वर्ष - 29
अंक - 16
11-04-2020

भोजपुर: संकट से उबरने की कोशिशें

20 मार्च से जिले में कोरोना रोको-जनसंकल्प अभियान चलाने की योजना बनाई गई. सभी प्रखंडों में बड़े- बड़े बैनर टांगे गये तथा सभी गरीबों के मुहल्ले में साबुन वितरण करने और जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया. सभी प्रखंडों में यह अभियान शुरू हो गया था. कुछ पंचायतों में साबुन का वितरण भी किया गया. तब तक पुरे देश में लाॅक डाउन हो गया.

तेज हुआ हमारा राहत अभियान – लाॅक डाउन के बाद गरीबों के मुहल्लों, खासकर मुसहर टोली में भूखमरी को देखते हुए अनाज वितरण करने व प्रशासन पर दबाव बना कर राशन दिलवाने की कोशिश शुरू की गई. अपने प्रयास से भी राहत कार्य हुआ. सभी प्रखंडों में बीपीएल सूची से बाहर के लोगों की सूची बनाई जा रही है. तरारी प्रखंड के पनवारी गांव में पार्टी के स्थानीय साथियों के प्रयास से सात सौ परिवार को 3 किलो चावल और 1 किलो आलू दिया गया. इसके अलावा 12 पंचायतों के 1494 परिवारों की सूची अंचलाधिकारी को देकर उनको राशन व राहत सामग्री पहुंचाने की मांग की गई. संदेश बाजार पर अति गरीब 30 परिवारों को 5-5 किलो चावल और आटा दिलवाया गया. उदवंतनगर के छोटी सासाराम पंचायत में मुसहर टोले के 62 परिवारों को 10-10 किलो चावल दिया गया. कारीसाथ मुसहर टोली में 62 परिवारों को 10 किलो गेहूं, 5 किलो चावल तथा 1 किलो दाल दिया गया. मसाढ गांव में मुखिया और पैक्स अध्यक्ष के जरिए 82 परिवारों को जिनमें अधिकांश मुसहर जाति के लोग थे 5 किलो चावल, 5 किलो गेहूं, 1 किलो दाल और 1 साबुन दिलवाया गया.

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गड़हनी प्रखंड के गड़हनी में शाहीन बाग, इंसाफ मंच और आरवाईए के साथियों के संयुक्त प्रयास से 418 गरीब परिवारों के बीच 5 किलो चावल, आधा किलो दाल, डेढ़ किलो आलू, 200 ग्राम सरसों तेल, आधा किलो प्याज, आधा किलो नमक, दो साबुन तथा हरी मिर्च का वितरण किया गया. काउप पंचायत में 80 परिवारों के बीच 5 किलो चावल और 1 किलो दाल का वितरण किया गया. इचरी में 70 परिवारों तथा कुरकुरी में 80 परिवारों के बीच 5-5 किलो चावल का वितरण किया गया. इसके अलावा 3500 परिवारों को साबुन भी दिया. जगदीशपुर नगर पंचायत में स्थानीय नेता व अधिवक्ता का. बृंदानंद सिंह यादव के प्रयास से 300 परिवारों जिनमें ज्यादातर महादलित परिवार हैं, 5-5 किलो चावल व आटा तथा डेढ-डेढ़ किलो आलू का वितरण किया गया. इसके अलावा पूरे प्रखंड में 6300 घरों में साबुन का वितरण किया गया. संदेश प्रखंड के 57 परिवारों को प्रशासन की ओर से 5 किलो चावल, 5 किलो आटा, 1 किलो दाल, 2किलो चुडा, 1 किलो गुड़, 1 किलो चीनी, 2 किलो आलू व प्याज, 1 किलो नमक तथा आधा किलो सरसो तेल दिलवाया गया.

आरा नगर के जवाहर टोला मुसहर टोली के 35 परिवारों के बीच प्रति परिवार 8 किलो चावल और2 किलो आटा वितरित किया गया. आइसा के साथियों द्वारा चंदवा मुसहर टोली के 150 परिवारों के बीच प्रति परिवार 5 किलो चावल, आटा, आलू, साबुन वितरित किया गया. कोईलवर में नगर पंचायत के अध्यक्ष पर दबाव बना कर 90 परिवारों को 5-5 किलो आटा दिलवाया गया व 33 परिवारों को पार्टी कमिटी की ओर से दस-दस किलो गेहूं दिया गया.

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इसके अलावा सभी प्रखंडों में दलित मुहल्ले में साबुन का वितरण किया जा रहा है. वैसे लोगों की सूची भी तैयार की जा रही है जिनका बीपीएल सूची में नाम नहीं है और उन्हें राशन दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है. पिछले दिनों आरा के बहिरो में का. रामनरेश राम के नाम से एक सामुदायिक रसोई की शुरूआत की गई है जहां जरूरतमंद लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. स्थानीय पार्टी कमेटी मददगारों के सहयोग से इसका संचालन कर रही है.

सामंती-सांप्रदायिक हमले बढ़े – पुलिस द्वारा उत्पीड़न की घटना सामने नहीं आई है. किन्तु, 5 अप्रैल की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आहूत ब्लैक आउट व दीया जलाने के कार्यक्रम के दौरान ही तरारी प्रखंड के सारा मुसहर टोली में छः लोगों को अपराधियों के द्वारा गोली मारकर घायल कर देने की घटना हुई. सहार और आरा नगर के धरहरा व पकड़ी में अफवाह फैलाकर मुस्लिम समुदाय के लोगों प्रताड़ित करने की घटनायें भी सामने आईं. भाजपाइयों द्वारा पांच अप्रैल को रात कारीसाथ गांव की मस्जिद में ईंट फेंकने की घटना हुई. पुलिस को तुरंत इसकी सूचना दी गई. डीएसपी द्वारा वहां पहुंचकर अपराधियों को डांट-डपट करने के बाद वे पीछे हटे. तरारी के चकिया में भी एक झूठी अपफवाह फैलाई गई कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भैंस के एक बच्चे की गर्दन काटकर उसे मिट्टी में गाड़ दिया है. जबकि सच्चाई यह थी कि वह रजमलडीह गांव के गड्ढे गिर गया था और गांव के लोगों द्वारा निकाले जाने के बावजूद अगले दिन जब वह मर गया तो उसके मालिक निकी सिंह ने स्वयं उसे दफना दिया था. गलत सूचना देने के आरोप में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

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अरवल: सांप्रदायिक साजिश तेज हुई

पहले 22 मार्च 2020 को एक दिनों और उसके बाद 14 अप्रैल तक की लाॅक डाउन की घोषणा ने प्रवासी मजदूरों के लिए परेशानी खड़ी कर दी. इधर ग्रामीण क्षेत्रों में भी वैसे गरीबों की हालत खराब होने लगी है जो दिहाड़ी मजदूरी पर जिंदा रहते हैं. कई गांवों में विधवाओं, वृद्धों व लाचार लोगों की स्थिति भयावह होती जा रही है. सरकार की तरफ से लोगों को राहत पहुंचाने की अभी तक किसी तरह का पहल नही की गई है.

राशन कार्ड विहीन गरीबों के लिए हमारा संघर्ष - पिछले कई वर्षों से नए राशन कार्ड बनाने के बजाय भारी पैमाने पर राशन कार्ड की कटौती की गई है. 2017 में नए कार्ड के लिए अरवल जिले में लगभग एक लाख से ज्यादा आवेदन दिए गए थे. इनमें से मंत्री 5000 लोगों ही राशन कार्ड बनाया गया और शेष को रद्द कर दिया गया. सरकारी आदेश के अनुसार अब रद्द किए गए आवेदनों पर पुनर्विचार करने और उसी में से राशन कार्ड बनाने की बात कही गई हैनए राशन कार्ड भी लोगों को नहीं मिले.

नगर परिषद क्षेत्रों में भारी पैमाने पर राशन कार्ड की कटौती की गई है. अरवल के वार्ड संख्या 5 में करीब 200 गरीबों के राशन कार्ड की कटौती की गई है. इसमें ज्यादातर दलित-पिछड़े लोग ही शामिल हैं. जनकपुर धाम डोम टोली में भी राशन कार्ड की कटौती की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी आंख मूंदकर व भारी पैमाने पर राशन कार्ड की कटौती की गई है. गरीबों की बड़ी आबादी राशन कार्ड के अभाव में इस सुविधा से वंचित हो गई है. साथ ही, कई गांवों में मार्च महीने का राशन दिया भी नहीं गया है. संकट की इस घड़ी में पहले से ही लचर व भ्रष्ट व्यवस्था के दुरुस्त होने की उम्मीद कम ही है. भाकपा(माले) की ओर से डीलरों पर कार्डधारियों को राशन देने के लिए दबाव बना कर राशन वितरण करवाया गया. लेकिन अभी तक किसी को भी निःशुल्क राशन नहीं मिला है.

सरकार के तरफ से राशन कार्ड विहीन गरीबों के लिए अभी तक अनाज नहीं आया है. केवल वैसे गरीबों के लिए आधार कार्ड और बैंक खाता नंबर मांगा गया है. यह काम भी बहुत ही अपारदर्शी तरीके से और बिचैलियों के जरिए हो रहा है. कुछ लोगों से आधार कार्ड व बैंक खाते की मांग की गई है. लेकिन, निचले स्तर के कर्मचारियों ने यह सूची अभी तक जमा नहीं की है.

गांवों में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा जरूरतमंद व कार्ड विहीन गरीबों की सूची तैयार की जा रही है. इसे सरकारी अधिकारियों को सौंपते हुए उनको राशन एवं अन्य सुविधाएं देने का दबाव बनाया जाएगा. अरवल प्रखंड के खभैनी पंचायत के आकोपुर गांव में 8 परिवारों के समक्ष भोजन का संकट था. खबर मिलते ही पार्टी राज्य कमेटी सदस्य का. रविंद्र यादव, खभैनी मुखिया के मुखिया का. विजय पासवान एवं कार्यकर्ता काबादशाह प्रसाद ने चावल, दाल, आलू, मसाला, तेल व अन्य सामान इकट्ठा किया और उन परिवारों तक पहुंचाया. काउमर अंसारी द्वारा प्रसादी इंग्लिश में अपने मुहल्ले के संकटग्रस्त परिवारों के लिए राशन, आलू, दाल, मसाला व तेल की व्यवस्था की गई. कलेर के जलवैया चौकी में छः मांझी परिवारों के बीच का. जितेंद्र यादव द्वारा चावल, आलू, मसाला, तेल और दाल का वितरण किया गया. चैरम गांव में 4 परिवारों के पास खाने को कुछ भी नहीं था. का. राहुल कुमार के नेतृत्व में चावल, गेहूं, दाल, मसाला, आलू एवं तेल का वितरण किया गया. जिन गांवों में इस तरह की समस्या आ रही है स्थानीय डीलर पर दबाव बनाकर उन्हें राशन दिलवाया जा रहा है.

सांप्रदायिक साजिशों का मुकाबला – एक साजिश के तहत तबलीगी जमात पर कोरोना बीमारी को फैलाने के अफवाह और प्रचार के जरिए मोदी मीडिया और भाजपाई सामंती ताकतें लोग गांव-गांव तक सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की साजिश कर रही हैं. कुछेक जगहों पर मुस्लिम परिवारों को प्रताड़ित भी किये जाने की खबर है. 6 अप्रैल 2020 को अरवल से सटे महुआरी टांड़ी गांव में एक युवक-युवती के बीच प्रेम संबंध को लेकर विवाद पैदा किया गया और मारपीट की गई. इससे दोनों सम्प्रदायों के बीच से तनाव पैदा हो गया. पुलिस की पहलकदमी से यह मामला शांत हुआ. मुस्लिम समुदाय की लड़की और कुशवाहा जाति के लड़के के बीच प्रेम प्रसंग के इस मामले को संघ-भाजपा समर्थक 5 अप्रैल को बत्ती नहीं बुझाने और कैंडल नहीं जलाने के विवाद से जोड़ कर दुष्प्रचार चला रहे हैं. वे कह रहे हैं कि मुस्लिम समुदाय के बीच तबलीगी जमात के कुछ लोग छुपे हुए हैं. पुलिस पर दबाव बनाया गया है कि वह मुस्लिम समुदाय के निर्दोष लोगों को मुकदमे में नहीं फंसाए.

6 अप्रैल 2020 की शाम में कलेर प्रखंड के मूसेपुर गांव में भी साम्प्रदायिक तनाव पैदा कर दिया गया. वहां बरसों से मदरसा में अजान देने की परंपरा रही है. यादव, अति पिछड़ा व दलित समुदाय के कुछ लोगों द्वारा पिछले कुछ दिनों से उनको अजान देने से रोका जा रहा था. उस दिन अजान देने गए मोमुर्शीद, जुबेर एवं इरफान के साथ मारपीट की गई. फिर दोनों ही समुदाय के लोगों की भीड़ जुट गई और तनाव का माहौल बन गया. पार्टी नेता का. जितेन्द्र यादव की पहलकदमी व पुलिस के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ. दोनों ही तरफ के लोग गरीब लोग हैं. हिन्दुओं से सामंती ताकतों व संघ-भाजपा के बहकावे में नहीं आने और दोनों ही सुमदाय के लोगों से लाॅकडाउन के संकट के दौरान एकजुट रहने तथा भूखमरी व अन्य सवालों से मिलजुल कर जूझने की अपील की गई.

परासी बाजार डाॅ. कयामुद्दीन अंसारी की बेटी पराना परवीन मकदुमाबाद में शिक्षक हैं. उसकी शादी तरार (दाउदनगर, औरंगाबाद) में हुई है और पति जो इंजीनियर हैं, दिल्ली में रहते हैं. वे होली के बाद 12 मार्च को दिल्ली से तरार लौटीं और फिर अपने पिता डा. अंसारी के घर आईंजिले में पहली मार्च के बाद दिल्ली से आने वाले लोगों की जांच की जा रही है और उनको मेडिकल निगरानी में रखा जा रहा है. परवीन का भी मेडिकल चेकअप हुआ है और वे हमेशा सरकारी अधिकारियों के संपर्क में रह रही हैं. लेकिन इसी बीच कुछ लोगों ने उनके तबलीगी मरकज जमात से लौटने का झूठा प्रचार फैलाकर गांव में दहशत पैदा करने की कोशिशें शुरू दी. भाकपा(माले) की ओर से पहल लेकर लोगों के बीच फैलायी जा रही अफवाहों का खंडन किया गया और सही बात बताई गई.

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जिले में आइसोलेशन कैम्प - खभैनी पंचायत के विभिन्न गांवों के मजदूर बाहर रहते हैं और अभी घर लौटे हैं. ऐसे मजदूरों की कुल संख्या 19 है. यहां आए मजदूरों को आइसोलेशन कैंप (खभैनी स्कूल) में रखा गया है. इनमें खभैनी गांव के भी 10 मजदूर हैं जो यादव जाति से आते हैंपंचायत के मुखिया व पार्टी नेता का. विजय पासवान की ओर से उन्हें राशन व अन्य सामग्री दिए जाने के बावजूद वे विरोधी होने की वजह से हो-हल्ला करते रहे. अपना राशन वे वहां के चौकीदार और अन्य असामाजिक तत्वों के जरिए अपने घर भेज देते थे और सरकारी अधिकारियों से राशन न मिलने की शिकायत करते थे. वे खुद भी रात में अपने घर चले जाते थे. इधर व्यवस्था करने वाले लोग परेशान थेमुखिया का. विजय पासवान ने डीएम और बीडीओ से साफ तौर पर कह दिया कि ऐसे लोगों की देखरेख हम करना संभव नहीं है क्योंकि इसमें झगड़े की संभावना है. इस शिकायत के बाद थाना प्रभारी और बीडीओ ने आकर मामले को हल किया. मुखिया को ही अपने मद से यह व्यवस्था करनी है. सरकार के तरफ से कोई वित्तीय सहायता भी नहीं दी जा रही है. बम्भई पंचायत में भी मुखिया हमारी ही पार्टी के हैं. वे भी बाहर से आए लोगों के देखरेख कर रहे हैं और उन्हें हर तरह की सुविधायें दे रहे हैं.

इलाज की व्यवस्था – अरवल जिले में एक सदर अस्पताल, 5 पीएचसी एवं 8 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. अरवल सदर अस्पताल में 25 चिकित्सक एवं 50 नर्सों का पद सृजित है. लेकिन मंत्री 9 चिकित्सक एवं 16 नर्सों की नियुक्ति है. चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीपीई मुहैया नहीं कराया गया है और न ही कोरोना संकट के लिए किसी तरह की विशेष दवा इंतजाम है. अभी अस्पताल में ओपीडी बंद है. मरीजों के देखने के लिए केवल इमरजेंसी सेवा ही चालू है.

जिले में रबी फसलों की कटनी शुरू हो चुकी है. कटनी में लगे मजदूरों को पुलिस द्वारा तंग करने की कोई रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है.

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जहानाबाद: पुलिस दमन बढ़ा

पुलिस का दमनात्मक रवैया – मोदनगंज प्रखंड के दयाली बीघा गांव में दुर्गापुर (प. बंगाल) से आए 26 मजदूरों की जांच के लिए सीओ, बीडीओ और पुलिस गांव में आई. गांव के अंतिम छोर पर एक रास्ते के बगल में एक चौपहिया वाहन लगी देख वह गांव वालों से गाली-गलौज करने लगी और एक ग्रामीण की पिटाई कर दी. छुट्टियों में आए एक पुलिसया जवान ने जब उन्हें मना किया तो उसे भी पीट दिया. इससे पूरे गांव का गुस्सा भड़क गया और पुलिस के साथ झड़प हो गई. बाद में भारी पुलिस बल बुला गांव में बर्बर दमन चलाया गया. पुलिस व अधिकारियों ने हमारे नेता का. योगेंद्र यादव को बातचीत करने के बहाने से बुलाया और उनके साथ भी मारपीट की. फिर उन्हें थाना ले जाया गया. हालांकि रात के 12 बजे उन्हें और एक बुजुर्ग आदमी को छोड़ दिया गया. वहां पुलिस द्वारा 21 नामजद और 25 अज्ञात ग्रामीणों पर मुकदमा किया गया है.

लाॅक डाउन की शुरूआत में पुलिस ने कई गांवों में खेतों में कटनी कर रहे मजदूरों के साथ भी मारपीट किया. मुड़ गांव के पास कटनी कर रहे मजदूरों को पीटा गया और जहानाबाद प्रखंड के कल्पा ओपी के बडा़ बाबू गांव वालों को धमकाया गया कि कटनी करोगे तो खलिहान में आग लगा दिया जाएगाहालांकि यह सिलसिला अब खत्म हो गया है. घोसी के लखावर गांव में एक तालाब में मछली मार रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है.

काको प्रखंड के दमूहां पंचायत के मुखिया और प्रखंड कमेटी के सदस्य का. सतीश चैधरी जब पंचायत के आइसोलेशन सेंटर हाजीपुर स्कूल में गए तो दिल्ली से आये एक लड़के ने, जो हाजीपुर गांव का ही था, उनको गाली देने लगा. उन्होंने पुलिस से शिकायत की तो उसने वीडियो रिकार्डिंग करने को कहा और जब उन्होंने वीडियो रिकार्ड करनी चाही तो उसने उनका मोबाइल छीन लिया. सूचना देने पर पुलिस ने उससे मोबाइल लेकर मुखिया को दे तो दिया, लेकिन उस पर मुकदमा दर्ज नहीं किया.

राहत अभियान व राशन के लिए संघर्ष - जिले में राशन कार्ड से वंचित गरीबों की सूची बनाया जा रहा है. अभी तक कुल 1367 गरीबों की सूची बनाई गई है जिसमें 340 लोगों का नाम मुखिया और बीडीओ को जमा कर दिया गया है. 176 लोगों को नया कार्ड बना है जिसमें मोदनगंज के बंधुगंज पंचायत के 125, हुलासगंज प्रखंड़ के मुरगांव पंचायत के 26 और मखदुमपुर के सुमेरा के 25 लोग शामिल हैं. घोसी प्रखंड के परावन पंचायत में जनसहयोग इकट्ठा कर 30 परिवारों को चावल, दाल, आलू और नमक का पैकेट तथा साबुन दिया गया है.

कुर्रे तथा शाहपुर पंचायत में मुखिया द्वारा मास्क और साबुन 8 तारीख से बटेगा. जहानाबाद प्रखंड के मानदेय बीघा पंचायत में मुखिया द्वारागरीबों के बीच चंदा करके साबुन बांटा गया है. अब पंचम वित्त के पैसे से मास्क तथा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है किनारी पंचायत में साबुन और मास्क वितरण किया जा रहा है इसी तरह से लरसा में भी शुरू हुआ है. मखदुमपुर के सुमेरा में 500 साबुन चंदा करके बांटा जा चुका है.

गया: सरकारी राहत नदारद है

कोच प्रखंड के निशुरपुर गांव में, जहां भूमि दखल कर गरीबों को बसाया गया है, यादव जाति के कुछ दबंगो ने मामूली बात को लेकर गरीब टोले पर हमला किया. इसका प्रतिरोध किया गया और थाने में केस दर्ज कराया गया है. दूसरी घटना मोहनपुर थाने के पथरा गांव की है जहां दो भाईयों के बीच आपसी अंतर्विरोध का फायदा उठाकर एक दबंग ने एक भाई के जमीन पर कब्जा कर लिया है और उस पर अवैध निर्माण करने पर उतारू है. पार्टी समर्थक परिवारों ने जब विरोध किया तो उनके साथ मारपीट भी की गईकिया है. यह मामला स्थानीय थानेदार और अंचलाधिकारी के संज्ञान में लाया गया है. हालांकि, प्रशासन भी उस दबंग के पक्ष में ही है और निर्माण कार्य पर अबतक कोई रोक नहीं लगाया है. कुछ इलाके में तबलिगी जमात के बारे में फैलाये जा रहे सरकारी दुष्प्रचार के कारण मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश नजर आ रही है. लेकिन, अभी तक सांप्रदायिक तनाव की कोई गंभीर घटना नहीं हुई है.

राहत-राशन अभियान – गया के मानपुर शहरी क्षेत्र के दो वार्ड में करीब 200 परिवारों के बीच राशन वितरित किया गया है. कोच के केर पंचायत के शाहगंज, आजाद बीघा, लोदीपुर, निशुरपुर समेत अन्य गांवों में खासतौर पर उन लोगों के बीच मास्क, साबुन व राशन का वितरण किया गया, जिनके पास राशन कार्ड नही हैं. इसी प्रकार परैया प्रखंड के करहट्टा पंचायत के निर्वाचित के मुखिया द्वारा अपने पंचायत में राशन वितरण की पहल ली गई. गया शहरी क्षेत्र के दो वार्डों का सघन दौरा कर सभी गरीब परिवारों से मिला गया और जिला प्रशासन से से उनको राशन व राहत देने की मांग की गई. उनको अब तक कोई सहयोग नहीं मिला है. जिला प्रशासन की ओर से न के वल कोई राहत कार्य नहीं चलाया जा रहा बल्कि सामाजिक-नागरिक संगठनों के पहल पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. भोजन, राशन या दूसरी तरह की मदद पहुंचाने वालों पर पुलिस ने केस भी दर्ज किया है. राहत व राशन के अभाव में गरीब तबके की हालत बिगड़ रही है और कुछ जगह तो बेहद गंभीर हो चली है.

(जिला सचिवों की रिपोर्ट पर आधारित)