभी परिवार राशन कार्ड के वास्तविक हकदार हैं.
कोरोना महामारी की आड़ में पुलिस-प्रशासन ने लोगों पर आने-जाने समेत हर तरह की पाबंदिया पुलिस थोप रखी है. लोगों को अपने ही घरों में नजरबंद कर दिया गया है और काम-धंधे की सख्त मनाही है. लेकिन एसे में लोग खायेंगे क्या? इसका जवाब लाठी-डंडों से दिया जा रहा है. गांव के लोग 20 अप्रैल को स्थानीय डिलर के पास यह मांग लेकर पहुंचे थे कि संकट की इस घड़ी में सबको फ्री राशन मिलना चाहिए चाहे वे कार्डधारी हों या बिना कार्ड वाले तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. हालांकि बाद में उनहें छोड़ दिया गया. लोगों को यह आश्वासन दिया गया कि एसडीओ से बात कर इस मामले का हल निकाला जाएगा. अगली सुबह जब एसडीओ से बात हुई तो उन्होंने सीओ को जांच कर रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी दी. लेकिन लेकिन सीओ गांव में नहीं गए. सीओ व एसडीओ ने अपना मोबाईल भी बंद कर दिया.
अंततः सीओ को पत्र भेजकर 24 अप्रैल को धरना देने की सूचना दी गई. धरना पर बैठने के बाद थाना प्रभारी वहां पहुंचे और प्रखंड कार्यालय का एक कर्मचारी भी. थानाध्यक्ष धरना जारी रखने का बोल कर चले गए. 25 अप्रैल की शाम सीओ व थाना प्रभारी तथा पार्टी नेताओं – पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह, विधायक सुदामा प्रसाद, संजय आदि की मौजूदगी में 34 कार्डधारी और कार्डविहीन परिवारों को दो महीने का मुफ्त राशन देने तथा सभी कार्डविहीन गरीब परिवारों का राशन कार्ड बनाने के समझौते के साथ धरना समाप्त हुआ. बिहार में घोषणा के बावजूद बिना कार्ड वाले को राशन नहीं देने के तथा डीलर की मनमानी व धांधली के खिलाफ ऐसा आक्रोश हर जगह दिख रहा है.